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कफील खान ने कहा : पांच-पांच दिन नहीं दिया जाता था जेल में खाना, जानवरों से भी बदतर थी मेरी हालत
लखनऊ। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बाल रोग स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. कफील खान को नौ महीने की जेल के बाद आखिरकार रिहा कर दिया गया है। उन्हें मथुरा जेल में रखा गया था। कफील खान को सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर दिया गया था। उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भी लगाया गया था। वहीं डॉ. खान ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर रिहाई के बाद पहला वीडियो जारी किया है।
इस वीडियो में डॉ. कफील खान कह रहे हैं कि सोशल मीडिया पर जितनी दुआएं मेरे लिए हुई हैं, मैं सोच भी नहीं सकता था कि लोग मुझको इतना चाहते हैं। इस बार जेल में मुझको पांच पांच दिन तक खाना नहीं दिया गया। मुझे मानसिक और शारीरिक तौर पर यातनाएं दी गईं।
डॉ. खान ने कहा, 'मैं न्यायपालिका का शुक्रगुजार हूं। न्यायपालिका ने बहुत अच्छा आदेश दिया है। उसने साफ-साफ कहा है कि डॉ. कफील खान ने जो भाषण दिया था वो देश की एकता, अखंडता के लिए था। कोर्ट ने साफ साफ कहा है कि कफील खान ने हेल्थ, ऐजुकेशन और रोटी कपड़ा और मकान को लेकर बात कही है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जो भी प्रदर्शन हो, शांति और अंहिसा के साथ होना चाहिए। सबको भाईचारे के साथ मिलकर साथ आना चाहिए। फिर भी उसके बाद जिस तरह से मुझे टॉर्चर किया गया।'
उन्होंने आगे कहा, 'मुंबई एयरपोर्ट से पकड़कर मुझसे 48 घंटे तक पूछताछ की गई। एसटीएफ ने तो ऐसे ऐसे सवाल पूछे कि आपने तो कोई पाउडर बना लिया है जिससे करोड़ों भारतीय मर जाएंगे। तो मैने कहा कि मैं तो बच्चों का डॉक्टर हूं, मैं कहां से पाउडर बनाउंगा। कोरोना की बात कर रहे हैं तो चीन से पूछिए। आप सरकार गिराना चाहते हैं, मैने कहा आपके सबूत हो तो दीजिए। एसटीएफ ने कहा- आप जापान गए थे तो मैने कहा कि पाकिस्तान क्यों नहीं कह दिया। मैं जापान कैसे जाउंगा जब मेरा पासपोर्ट न्यायपालिका के पास जमा है।'
'मुझे जेल में ऐसी जगह रखा गया जहां 150 कैदी रखे गए थे। नौ महीने तक मुझे पतली दाल और कच्ची रोटियां दी गईं। आप लोगों की दुआएं काम आयीं, आज आपके सामने हूं। कृष्ण जी की पवित्र मथुरा नगरी में रहकर बहुत कुछ सीखा। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि कभी भी किसी के साथ धोखा नहीं करना, अपना दिल साफ रखना।'
'जब कोरोना ने भारत में एंट्री नहीं की थी, 27 जनवरी को मैने कोरोना को लेकर वीडियो डाला था। उस वीडियो में साफ-साफ बताया था कि क्या करना है, क्या नहीं करना है, कैसे बचना है। 30 जनवरी को पहला केस भारत में आया था। मैने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को 19 मार्च को ही जेल के सुपरिटेंडेंट के जरिए एक पत्र भिजवाया। उसमें साफ बताया था कि हमारे भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन से बच पाना संभव नहीं है, मैने पूरा भारत घूमा है। कितनी गरीबी है, एक घर में चार-चार लोग कैसे रहते हैं।'
'झुग्गी झोपडी की बस्ती होती है उसी में हजारों लोग होते हैं। वो कैसे दो गज की दूरी बना लेंगे। कह देना आसान होता है लेकिन गरीबों-प्रवासियों को आसान नहीं है। आज हमारे देश की क्या हालत हो गयी है। आज हम ब्राजील को भी छोड़ने वाले हैं। 60 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। बहुत कुछ करना चाहता था इस कोरोना वायरस के खिलाफ, लेकिन करने नहीं दिया गया।'
'मैं यूपी एसटीएफ का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने विकास दुबे की तरह मेरा एनकाउंटर नहीं किया। वरना वो तो मुझे मार ही देते। लोगों की आवाज को दबाना ही उनका काम है।'