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उत्तर प्रदेश

पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे चंद्रशेखर आजाद को गांव जाने से रोका, सपा- आरएलडी के कार्यकर्ताओं पर हुई लाठीचार्ज

Janjwar Desk
4 Oct 2020 9:12 AM GMT
पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे चंद्रशेखर आजाद को गांव जाने से रोका, सपा- आरएलडी के कार्यकर्ताओं पर हुई लाठीचार्ज
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उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बुलगढ़ी गांव में हुई दर्दनाक घटना के बाद स्थिति तनावपूर्ण है।

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बुलगढ़ी गांव में हुई दर्दनाक घटना के बाद स्थिति तनावपूर्ण है। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। गांव में पुलिस का सख्त पहरा है। मामले की जांच के लिए एसआईटी की टीम आज गांव पहुंची है। वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पीड़िता के परिवार से मिलने के बाद आज दूसरे अन्य दलों के नेता पीड़ित परिवार से मिलने के लिए पहुंच रहे हैं।

इसी दौरान कांग्रेस के बाद आज समादवादी पार्टी का एक डेलिगेशन जिसमें सपा नेता धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव, सपा विधायक संजय लठार, जयवीर ने हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिवार से मुलाकात की। इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने यूपी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। वहीं सपा कार्यकर्ताओं को हटाने के लिए पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज किया। वही भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर की गाड़ियां अलीगढ़ से हाथरस जाते हुए 20 किलोमीटर पहले रुकवा दी गई हैं। इस दौरान हाथरस में पुलिस द्वारा गाड़ी रुकवाने के बाद पैदल ही पीड़ितों के घर के लिए निकल गए।

इससे पहले प्रियंका गांधी वाड्रा भी ट्वीट करते हुए हाथरस के डीएम की बर्खास्ती का मांग कर चुकी है उन्होंने ट्वीट करते हुए का कि हाथरस के पीड़ित परिवार के अनुसार सबसे बुरा बर्ताव डीएम का था। उन्हें कौन बचा रहा है? उन्हें अविलंब बर्खास्त कर पूरे मामले में उनके रोल की जांच हो। परिवार न्यायिक जांच मांग रहा है तब क्यों सीबीआई जांच का हल्ला करके SIT की जांच जारी है। यूपी सरकार यदि जरा भी नींद से जागी है तो उसे परिवार की बात सुननी चाहिए।


वही राजस्थान के मुख्यमंत्री ने अंतिम संस्कार पर सवाल खड़े करते हुए कहा हाथरस में रात को 2 बजे बच्ची का अंतिम संस्कार कर दिया गया यह लापरवाही हृदयविदारक है और पूरे देश के स्मृति पटल पर हमेशा के लिए छाई रहेगी। रात को पुलिस की देखरेख में आप दाह-संस्कार कर दो और मां बिलखती रहे सिर्फ अपनी बच्ची के अंतिम दर्शनों के लिए। कोरोना में भी दाह संस्कार के अंदर परिवार वालों को 20 लोगों की छूट दी गई है।

बिना कोरोना के भी अंतिम संस्कार में परिवार को बॉडी पहले सौंपी जाती है, हमारे बॉर्डर पर शहीद होते हैं उनकी पार्थिव देह भी पहले गांव तक आती है,हेलीकॉप्टर से,प्लेन से आती है, विदेशों से भी शव लाये जाते है। यह सम्मान देने की बात हमारे देशवासियों के संस्कार, संस्कृति एवं धार्मिक मान्यताओं के आधार पर हमेशा रही है। ये सब बीजेपी के शासन में हुआ फिर बीजेपी किस हिन्दू संस्कृति की बात करती है?



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