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इलाहाबाद विवि पर गाने से ट्रोल हुईं नेहा राठौर तो बोलीं संविधान के खिलाफ नहीं विश्वविद्यालय के मठाधीशों की आलोचना
जनज्वार। इलाहाबाद विश्वविद्यालय पर गाने के बाद चर्चित गायिका नेहा सिंह राठौर सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स के निशाने पर आ गई हैं। उन पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय की संस्कृति को अपमानित करने के कथित तौर पर आरोप लगाए जा रहे हैं। लेकिन नेहा ने अपनी सिसिलेवार फेसबुक पोस्ट के जरिए करारा जवाब दिया है। नेहा का कहना है कि जिस तरह राजनीतिज्ञों की आलोचना लोकतंत्र और संविधान की आलोचना नहीं है, उसी तरह विश्वविद्यालय के मठाधीशों की आलोचना विश्वविद्यालय की आलोचना नहीं है।
एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'जिस तरह राजनीतिज्ञों की आलोचना लोकतंत्र और संविधान की आलोचना नहीं है। उसी तरह विश्वविद्यालय के मठाधीशों की आलोचना विश्वविद्यालय की आलोचना नहीं है। बस धागे भर का फर्क है भइया।'
एक दूसरे फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'मेरी बात ध्यान से सुनिए। मैं गलत को गलत कहूँगी, सौ बार कहूँगी। अनफॉलो करने का डर दिखाकर आप मेरी आवाज नहीं दबा सकते। फॉलोवर बढ़ना, व्यू बढ़ना, ये सब मामूली बातें हैं। असल उद्देश्य आलोचना करते हुए कमियों को उजागर करना है। बिना कमियों को स्वीकार किये, सुधार सम्भव नहीं है। शेष आप स्वयं समझदार हैं।'
इससे पहले नेहा ने लिखा, 'आपको इतना भावुक होने की आवश्यकता नहीं है। क्यों बात-बात पर आहत हो जाते हैं? जिस इलाहाबाद विश्वविद्यालय की संस्कृति को अपमानित करने का आरोप आप मुझपर लगा रहे हैं, वो निश्चित रूप से महान हुआ करता था, विश्वविद्यालय को 'ऑक्सफ़ोर्ड ऑफ ईस्ट' भी कहा जाता था; पर अब ऐसा कुछ भी नहीं है।
'एक ऐतिहासिक बुलंद इमारत में डिग्री कॉलेज बनकर रह गया है इलाहाबाद विश्वविद्यालय और इसके जिम्मेदार हैं कुछ ऐसे 'समझदार' लोग, जो बिना बात, बात-बात पर आहत होने का स्वांग करते हैं, और विश्वविद्यालय के मूल्यों को नष्ट करते हैं। University stands for universal ideas के मूल को भूलकर, हर शाखा के एक वृक्ष बनने की क्षमता की काट-छाँट करने के बाद अगर आप उम्मीद करते हैं कि ये प्यारा विश्वविद्यालय अपनी खोई हुई गरिमा वापस पा सकेगा, तो भरोसा कीजिये, आप गलत सोच रहे हैं।'
नेहा ने यह बात भी कही है कि कुछ इंटरनेट ट्रोलर्स के द्वारा उनकी प्रोफाइल को रिपोर्ट किया जा रहा है। एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'आपके सहयोग की जरूरत है। कुछ लोग इलाहाबाद विश्वविद्यालय पर लिखे और गाये गए मेरे गीत के चलते मेरी पोस्ट को रिपोर्ट कर रहे हैं। हाँ, ये एकदम सच है कि मैं आलोचनात्मक अंदाज में अपनी बात रखती हूँ। पर मेरे भाई, एक बार फ़र्ज़ी गर्वोन्माद से बाहर आकर सोचो! खैर, मेरी सहायता कीजिये, मेरी प्रोफाइल रिपोर्ट की जा रही है। देखिये क्या हो सकता है!'