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उत्तर प्रदेश

मोदी लहर में भी देवरिया की यह सीट हार गई थी बीजेपी, जानिए 2022 में क्या है समीकरण

Janjwar Desk
2 Dec 2021 2:08 PM GMT
मोदी लहर में भी देवरिया की यह सीट हार गई थी बीजेपी, जानिए 2022 में क्या है समीकरण
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गंगा मणि दीक्षित की रिपोर्ट

UP Assembly Elections 2022: विधानसभा चुनाव नजदीक आ गया है, प्रदेश की छोटी से लेकर बड़ी पार्टियां अपना जलवा बिखेरने को तैयार है, इस सिलसिले में आज उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक ऐसा विधानसभा सीट है जहाँ बीजेपी का खाता भी नही खुला है, देवरिया जिले में कुल सात विधानसभा सीटें हैं. इसमें भाटपार रानी विधानसभा (Bhatpar Rani Assembly) भी है. 2017 के चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है. पिछले पांच विधानसभा चुनावों में चार बार सपा को जीत मिली है. भाजपा इस सीट पर अपना खाता तक नहीं खोल सकी है. सपा, बसपा के बीच आगामी चुनाव में एक बार फिर मजबूत लड़ाई मानी जा रही है. वहीं भाजपा जातीय समीकरण देख कर दांव लगाएगी. इस चुनाव में भाजपा उन सभी सीटों पर नजर बनाये हुए है, जहां मोदी लहर में भी हार मिली थी.

अब तक भाजपा का खाता नहीं खुला

देवरिया जिले के भाटपार रानी विधानसभा (Bhatpar Rani Assembly) की सीमा बिहार राज्य से लगी हुई है. ये सीट ज्यादातर समाजवादियों के कब्जे में रही है. इस सीट पर कांग्रेस तो जीत दर्ज करा चुकी है, लेकिन भाजपा की दाल यहां नहीं गली. वैसे तो बसपा का भी खाता यहां अभी तक नहीं खुला है. लेकिन उपचुनाव की बात किया जाए तो 2007, 2012 और 2013 में इस सीट पर बसपा अपना दूसरा स्थान बनाए हुए है. विधानसभा चुनाव 2017 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आशुतोष उपाध्याय ने अपनी विरासत बचाते हुए 61,862 मत प्राप्त कर जीत हासिल किये थे। भाजपा प्रत्याशी जयनाथ कुशवाहा 50765 मत के साथ हार का सामना करना पड़ा था. बसपा से सभा कुंवर 44161 मत के साथ तीसरे स्थान पर थे.भाटपार रानी सीट पर पिछले पांच चुनावों में चार बार सपा को जीत मिली है. भाजपा इस सीट पर अपना खाता तक नहीं खोल सकी है.

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में कुल सात विधानसभा सीटें हैं. इसमें भाटपार रानी विधानसभा (Bhatpar Rani Assembly) भी है. 2017 के चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है. पिछले पांच विधानसभा चुनावों में चार बार सपा को जीत मिली है. भाजपा इस सीट पर अपना खाता तक नहीं खोल सकी है. सपा, बसपा के बीच आगामी चुनाव में एक बार फिर मजबूत लड़ाई मानी जा रही है. वहीं भाजपा जातीय समीकरण देख कर दांव लगाएगी. इस चुनाव में भाजपा उन सभी सीटों पर नजर बनाये हुए है, जहां मोदी लहर में भी हार मिली थी.

अब तक भाजपा का खाता नहीं खुला

देवरिया जिले के भाटपार रानी विधानसभा (Bhatpar Rani Assembly) की सीमा बिहार राज्य से लगी हुई है. ये सीट ज्यादातर समाजवादियों के कब्जे में रही है. इस सीट पर कांग्रेस तो जीत दर्ज करा चुकी है, लेकिन भाजपा की दाल यहां नहीं गली. वैसे तो बसपा का भी खाता यहां अभी तक नहीं खुला है. लेकिन उपचुनाव की बात की जाए किया जाए तो 2007, 2012 और 2013 में इस सीट पर बसपा अपना दूसरा स्थान बनाए हुए है. विधानसभा चुनाव 2017 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आशुतोष ने 61,862 मत प्राप्त कर जीत हासिल की थी. भाजपा प्रत्याशी जयनाथ कुशवाहा 50765 मत के साथ हार का सामना करना पड़ा था. बसपा से सभा कुंवर 44161 मत के साथ तीसरे स्थान पर थे. भाटपाररानी विधानसभा के उपचुनाव की बात किया जाय तो कामेश्वर उपाध्याय के बेटे आशुतोष उपाध्याय को गद्दी मिली थी।

2012 के चुनाव में बीमार रहे सपा नेता कामेश्वर उपाध्याय ने बसपा के सभा कुंवर को बड़े अंतर से पराजित कर दिया था. हालांकि चुनाव के कुछ ही दिन बाद कद्दावर नेता कामेश्वर का निधन हो गया. 2013 में खाली हुई सीट पर उपचुनाव हुए. इस चुनाव में कामेश्वर उपाध्याय के पुत्र आशुतोष उपाध्याय को समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया. बसपा ने सभा कुंवर कुशवाहा पर ही भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा. सपा प्रत्याशी आशुतोष उपाध्याय ने अपने पिता की सीट पर बसपा के सभा कुंवर को पराजित किया.

भाटपार रानी विधानसभा (Bhatpar Rani Assembly) में कुल मतदाताओं की संख्या 302692 है. जिसमें महिला मतदाताओं की संख्या 136737 है और पुरुष मतदाताओं की 165950 है. पिछले तीन विधानसभा चुनावों में दो बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली. जबकि एक बार कांग्रेस ने सफलता हासिल की. 2012 में समाजवादी पार्टी के कामेश्वर उपाध्याय ने 56017 मतों के साथ बहुजन समाज पार्टी के सभा कुंवर को हराकर जीत हासिल की थी. तीसरे स्थान पर कांग्रेस के विंदा रही थीं. जबकि भारतीय जनता पार्टी के राजकुमार शाही को चौथे स्थान पर रहना पड़ा था.

2007 में समाजवादी पार्टी के कामेश्वर उपाध्याय 47908 मत के साथ बहुजन समाज पार्टी के सभा कुंवर सिंह को हराया था. वहीं कांग्रेस के योगेंद्र सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे. विधानसभा चुनाव 2002 में कांग्रेस के कामेश्वर उपाध्याय ने समाजवादी पार्टी के हरिवंश सहाय को हराने में सफलता हासिल की थी. कुल मिलाकर अगर ये कहा जाय कि ये सीट उपाध्याय खानदान के लिए फिक्स है, मोदी लहर हो या समाजवादी लहर, मायावती लहर हो या मौर्या लहर लेकिन इस शीट पे अगर कोई लहर काम करता है तो बिरासतन कामेश्वर उपाध्याय और उनके खानदान का ही लहर चलता आया है,

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