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कानपुर : हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को थाने से मुखबिर ने दी थी पुलिस के आने की खबर?
जनज्वार। कानपुर के चर्चित हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे व उसके गैंग द्वारा दो-तीन जुलाई की मध्य रात्रि आठ पुलिसकर्मियों की गोली मर कर की गई हत्या से पूरा देश अवाक है कि जब पुलिस सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी की क्या बिसात। पांच पुलिस कर्मी अभी भी जिंदगी व मौत के बीच जूझ रहे हैं। इस बीच एक नया खुलासा हो रहा है कि पुलिस थाने से ही विकास दुबे को उसके किसी मुखबिर ने यह खबर दी थी कि उसे अरेस्ट करने पुलिस टीम जा रही है। विकास दुबे को गिरफ्तार करने के लिए तीन थानों की पुलिस संयुक्त रूप से कानपुर देहात स्थित उसके गांव बिकरू पहुंची थी।
विकास दुबे को पुलिस के आने की पूर्व सूचना थी, इसलिए उसने हमले की पूरी तैयारी कर रखी थी। पुलिस इस मामले में जांच इस एंगल को ध्यान में रख कर कर रही है कि थाने से किसी व्यक्ति ने उसे पुलिस दबिश की जानकारी दी थी। इससे वह अलर्ट ओ गया और अपने रिश्तेदारों व दोस्तों को घर बुला लिया। उसने एके 47 राइफल व ऑटोमैटिक राइफलें भी थीं। पुलिस इस मामले में चौबेपुर के एसओ से पूछताछ कर रही है।
कहा जा रहा है कि चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी के विकास दुबे घनिष्ठ संबंध थे। आरोप है कि होली के बाद बिकरू गांव के ही राहुल तिवारी को विकास व उसके साथियों ने जान से मारने का प्रयास किया था। एसओ विनय तिवारी ने इस मामले में एफआइआर दर्ज नहीं की। एसओ स्तर पर सुनवाई नहीं होने के बाद राहुल तिवारी ने मामले में सीओ देवेंद्र तिवारी से गुहार लगाई और उनके हस्तक्षेप के बाद केस दर्ज किया गया। इस मामले में ही पुलिस बल विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई थी।
सूत्रों के अनुसार, चौबेपुर एसओ विनय तिवारी से एसटीएफ की टीम ने शुक्रवार की देर रात तक पूछताछ की है। उनकी भूमिका को संदिग्ध माना जा रहा है। मालूम हो कि विकास दुबे के खिलाफ कोई गवाही देने को भी तैयार नहीं होता है। इस समय गांव में भी उसके खिलाफ कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है। जब उसने भाजपा नेता संतोष शुक्ला की थाने में घुस कर हत्या कर दी तो इस आधार पर बरी हो गया कि उसके खिलाफ कोई गवाही देने वाला ही नहीं था।