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उत्तर प्रदेश

Pilibhit News: लावारिस शवों के वारिस अरुण दास चंचल का सड़क हादसे में निधन

Janjwar Desk
16 Jan 2022 5:00 PM GMT
Pilibhit News: लावारिस शवों के वारिस अरुण दास चंचल का सड़क हादसे में निधन
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Pilibhit News: लावारिस शवों के वारिस अरुण दास चंचल का सड़क हादसे में निधन

Pilibhit News: ‘घर से निकलो तो पता जेब में रखकर निकलो, हादसे चेहरे की पहचान मिटा देते हैं।’ यातायात पर एक शायर का यह शेर बहुत सटीक है। जी हां रविवार को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जनपद पीलीभीत (Pilibhit) में हुए भीषण हादसे में शहर के प्रमुख समाजसेवी, लावारिस शवों के वारिस व बंगाली स्वीट्स के मालिक अरुण दास चंचल (Arun Das Chanchal) का निधन हो गया।

पीलीभीत से निर्मल कांत शुक्ल की रिपोर्ट

Pilibhit News: 'घर से निकलो तो पता जेब में रखकर निकलो, हादसे चेहरे की पहचान मिटा देते हैं।' यातायात पर एक शायर का यह शेर बहुत सटीक है। जी हां रविवार को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जनपद पीलीभीत (Pilibhit) में हुए भीषण हादसे में शहर के प्रमुख समाजसेवी, लावारिस शवों के वारिस व बंगाली स्वीट्स के मालिक अरुण दास चंचल (Arun Das Chanchal) का निधन हो गया। मौके पर काफी देर तक लावारिसों की तरह उनकी लाश पड़ी रही। जैसे ही सोशल मीडिया पर मौके की फोटो और वीडियो वायरल हुए तो जिले भर में अरुण दास चंचल के निधन की खबर से कोहराम मच गया।


यूपी के जिला पीलीभीत के थाना माधोटांडा (Police Station Madhotanda) क्षेत्र में आल्टो कार बाइक की भीषण टक्कर से दोनों वाहनों के परखच्चे उड़ गए, जिसमें एक गंभीर रूप से घायल हो गया, वहीं दूसरे की घटनास्थल पर मौत हो गई। जानकारी के अनुसार माधोटांडा रोड पर सिद्ध बाबा स्थल के पास आल्टो कार और पल्सर बाइक की भीषण टक्कर हो गई। बाइक पर सवार दो युवकों में से एक युवक की मौके पर ही हेड इंजरी से मौत हो गई। कार और मोटरसाइकिल के परखच्चे उड़ गए। हादसा होते ही उधर से गुजर रहे तमाम राहगीर मौके पर इकट्ठे हो गए। ट्रैफिक रुक गया। हादसे में मरने वाले युवक का चेहरा खून से लथपथ होकर बिगड़ गया था, इस कारण लोग समझ नहीं पा रहे थे कि मरने वाला कौन है। कुछ राहगीरों ने आनन-फानन में मौके के फोटो खींचे और वीडियो बनाया जिसे सोशल मीडिया पर डाल दिया। सोशल मीडिया पर हादसे के फोटो वायरल होते ही पूरे जनपद में खबर फैल गई कि बंगाली स्वीट्स के मालिक व प्रमुख समाजसेवी अरुण दास चंचल (52) का निधन हो गया।

अरुण दास चंचल का पीलीभीत नगर में चूड़ी वाली गली में बंगाली स्वीट्स के नाम से बड़ा प्रतिष्ठान है। पल्सर मोटरसाइकिल पर उनके साथ जो दूसरा युवक मोसीन अंसारी पुत्र लईक अहमद मोहल्ला मदीनाशाह थाना कोतवाली था, वह गंभीर रूप से घायल हो गया। हादसा होते ही कार चालक मौके से फरार हो गया। राहगीरों ने स्थानीय पुलिस को सूचना दी, सूचना पाते ही मौके पर पहुँची पुलिस ने शव को कब्जे मे लेकर आनन फानन मे जिला अस्पताल पहुंचाया। बताते हैं कि रविवार को देर शाम पीलीभीत की तरफ से आ रही आल्टो कार औऱ माधोटांडा की ओर से आ रही पल्सर बाइक की जोरदार टक्कर हो गई।

लावारिस शवों की कराते थे अंत्येष्टि

जिसका कोई नहीं उसके थे अरुण दास चंचल। चंचल पूरे जनपद में किसी परिचय के मोहताज नहीं थे। जब भी किसी भी पुलिस थाने के क्षेत्र में किसी भी लावारिस की ठंड आदि में मौत हो जाती थी या फिर हादसे के बाद किसी लावारिस की पहचान नहीं हो पाती थी तो पुलिस अंतिम संस्कार के लिए अरुण दास चंचल के पास चली आती थी। चंचल अंत्येष्टि का सारा इंतजाम करके मुक्ति धाम को पहुंच जाते थे और न जाने कितने लावारिसों का मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया।


कोरोना में देवदूत बनकर मदद को आगे आए

वैश्विक महामारी कोरोना की पहली और दूसरी लहर में जब लोगों का उनके अपनों ने साथ छोड़ दिया तब जिले में मदद के लिए अगर किसी ने हाथ बढ़ाया तो वह थे अरुण दास चंचल। अरुण किसी गरीब की कुटिया पर कच्चा राशन लिए खड़े दिखते थे, कभी वह किसी मोहल्ले में गरीबों को पका हुआ भोजन बांटते नजर आते थे। उन्हें बस पता चल जाए कि फलां परिवार गरीब है और उसकी मदद करनी है तो वह सारा काम छोड़ कर पहुंच जाते थे। कभी किसी से अपनी समाज सेवा में एक रुपए का भी चंदा नहीं मांगते थे। जो भी खर्च करना होता था, स्वयं अपनी जेब से खर्च करते थे। उनकी समाज सेवा के सभी कायल थे। कई मौकों पर उनको पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों तथा सामाजिक संस्थाओं ने समाज सेवा के लिए उत्कृष्ट कार्य करने पर सम्मानित भी किया।

गरीब कन्याओं के विवाह में भी करते थे मदद

चंचल ने सैकड़ों गरीब कन्याओं के विवाह में भी आर्थिक मदद की। उनको कहीं से भी किसी भी गरीब परिवार में कन्या के विवाह की खबर मिल जाती थी, तो स्वयं पहुंच जाते थे और परिवार की नगद आर्थिक मदद के साथ-साथ तमाम उपहार आदि लेकर पहुंचते थे। हर किसी के लिए उनके मन में सम्मान और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करने को तत्पर रहते थे। आर्थिक रूप से कमजोर कई बच्चों की पढ़ाई का भी जिम्मा उठाए हुए थे।

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