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गोरखपुर में इलाज के बिना कोरोना पॉजिटिव ने सड़क पर तड़पकर तोड़ा दम, फिर भी यूपी में सब 'ऑल इज वेल'
जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के गृहनगर गोरखपुर की यूनिवर्सिटी रोड पर एक व्यक्ति ने बीच सड़क पर दम तोड़ दिया। मृतक इलाज के लिए पिपराइच के पिपरा बसंत गांव से पत्नी व बच्चों सहित सावित्री अस्पताल पहुंचा था लेकिन बीच सड़क ही दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है पैसे ना होने की वजह से अस्पताल वालों ने भर्ती करने से मना कर दिया।
परिजनों के मुताबिक मृतक देवेंद्र उपाध्याय का इसी अस्पताल से इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान जब उनका कोरोना टेस्ट किया गया तो वह पॉजिटिव पाए गए। जिस पर अस्पताल वालों ने उन्हें भर्ती करने को कहा और पैसे की डिमांड रखी। आरोप है कि पैसा ना होने पर उन्हें अस्पताल से बाहर कर दिया गया। परिजनों ने बताया कि भर्ती हेतु गोरखपुर के कई अस्पतालों के चक्कर लगाए पर निराशा ही हाथ लगी।
सड़क पर तड़प रहे देवेंद्र के परिजनों ने अंतिम आस के रूप में शासन और प्रशासन द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर ट्राय करना शुरू किया लेकिन कहीं से भी कोई मदद नहीं मिली तो सड़क किनारे बैठ गए। धीरे-धीरे 55 वर्षीय देवेंद्र उपाध्याय की सांसें उखड़ने लगी और उन्होंने सड़क पर ही अपने परिजनों के सामने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। मृतक के भतीजे विक्रांत का कहना है कि चाचा की डायलिसिस होनी थी और उनका इलाज पहले से ही सावित्री अस्पताल में चल रहा था।
वह सभी उनका डायलिसिस कराने के लिए अस्पताल आए थे। चेकअप से पहले उनकी कोरोना जांच की गई पॉजिटिव मिलने पर अस्पताल वालों ने भर्ती करने के लिए काउंटर पर पैसा जमा कराने को बोला हमारे पास उस वक्त इतने पैसे नहीं थे। अस्पताल प्रबंधन ने भर्ती करने से मना कर दिया और कहीं और ले जाने को कहा। चाचा को भर्ती कराने की बहुत कोशिश की पर किसी अस्पताल में भर्ती ना हो पाए हेल्पलाइन नंबरों पर भी सहायता के लिए गुहार लगाई पर कुछ ना हुआ अंत में चाचा ने सड़क किनारे दम तोड़ दिया। मौत के बाद एंबुलेंस के इंतजार में भी घंटों निकल गए तब जाकर एंबुलेंस का सहारा मिल सका।
वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि रूटीन चेकअप के लिए आए थे जांच हुई तो कोरोना पॉजिटिव पाए गए,बेड खाली नहीं थे, उन्हें किसी और अस्पताल में भर्ती कराने के लिए कहा गया था। परिजनों के द्वारा भर्ती कराने के लिए पैसा जमा कराने की बात पर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जांच के बाद कोरोना पॉजिटिव होने पर बेड ना खाली होने की वजह से भर्ती करने में असमर्थता जताई थी, तो पैसे जमा कराने का सवाल ही नहीं उठता।
इस पूरे मामले में सीएमओ गोरखपुर का कहना है कि मामला हमारे संज्ञान में नहीं है यदि कोई शिकायत मिलती है तो इसकी जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।