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उत्तर प्रदेश

UP में मासूम बच्ची को घर से उठा ले गया कुत्ता, बाद में मरी हुई बच्ची मिली पानी में

Janjwar Desk
13 Aug 2020 6:46 AM GMT
UP में मासूम बच्ची को घर से उठा ले गया कुत्ता, बाद में मरी हुई बच्ची मिली पानी में
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कानपुर नगर निगम द्वारा आवारा कुत्तों को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए गए हैं, जिससे इस तरह की घटनाएं घट जाती हैं...

जनज्वार। कानपुर में आवारा जानवरों की भरमार है। गलियों और सड़कों में घूमते ये जानवर इतने खतरनाक हो चुके हैं कि घरों के दुधमुंहे बच्चे भी अब सुरक्षित नहीं बच पा रहे हैं। हालिया मामला कानपुर साउथ के बर्रा 8 में देखने को मिला। यहां एक माह की घर मे सो रही मासूम को आवारा कुत्ता मुंह मे दबाकर भाग गया। लोगों ने जब कुत्ते के मुंह मे बच्ची को दबा देखा तो उसे खदेड़ा। बच्ची कुत्ते के मुंह से छूटकर पानी भरे गड्ढे में गिर गई। जब तक उसे निकाला गया तब तक बच्ची की दर्दनाक मौत हो गई।

बर्रा 8 की ई वन कच्ची बस्ती में रहने वाली चांदनी ने एक माह पहले बच्ची को जन्म दिया था। बुधवार शाम को चांदनी के पति नीरज मजदूरी करने गए थे। घर पर उसका डेढ़ साल की एक बेटी तथा एक माह की मासूम बेटी थी। चांदनी ने बच्ची को नहलाने के बाद चारपाई पर सुला दिया। बड़ी बेटी बाहर खेलने लगी और चांदनी नहा रही थी। इसी बीच एक काले रंग का कुत्ता घर मे घुस आया और एक माह की मासूम को मुंह मे दबाकर भागने लगा।

घर के अंदर कुत्ते की आवाज सुनकर चांदनी बाहर आई तो बेटी को कुत्ता उठाकर ले जा रहा था। यह देखकर चांदनी चीखते हुए कुत्ते के पीछे भागी। कुत्ता तेजी से पांडू नदी की तरफ भागा। इस बीच मासूम बच्ची कुत्ते के मुंह से छूटकर गड्ढे में गिर गई। कुत्ते का पीछा कर रहे लोगों की नजर बच्ची पर नहीं पड़ी, वह कुत्ते को ही दौड़ाते रहे। जब कुत्ते के मुंह मे बच्ची नहीं दिखी तब उसकी तलाश शुरू की गई।

इसी बीच कुछ लोगों को एक पानी से भरे गड्ढे में बच्ची का शव तैरते नजर आया। पड़ोस में रहने वाली चांदनी की एक रिश्तेदार ने बताया कि लगभग डेढ़ साल पहले यही कुत्ता उनके 15 दिन के मासूम को उठा ले गया था। हालांकि उसे उसके पति ने बचा लिया था। इसी तरह पास के एक अन्य मोहल्ले के लोगों ने बताया कि उनके बच्चे पर भी ये आवारा कुत्ते हमला कर चुके हैं। यहां के निवासियों ने कई दफा नगर निगम से आवारा जानवरों को पकड़ने की गुहार लगाई पर कोई सुनवाई नहीं होती है।

नगर निगम के अफसरों अधिकारियों को शिकायत करने बाद भी कान पर जूं तक नहीं रेंगती है। फिलहाल अपनी एक माह की मासूम को खोने का दर्द झेल रही चांदनी अपना दुख बताते बताते बदहवास-सी हो जाती है। कहती है भईया हम बर्बाद हो गए। मेरी बेटी की जान चली गई। इससे अच्छा रहता कि भगवान उसे भी उठा लेता। ऐसा ही हाल चांदनी के पति नीरज का भी है। वह खुद भी गमजदा है।

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