Mirzapur news: ऊर्जा राज्यमंत्री की मौजूदगी में शव वाहन के लिए घंटों प्रतीक्षा करते रहे पीड़ित परिजन
Mirzapur news: उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर मंडलीय अस्पताल को भले ही मेडिकल कॉलेज से जोड़ दिया गया है, लेकिन यहां की व्यवस्थाओं में आमूल-चूल परिवर्तन नहीं हो पाया है। यहां की मनमानी, व्याप्त दूर्व्यवस्थाओं की कहानी किसी से छुपी हुई नहीं है। रविवार की रात यहां की इसी व्यवस्था की शिकार एक ग्रामीण महिला को होना पड़ा। दरअसल, वह अपने परिवार की एक 80 वर्षीय वृद्धा शांति देवी पत्नी स्वर्गीय दयाल पटेल निवासी गोल्हनपुर, थाना चुनार को उपचार के लिए मिर्जापुर मंडलीय अस्पताल लेकर दिन के 11:00 बजे आए हुए थे जहां देर शाम तकरीबन 6:00 बजे उक्त महिला की मौत हो जाती है। महिला की मौत के बाद परिजन सरकारी शव वाहन की प्रतीक्षा में भटक रहे थे। आरोप है कि अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के समीप चस्पा एंबुलेंस सेवा के नंबर पर भी जब संपर्क किया गया तो उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। ऐसे में परिजन महिला के शव को जिला मुख्यालय से सुदूर अंचल अपने गांव ले जाने के लिए परेशान दिखलाई दिए। परिवार के ही किसी सदस्य ने इस बात की जानकारी ऊर्जा राज्यमंत्री एवं मड़िहान विधानसभा क्षेत्र के विधायक रमाशंकर सिंह पटेल को दे दी। क्योंकि रमाशंकर सिंह पटेल जिस विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं गोल्हनपुर गांव भी उसी विधानसभा अंतर्गत आता है उसी गांव की शांति देवी भी निवासिनी है। और तो और ऊर्जा राज्यमंत्री जी का यह गांव उनका अपना गृह गांव भी है, सो सूचना मिलते ही बिना देर किए वह भी मिर्जापुर मंडलीय अस्पताल पहुंच गए थे।
आश्चर्य की बात तो यह है कि सूबे के ऊर्जा राज्यमंत्री के मंडलीय अस्पताल पहुंचने के तकरीबन 1 घंटे तक भी सरकारी एंबुलेंस शव वाहन की सुविधा पीड़ित परिवार को मुहैया नहीं हो पाया था, बस फिर क्या था ऊर्जा राज्यमंत्री का मिजाज बिगड़ गया। उन्होंने मौके पर मौजूद चिकित्सकों को तो जमकर खरी-खोटी सुनाई ही, सीएमओ की भी जमकर क्लास ली। अस्पताल की व्यवस्था पर नाराजगी प्रकट करते हुए उन्होंने तत्काल शव वाहन चालक के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश देने के साथ ही साथ यहां की व्यवस्थाओं पर गहरी नाराजगी प्रकट की। ऊर्जा राज्यमंत्री के तेवर को देख जहां सीएमओ से लगाए अन्य चिकित्सक कांपते नजर आए वहीं उर्जा राज्यमंत्री अपने पूरे रौब में नजर है। उन्होंने कहा कि यहां की शिकायतें उन्हें अक्सर मिल रही थी, लेकिन वह छोटी मोटी बात समझ कर नजर अंदाज करते आ रहे थे। आज स्वयं यहां की व्यवस्था उनके सामने दिखलाई दे गई है जिसे नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि वह स्वयं 1 घंटे से यहां खड़े हैं, लेकिन अभी तक उन्हीं के गांव के पीड़ित परिवार को शव वाहन की सुविधा नहीं मुहैया हो पाई? आखिरकार अन्य लोगों के साथ क्या होता होगा? वह इसे क्या समझें?
उन्होंने कहा कि यह सरकार की नीतियों के खिलाफ है। अस्पताल के चिकित्सक से लेकर अधिकारी मनमाने हो गए हैं जो छम्य में नहीं है। उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत वह मुख्यमंत्री से करेंगे, बल्कि यहां के अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों से भी मिलेंगे। ऊर्जा राज्यमंत्री के मिजाज को दें सीएमओ ने जहां शव वाहन के चालक के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है वही ऊर्जा राज्यमंत्री पूरी तरह से अस्पताल की व्यवस्था से खफा नजर आए। ऐसे में मौके पर मौजूद लोग यह कहते सुने गए कि काश ऊर्जा राज्यमंत्री जो शहर में ही निवास करते हैं, अक्सर इस अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा ले लिया करते तो कई अन्य गरीब दूरदराज से आने वाले मरीजों की समस्याओं का न केवल समाधान हो जाता, बल्कि यहां व्याप्त दूर्व्यवस्थाओं का आलम भी समाप्त हो पाता।
राम भरोसे संचालित हो रहा हैं शव वाहन
घटना-दुर्घटना से लेकर आपातकालीन समय में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार ने सरकारी एंबुलेंस 102 नंबर का संचालन सुनिश्चित किया है। ठीक उसी प्रकार से शव वाहन की भी सुविधा जिला मुख्यालय पर प्रदान की गई है, ताकि गरीब लोगों को मदद मिल सके। उन्हें अपने घर तक शव ले जाने के लिए परेशान ना होना पड़े, लेकिन देखा जाए तो यह व्यवस्था भी चरमरा उठी है। इसकी बानगी रविवार को तब देखने को मिली है जब ऊर्जा राज्यमंत्री रमाशंकर सिंह पटेल के गृह गांव गोल्हापुर की एक महिला की अस्पताल में मौत हो जाने के बाद परिजन उसके शव को गांव ले जाने के लिए भटकते नजर आए हैं। आश्चर्य की बात है कि जानकारी होने पर मंडलीय अस्पताल पहुंचे ऊर्जा राज्यमंत्री भी तकरीबन 1 घंटे तक अस्पताल के बाहर खड़े रहे, लेकिन एंबुलेंस अब आ रही है, तब आ रही है कहते हुए उन्हें दिलासा का घूंट पिलाया जाता रहा है।
आखिरकार थकहार कर सीएमओ को अपने आवास पर आपातकालीन व्यवस्था के लिए खड़ी एंबुलेंस को मंगवाना पड़ा है। तब जाकर उक्त महिला के शव को उसके घर तक भिजवाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई। बताते चलें कि यहां तीन शव वाहन की सुविधा मुहैया कराएगी है। इसमें से एक शव वाहन मंडलीय अस्पताल में दूसरा जिला महिला अस्पताल में एवं तीसरा सीएमओ के अधीन उनके कार्यालय परिसर में खड़ा रहता है, ताकि किसी आपातकलीन समय में उसका उपयोग किया जा सके। हद की बात तो यह है कि जिला अस्पताल परिसर में खड़े एंबुलेंस का चालक जहां चाबी लेकर अपने घर को चला गया था, वहीं महिला अस्पताल में खड़ा एंबुलेंस शव वाहन चलने योग्य नहीं रहा है। ऐसे में धक्का लगाने के बाद भी जब वह चालू नहीं हुआ तो विवश होकर सीएमओ कार्यालय से तीसरे एंबुलेंस को मंगाना पड़ा है। तब जाकर महिला के शव को उसक गांव तक भेजा गया।