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उत्तर प्रदेश

कानपुर : गैंगस्टर विकास दुबे का खजांची जय वाजपेयी गिरफ्तार

Janjwar Desk
20 July 2020 3:35 AM GMT
कानपुर : गैंगस्टर विकास दुबे का खजांची जय वाजपेयी गिरफ्तार
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विकास दुबे के साथ जय वाजपेयी (गुलाबी शूट में दायें) का फाइल फोटो.

जय वाजपेयी ने बिकरू कांड से दो दिन पहले विकास दुबे को दो लाख रुपये व 25 कारतूस दिए थे...

जनज्वार। उत्तरप्रदेश पुलिस ने कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे के करीबी व उसका खजांची कहे जाने वाले जय वाजपेयी को गिरफ्तार कर लिया है। रविवार (19 July 2020) को पुलिस ने उससे लगातार पूछताछ की और इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उसके एक साथी को भी गिरफ्तार किया है। जय वाजपेयी का पूरा नाम जयकांत वाजपेयी है। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी को लेकर एक प्रेस नोट भी जारी किया है।

मालूम हो कि गैंगस्टर विकास दुबे को 10 जुलाई को पुलिस ने एक इनकाउंटर में मार गिराया था। उसने दो-तीन जुलाई की रात अपने गांव बिकरू में गिरफ्तार करने आयी पुलिस टीम पर अपने गुंडों के साथ हमला कर दिया था, जिसमें आठ पुलिस वाले शहीद होगए थे।

पुलिस ने जय वाजपेयी पर घटना के दो दिन पहले विकास दुबे को दो लाख रुपये व 25 कारतूस देने के आरोप सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।

जय वाजपेयी से रविवार को पुलिस ने दो चरण में पूछताछ की। पहले उसे पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया, लेकिन फिर पुलिस ने उसके घर से उसे हिरासत में ले लिया। पुलिस उसे नजीराबाद थाना ले आई जहां एसएसपी दिनेश कुमार पी ने उससे पूछताछ की, जिसमें यह बात सामने आयी कि उसने विकास दुबे को घटना के दो दिन पहले दो लाख रुपये व 25 कारतूस दिए थे। पुलिस जांच में लाइसेंसी रिवाल्वर के लिए 25 कारतूस की खरीद की बात पता चली लेकिन उसका प्रयोग कहां किया गया यह पता नहीं चला है।


इस मामले में दर्ज एफआइआर के अनुसार, चार जुलाई को जय बाजपेई अपने साथी प्रशांत शुक्ला उर्फ डब्बू के साथ तीन गाड़ियों में विकास दुबे और उसके गैंग के सदस्यों को सुरक्षित निकालने की तैयारी कर रहा था। पुलिस के सक्रिय होने के कारण वह इस काम में विफल रहा और कार को विजय नगर चौराहे के पास छोड़कर भाग गया।

पुलिस ने जय वाजपेयी और उसके साथी आर्यनगर निवासी प्रशांत शुक्ला को दो जुलाई की रात की घटना की साजिश का आरोपी बनाया है। आज (20 July 2020) दोनों को अदालत में पेश किया जाएगा।

जय वाजपेयी पहले एक मामूली नौकरी करता था, लेकिन विकास दुबे के संपर्क में आने के बाद चार-पांच साल में वह करोड़ों का मालिक बन गया और कई कारोबार खड़े कर लिए।

जय वाजपेयी विकास दुबे की काली कमाई को अलग-अलग माध्यमों से निवेश करता था।

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