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राजनीति

मोदी ने बंगाल की हार का ऐसे लिया बदला, यूपी परिषदीय स्कूलों की लाखों किताबों में राष्ट्रगान से उत्कल बंग गायब, कांग्रेस ने दी इस बात की चेतावनी

Janjwar Desk
11 Sep 2022 2:14 AM GMT
मोदी ने बंगाल की हार का ऐसे लिया बदला, यूपी परिषदीय स्कूलों की लाखों किताबों में राष्ट्रगान से उत्कल बंग गायब, कांग्रेस ने दी इस बात की चेतावनी
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मोदी ने बंगाल की हार का ऐसे लिया बदला, यूपी परिषदीय स्कूलों की लाखों किताबों में राष्ट्रगान से उत्कल बंग गायब, कांग्रेस ने दी इस बात की चेतावनी

UP News : यूपी परिषदीय स्कूलों की ढाई लाख सरकारी किताबों में राष्ट्रगान ( National Anthem ) से उत्कल बंग शब्द गायब होने का मामला सामने आने के बाद कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ हमला बोल दिया है। साथ ही आंदोलन छोड़ने चेतावनी दी है।

UP News : उत्तर प्रदेश ( Uttar pradesh ) के परिषदीय स्कूलों की लाखों किताबों ( Government School Books ) में प्रकाशित राष्ट्रगान ( Rashtragan ) से उत्कल बंग यानि बंगाल ( Bengal ) शब्द गायब होने से सियासी बवाल मच गया है। कांग्रेस ( Congress ) ने इस मसले को लेकर योगी सरकार ( Yogi government ) के खिलाफ आंदोलन छोड़ने की चेतावनी दी है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ( Modi government ) ने ऐसा कर बंगाल विधानसभा में मिली हार का बदला लिया है।

कौशांबी ( Kaushambi ) कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अरुण विद्यार्थी ने कहा कि भाजपा ( BJP ) बंगाल हार का दर्द भुला नहीं पा रही है। इस कारण उसने राष्ट्रगान ( national anthem ) की पंक्तियों से उत्कल और बंग राज्य का नाम जान-बूझ कर नहीं छपवाया। हम इस पर आंदोलन चलाएंगे। वहीं विवाद बढ़ने पर कौशांबी के बीएसए प्रकाश सिंह ने कहा कि यह प्रिंटिंग मिस्टेक है। किताब में राष्ट्रगान की लाइन में गलती हुई है। आमतौर पर यह प्रिंट की गड़बड़ी मानी जाती है। चूंकि राष्ट्रगान वाले चैप्टर में ऐसी गलती हुई है, इसलिए इसकी जांच कराई जाएगी। शासन ने ये किताबें कौशांबी के परिषदीय विद्यालय में भेजी हैं। सिर्फ कौशांबी जिले की बात की जाए तो 1089 परिषदीय विद्यालय हैं। इनमें 1 से 8वीं तक 1 लाख 82 हजार छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं।

जिस किताब में गलत राष्ट्रगान ( National Anthem ) छपा है उसका नाम वाटिका है। यह कक्षा-5 में पढ़ाई जाती है। इस किताब के आखिरी पेज पर राष्ट्रगान लिखा है। इसमें पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा-द्राविड़ उत्कल बंग में से उत्कल बंग शब्द नहीं है। फिर सीधे 5वीं लाइन विंध्य-हिमाचल-.यमुना-गंगा शुरू है। यह गलती एक-दो किताबों में नहीं बल्कि 5वीं की सभी किताबों में है। इस मामले में परिषदीय स्कूलों के अध्यापकों का कहना है कि यह गलती किताब प्रिंटिंग में हुई है। यह एक गंभीर मसला है। बेसिक शिक्षा अधिकारी को किताबें वितरित होने से पहले इस पर ध्यान देना चाहिए था।

प्राइमरी स्कूल हिसामपुरमें भी राष्ट्रगान से उत्कल और बंग प्रान्त गायब होने वाली किताबें वितरित की गई है। बच्चों ने बताया कि उन्हें अब.तक पता ही नहीं था कि उनकी किताब से दो प्रान्त के नाम गायब हैं। अभी देखा तो पता चला हम राष्ट्रगान गाते हैंए तो याद है। इसलिए उत्कल बंग लगा कर बोलते हैं। स्कूल के अध्यापक का कहना है कि राष्ट्रगान से बंगाल प्रान्त का नाम हटाने का मतलब राष्ट्रगान की मूल भावना को ही खत्म कर देना है।

यूपी के कौशांबी जिले के परिषदीय प्राइमरी स्कूल औधन के बच्चे और टीचर अब तक इस बात से अनजान थे कि उनकी पाठ्य.पुस्तक से राष्ट्रगान की पंक्तियों ने बंग प्रान्त यानि पश्चिम बंगाल गायब है। टीचर के मुताबिक यह तो वही बात हुई कि जिस प्रदेश के रचयिता ने राष्ट्रगान रचा और उसे पहली बार जिस भाषा में बोला गया बुक से उसी को गायब कर राष्ट्रगान गायब कर दिया गया है। यह तो राष्ट्रगान से उसकी आत्मा को अलग करने जैसा काम है।

हमने तो केवल कवर पेज छापी है

क्लास 5 की हिंदी की वाटिका नामक यह किताब मथुरा के प्रमोद प्रिंटर के यहां पब्लिश हुई। इसका विवरण किताब पर दर्ज है। दैनिक भास्कर की टीम ने जब इस प्रिंटिंग प्रेस की तलाश की तो यह प्रेस मथुरा के मसानी इलाके में स्थित मोक्ष धाम के नजदीक मिली। यहां इसके मालिक प्रमोद गुप्ता ने बताया कि उनके द्वारा केवल इसका कवर पेज छापा गया है।

प्रमोद प्रिंटर्स के मालिक प्रमोद गुप्ता ने बताया कि उन्होंने पूरी किताब नहीं छापी केवल कवर पेज छापा था। प्रमोद गुप्ता ने बताया कि यह ऑर्डर उनको बेसिक शिक्षा विभाग से नहीं बल्कि मथुरा के ही हाईटेक प्रिंटर ने दिया था। इसके बाद वहां से प्लेट आई जिसे छाप दिया गया।

अब उत्कल बंग की जगह पर चिपकाये जा रहे स्टीकर

किताब के प्रिंटिग में हुई इस गलती को दूर करने के लिए अब उत्कल बंग लिखे शब्द के स्थान पर स्टीकर चिपकाये जा रहे हैं। इनको उस जगह लगा दिया जाएगा जहां से उत्कल बंग शब्द मिस प्रिंट है। प्रिंटिंग प्रेस के मालिक प्रमोद गुप्ता ने बताया कि यह हो सकता है कि हाई टेक प्रिंटर वालों के यहां कोई मानवीय भूल हो गई हो। बाकी इस शब्द को न छापने का ऐसा कोई भी उद्देश्य नहीं था।

15 लाख में से ढाई लाख किताबों में मिस प्रिंट की घटना आई सामने

बता दें कि परिषदीय शिक्षा विभाग ने 15 लाख किताब छापने का ऑर्डर दिया था। इसमें से ढाई लाख किताब में यह मिस प्रिंटिंग हुई है। जब इस गलती की जानकारी हुई तब पता किया गया कि यह गलती कितनी किताबों में हुई। जांच में पता चला कि यह मिस प्रिंट ढाई लाख किताबों में है। फिलहाल इस गलती को दूर करने के लिए प्रिंटिंग प्रेस के लोग उस शब्द के स्टीकर छाप रहे हैं जिसकी वजह से यह बखेड़ा खड़ा हुआ है।

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