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Krishna Janmabhoomi Dispute: कृष्ण जन्मभूमि विवाद पर मथुरा कोर्ट में सुनवाई आज, जानिए क्या है पूरा विवाद?

Janjwar Desk
15 April 2022 12:09 PM IST
Krishna Janmabhoomi Dispute: कृष्ण जन्मभूमि विवाद पर मथुरा कोर्ट में सुनवाई आज, जानिए क्या है पूरा विवाद?
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Krishna Janmabhoomi Dispute: कृष्ण जन्मभूमि विवाद पर मथुरा कोर्ट में सुनवाई आज, जानिए क्या है पूरा विवाद?

Krishna Janmabhoomi Dispute: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले (Shri Krishna Janmabhoomi Dispute Case) पर आज (शुक्रवार को) सुनवाई होने वाली है.

Krishna Janmabhoomi Dispute: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक मामले को लेकर दाखिल याचिका पर अब 30 सितंबर को सुनवाई होगी. सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन याचिकाकर्ता अदालत नहीं पहुंचे. श्रीकृष्ण विराजमान, स्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि और कई लोगों की ओर से पेश किए दावे में कहा गया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (जो अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना जाता है) और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर समझौता हुआ था. इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी.

दरअसल मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही मस्जिद है. इसका निर्माण 17वीं सदी में हुआ था. कहा जाता है कि मुगल शासन औरंगजेब ने 1669 में श्रीकृष्ण मंदिर की भव्यता से चिढ़कर उसे तुड़वा दिया था और इसके एक हिस्से में ईदगाह का निर्माण कराया गया था. इतिहासकारों का मानना है कि सिकंदर लोदी के शासन काल में तीसरी बार बने मंदिर को नष्ट कराया गया था और फिर चौथी बार औरंगजेब ने मंदिर को तोड़वा दिया था. अब फिर से कृष्ण जन्मभूमि में मंदिर बनाने की बात जोरों से उठी है जो अदालत तक पहुंची है.

अयोध्या में रामजन्मभूमि की तरह मथुरा में कृष्णजन्मभूमि का विवाद भी दशकों नहीं बल्कि शताब्दियों पुराना है. श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह के बीच पहला मुकदमा 1832 में शुरू हुआ था. श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि पहला मुकदमा 1832 में हुआ था. अताउल्ला खान ने 15 मार्च 1832 में कलैक्टर के यहां प्रार्थनापत्र दिया. जिसमें कहा कि 1815 में जो नीलामी हुई है उसको निरस्त किया जाए और ईदगाह की मरम्मत की अनुमति दी जाए. 29 अक्टूबर 1832 को आदेश कलेक्टर डब्ल्यूएच टेलर ने आदेश दिया जिसमें नीलामी को उचित बताया गया और कहा कि मालिकाना हक पटनीमल राज परिवार का है.

25 सितंबर 2020 को एक बार फिर से ये मामला अदालत के सामने पहुंच चुका है. अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने 25 सितम्बर 2020 (शुक्रवार) को मथुरा की अदालत में दायर की गई याचिका में कहा है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच हुआ समझौता पूरी तरह से गलत है और भगवान कृष्ण व उनके भक्तों की इच्छा के विपरीत है. इसलिए उसे निरस्त किया जाए और मंदिर परिसर में स्थित ईदगाह को हटाकर वह भूमि मंदिर ट्रस्ट को सौंप दी जाए. इस विवाद में अब तक 1897, 1921, 1923, 1929, 1932, 1935, 1955, 1956, 1958, 1959, 1960, 1961, 1964, 1966 में भी मुकदमे चल चुके हैं.

बड़ी बात ये है कि मथुरा श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह के विवाद को लेकर 136 साल तक केस चला. जिसके बाद अगस्त 1968 में महज ढाई रूपये के स्टांप पेपर पर समझौता किया गया. तत्कालीन डीएम व एसपी के सुझाव पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने 10 बिदुओं पर समझौता किया था. इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी. अब दायर की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान श्रद्धालुओं के हितों के विपरीत काम कर है इसलिए धोखे से शाही ईदगाह ट्रस्ट की प्रबंध समिति ने कथित रूप से 1968 में संबंधित संपत्ति के एक बड़े हिस्से को हथियाने का समझौता कर लिया.

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