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उत्तर प्रदेश

मिर्जापुर के भाजपा नेता की मौत हुई पुलिस टॉर्चर के सदमे से

Janjwar Desk
4 Aug 2020 8:17 AM GMT
मिर्जापुर के भाजपा नेता की मौत हुई पुलिस टॉर्चर के सदमे से
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पिछले दिनों मिर्जापुर में भाजपा के एक कार्यकर्ता से पुलिस द्वारा शौचालय साफ कराने का मामला सामने आया था। उसके उत्पीड़न के बाद उसकी मौत हो गई। उसके मामले में न्याय की तमाम कोशिशें विफल हो रही हैं...

भाजपा नेता की मौत पर आयुष सिंह की टिप्पणी

मिर्जापुर जनपद के जिगना थाने में पिछले दिनों एक मामला हुआ। भाजपा के एक बूथ अध्यक्ष कन्हैया लाल बिंद (Kanhaiya Lal Bind) ने आरोप लगाया कि जमीन संबंधी एक विवाद के मामले में जब वह अपनी फरियाद लेकर थाने गया तो थाने वालों ने उससे थाने का शौचालय साफ कराया और उसका उत्पीड़न किया। इससे उसको गहरा आघात लगा। कुछ दिनों बाद उसकी मृत्यु हो गई। परिवार वालों ने कहा है कि पुलिस उत्पीड़न के सदमे के कारण मृत्यु हुई। वहां के भाजपा मंडल अध्यक्ष ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से पत्र के माध्यम से की है।

मामला समाचार पत्रों में आने के बाद सुर्खियों में आया तो पुलिस ने सफाई दी कि उनकी मृत्यु सदमे के कारण नहीं बल्कि कई बीमारियों के कारण हुई है। फिर भी एहतियातन जिस उपनिरीक्षक पर आरोप था उसका स्थानांतरण दूसरे थाने के लिए कर दिया गया।

पर, इसी बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री व जिले की सांसद अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) ने अपने लेटर पैड पर मुख्यमंत्री को इस प्रकरण में लिखकर निष्पक्ष जांच की मांग कर दी। भाजपा की पूरी लीडरशिप अब तक इस मामले पर खामोश थी और चुप थी फिर आनन-फानन में भाजपा के कुछ नगर मंडल के नेताओं ने सोशल मीडिया इत्यादि पर लिखना चालू किया, जिसके बाद पता चला कि स्थानीय नगर विधायक के हस्तक्षेप के बाद उक्त उपनिरीक्षक को लाइन हाजिर कर दिया गया। बस भाजपाई लाइन हाजिर वाली प्रक्रिया पर ही वाहवाही लूटने लगे। मामला पिछले दो-तीन दिन से विभिन्न प्रमुख समाचार पत्रों में प्रमुखता से छप रहा है। सोशल मीडिया पर ट्विटर इत्यादि प्लेटफार्म पर सामाजिक कार्यकर्ता पुलिस से जवाब मांग रहे हैं। परंतु भाजपा का स्थानीय नेतृत्व पूरी तरीके से असहज और बेबस नजर आ रहा है।

लोगों में चर्चा यह है कि 300 से अधिक विधायकों वाली सत्ताधारी पार्टी के लोग अपने लोगों को न्याय नहीं दिला पा रहे हैं तो आम जनता को क्या इस राम राज्य में न्याय मिलेगा। निलंबन तक की कार्रवाई कराने में पसीने छूट जा रहे हैं। लोकतंत्र में शासन जनता के लिए होता है पर इन लोगों ने शासन ब्यूरोक्रेसी, पुलिस और अपनी पार्टी के कुछ घोषित नामों के लिए बना कर रख दिया है।

मान-सम्मान बेचकर राजनीति करना कोई इनसे सीखे बाकी फेसबुक पर फलाना मंत्री फलाना अध्यक्ष के साथ फोटो लगाकर टेलर टाइट करने वाले लोगों से एक बात जरूर पूछना है कि आम जनता का काम नहीं होता पर विधायक सांसद व मंत्री जी का व्यक्तिगत मामला होता है तो सारे काम हो जाते हैं। तब पुलिस सही गलत नहीं देखती। जब आप के जनप्रतिनिधि कमीशन पर अपनी निधि प्लाटिंग तक करने वालों को दे देते हैं तब आपका आदर्श और रामराज्य वाला सपना कहां चला जाता है।।

अच्छे बहाने हैं, अपना काम कराना हो तो संगठन मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक दौड़ कर करा लेंगे, जनता को न्याय देना हो तो बेबसी का राग अलाप देंगे। गजब का नैरेटिव जनता में सेट कर दिए है सिपहसालार लोग।

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