Begin typing your search above and press return to search.
समाज

हाथरस कांड: FSL रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं, पर टेस्ट इतने दिनों बाद तो कैसे हो पुष्टि-प्रशांत भूषण ने उठाए सवाल

Janjwar Desk
5 Oct 2020 1:06 PM IST
हाथरस कांड: FSL रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं, पर टेस्ट इतने दिनों बाद तो कैसे हो पुष्टि-प्रशांत भूषण ने उठाए सवाल
x

प्रतीकात्मक तस्वीर

घटना के इतने दिनों बाद हुई एसएफएल जांच में रेप की पुष्टि नहीं की सकती, क्योंकि स्पर्म के रहने की कालावधि दो-तीन दिन की ही होती है और इसके पीछे अन्य कई मेडिकल कारक भी होते हैं..

जनज्वार। हाथरस कांड को लेकर कई तरह के दावे-प्रतिदावे सामने आ रहे हैं। इसी बीच पीड़िता की एसएफएल रिपोर्ट सामने आई। इस एसएफएल रिपोर्ट के आधार पर दावा किया गया कि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उसमें किसी तरह का स्पर्म नहीं पाया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण पीड़िता के साथ हुई मारपीट है, इन दोनों रिपोर्टों में दुष्कर्म की बात सामने नहीं आई है। हालांकि इसके बाद यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि घटना के इतने दिनों बाद हुई एसएफएल जांच में रेप की पुष्टि नहीं की सकती, क्योंकि स्पर्म के रहने की कालावधि दो-तीन दिन की ही होती है और इसके पीछे अन्य कई मेडिकल कारक भी होते हैं।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सीएमओ के हवाले से कहा गया है कि इस एफएसएल रिपोर्ट का कोई मूल्य नहीं है, क्योंकि यह घटना के काफी दिनों बाद कराया गया था। हाथरस पीड़ित को दो सप्ताह के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। इसके मुख्य चिकित्सा अधिकारी के हवाले से द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के आधार पर जनसत्ता ऑनलाइन ने कहा है कि वह एफएसएल रिपोर्ट जिसके आधार पर उत्तर प्रदेश पुलिस दावा कर रही है कि लड़की के साथ बलात्कार नहीं हुआ, उसका कोई मूल्य नहीं है।

जनसत्ता ऑनलाइन ने लिखा है 'सीएमओ डॉ अज़ीम मलिक ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि महिला से बलात्कार के 11 दिन बाद सैंपल लिया गया था। जबकि सरकारी दिशा-निर्देशों में सख्ती से कहा गया है कि घटना के केवल 96 घंटे बाद तक फॉरेंसिक सबूत पाए जा सकते हैं। ऐसे में रिपोर्ट इस घटना में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं कर सकती है।'

इंडियन एक्सप्रेस की उस रिपोर्ट और सीएमओ के स्टेटमेंट को ट्विटर पर साझा करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने इतने दिनों बाद हुई फोरेंसिक जांच की बात कह इस मामले में एसएफएल की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है।


उल्लेखनीय है कि पीड़िता पर 14 सितंबर को कथित तौर पर चारों आरोपितों द्वारा हमला किया गया था। इसके बाद उसके द्वारा 22 सितंबर को मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए बयान के आधार पर बलात्कार की धाराओं को एफआईआर में जोड़ा गया था। 25 सितंबर को यह जांच के लिए भेजे गए। एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर यूपी पुलिस ने दावा किया कि महिला के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ है।

गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा था, 'एफएसएल की रिपोर्ट के अनुसार, उसमें किसी तरह का स्पर्म या शुक्राणु नहीं पाया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़ित की मौत मारपीट के कारण हुई है। अधिकारियों द्वारा बयानों के बावजूद, कुछ गलत जानकारी मीडिया में प्रसारित की गई थी।'

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ हमजा मलिक के हवाले से जनसत्ता ऑनलाइन ने लिखा है 'उन्होंने एफएसएल रिपोर्ट को "अविश्वसनीय" बताया है। उन्होने कहा है कि एफएसएल टीम को 11 दिन बाद बलात्कार के सबूत कैसे मिलेंगे? शुक्राणु 2-3 दिनों के बाद जीवित नहीं रहता है। उन्होंने बाल, कपड़े, नाखून बिस्तर और योनि-गुदा छिद्र से नमूने लिए, नमूनों में पेशाब, शौच और मासिक धर्म की वजह से स्पर्म की उपस्थिति नहीं दिखेगी।'

उल्लेखनीय है कि हाथरस गैंगरेप मामले में अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज (जेएनएमसी) ने अपनी फाइनल रिपोर्ट जारी कर दी है। आगरा से फरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद मेडिकल कॉलेज ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म के संकेत मिलने से इनकार कर दिया है। इससे पहले 22 सितंबर को पीड़िता की मेडिकोलीगल (MLC) इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट में बल प्रयोग के संकेत बताए गए थे, हालांकि रेप की पुष्टि नहीं की गई थी। फाइनल रिपोर्ट के लिए फरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा था।

वैसे एक पक्ष यह भी सवाल उठा रहा है कि जब घटना के बाद दर्ज कराई गई एफआईआर में दुष्कर्म की जानकारी नहीं दी गई, पीड़िता और उसके परिजनों द्वारा काफी दिन बाद तक दुष्कर्म की बात नहीं कही गई, तो दुष्कर्म को लेकर जांच आखिरकार कैसे होती। इस पक्ष का तर्क है कि जब पीड़िता द्वारा जानकारी दी गई, तो तुरंत जांच कराई गई। बहरहाल, अब इस केस की जांच को सीबीआई के हवाले कर दिया गया है और सीबीआई जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि आगे इस मामले में क्या होता है।

Next Story

विविध