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गाजियाबाद के पत्रकार विक्रम जोशी हत्याकांड में भी निकला कानपुर एंगल, अपराधियों की पुलिस से थी दोस्ती
जनज्वार। अपराधियों और पुलिस वालों की दोस्ती सिर्फ फिल्मी पर्दाें तक सीमित नहीं है। यह एक हकीकत है जिससे निर्दाेष जाने जाती हैं। अपराधी-पुलिस गठजोड़ का सबसे बुरा चेहरा कानपुर के बिकरू कांड में तो दिखा ही, अब यही तथ्य गाजियाबाद के पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या मामले में भी सामने आ रहा है। अगर विक्रम जोशी को गोली मारने वाले अपराधियों की लोकल पुलिस वालों ने दोस्ती न होती और पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की होती तो आज विक्रम जोशी जीवित होते।
पत्रकार विक्रम जोशी को 20 जुलाई को गाजियाबाद में उनके घर के पास गोली मारी गई थी और 22 जुलाई को अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। उनकी हत्या का आरोप रवि गिरोह पर है। रवि एक लोकल गुंडा है और एक गैंग चलाता है। गाजियाबाद के विजयनगर प्रताप विहार इलाके में उसका दहशत रहा है। खुद के खिलाफ आवाज उठाने वालों को वह घर में घुस कर अपने गैंग के साथ बेरहमी से तबतक पीटता था जब तक सामने वाला माफी न मांग। उसकी गुंडागदी से परेशान कई लोगों ने अपना बेच दिया और वहां से दूसरी जगह चले गए।
16 जुलाई को पत्रकार विक्रम जोशी अपनी बहन के साथ प्रताप विहार के चौकी प्रभारी को भांजी के साथ छेड़छाड़ की शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस ने इस मामले में शिकायत तक दर्ज नहीं की। पुलिस में शिकायत करने के बाद अपराधियों ने विक्रम जोशी को धमकी दी। विक्रम जोशी व उनके परिवार के लोगों ने फिर पुलिस को इसकी जानकारी दी लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
विक्रम जोशी के परिवार का कहना है कि बदमाशों को उनके हर मूवमेंट की जानकारी मिल रही थी। इसी कारण दस गुंडों ने उन्हें घेर कर मारपीट की और फिर गोली मार दी। लोकल पुलिस अपने हिसाब से कार्रवाई की बात कहती रही। इस मामले में अपराधी रवि व उसके साथियों छोटी, मोहित, दलवीर, आकाश, योगेंद्र, अभिषेक व शाकिर को गिरफ्तार किया गया है। चौकी प्रभारी राघवेंद्र को सस्पेंड कर दिया गया है।
विक्रम के भाई अनिकेत ने बताया है कि घटना के दिन वे बहन के यहां से अपनी आठ व पांच साल की दो बेटियों को लेकर आ रहे थे। आरोपियों ने उसी दौरान उनकी बाइक गिरा दी और मारपीट करने लगे। वे कार से सटा कर उन्हें पीटने लगे। इसी दौरान रवि के कहने पर छोटू ने तमंचे से गोली मार दी। जब अपराधियों ने गोली मार दी तो बड़ी बेटी रोने लगी। बच्चियों की चीख सुन कर भी कोई मदद को नहीं आया। अपराधी भाग गए। जब किसी से मदद नहीं मिली तो बड़ी बेटी दौड़ते हुए घर पहुंची और उसके बाद सभी घटना स्थल पर पहुंचे।