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Pilibhit News : कोर्ट में साथी को पीटने में आरोपी चारों वकीलों को नहीं मिली बेल, चले गए जेल, यह था पूरा मामला
पीलीभीत से निर्मल कांत शुक्ल की रिपोर्ट
Pilibhit News : उत्तर प्रदेश (Uttarpradesh) के जनपद पीलीभीत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) के न्यायालय में दलित साथी की पिटाई के मामले में नामजद चार अधिवक्ताओं को विशेष न्यायाधीश (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम (Spl. Judge (SC/ST Act.) ने उनके अंतरिम जमानत (Anticipatory Bail) प्रार्थना पत्र खारिज कर उनको जेल भेज दिया। उनके जमानत प्रार्थना पत्र (Regular Bail Application) पर 26 जुलाई को सुनवाई होगी।
विशेष न्यायाधीश (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम श्रीमती शिवा पांडे के न्यायालय में शुक्रवार दोपहर अधिवक्ता तारिक अली बेग, अधिवक्ता नाहिद खां, अधिवक्ता मोहम्मद जावेद, विधि छात्र इमरान चिश्ती ने आत्मसमर्पण कर दिया। इन चारों के अंतरिम जमानत के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की गई। आरोपी पक्ष की ओर से सिविल बार एसोसिएशन की अध्यक्ष स्नेह लता तिवारी, संयुक्त बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबूराम शर्मा, युसूफ अली आदि ने बहस की जबकि संयुक्त बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अश्विनी कुमार अग्निहोत्री व विकास शर्मा ने वादी सूरजपाल गौतम की ओर से बहस करते हुए अंतरिम जमानत का विरोध किया। विशेष न्यायाधीश ने बहस सुनने के उपरांत आरोपी चारों अधिवक्ताओं के अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिए। चारों अधिवक्ताओं को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया। उनके जमानत प्रार्थना पत्र (Regular Bail Application) पर 26 जुलाई को सुनवाई होगी। आरोपी पांचवें अधिवक्ता नदीम कुरैशी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राहत दे रखी है। उन पर 28 जुलाई तक किसी भी तरह की प्रपीड़क कार्रवाई पर उच्च न्यायालय में रोक लगा दी है, इसीलिए अधिवक्ता नदीम कुरैशी ने न्यायालय में ना तो आत्म समर्पण किया और ना ही पुलिस उनकी अभी गिरफ्तारी कर रही।
छावनी में तब्दील रहा जजी परिसर
पैगंबर मोहम्मद साहब पर टिप्पणी के मामले को लेकर घटित घटना में अधिवक्ताओं के दो खेमों में बंटे होने से स्थिति तनावपूर्ण मानकर आरोपी अधिवक्ताओं के आत्मसमर्पण की सूचना पर पूरा जजी परिसर शुक्रवार को छावनी में तब्दील रहा। भारी मात्रा में पुलिस फोर्स व पीएसी ना सिर्फ जजी परिसर बल्कि विशेष न्यायाधीश (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम श्रीमती शिवा पांडे के न्यायालय के बाहर भी तैनात रहा।
हालात पर निगरानी को मौजूद रहे एएसपी
न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) के न्यायालय में दलित साथी की पिटाई के मामले में नामजद चार अधिवक्ताओं के आत्मसमर्पण के दौरान जब अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र पर विशेष न्यायाधीश (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम श्रीमती शिवा पांडे के न्यायालय में सुनवाई चल रही थी तो उस दौरान अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. पवित्र मोहन त्रिपाठी, पुलिस क्षेत्राधिकारी (नगर) सुनील दत्त, शहर कोतवाल हरीश वर्धन सिंह व कई थानों के प्रभारी निरीक्षक तब तक मौजूद रहे, जब तक न्यायालय ने अपना फैसला नहीं सुना दिया। शुक्रवार को अपराहन 2:30 बजे अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र पर फैसला आते ही शहर कोतवाल हरीश वर्धन सिंह चारों आत्मसमर्पण करने वाले अधिवक्ताओं को अपनी गाड़ी में बिठा कर झटपट जजी परिसर से निकल गए। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अपर पुलिस अधीक्षक और पुलिस क्षेत्राधिकारी की भी गाड़ी आगे पीछे चल रही थी।
यह था पूरा मामला
सदर कोतवाली में दर्ज रिपोर्ट में अधिवक्ता सूरजपाल गौतम ने कहा कि वह 20 जून की दोपहर 1 बजे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में पेशी के दौरान मौजूद था। राहुल सक्सेना की जमानत के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई चल रही थी, तभी मोहम्मद जावेद एडवोकेट, विधि छात्र इमरान चिश्ती निवासी पूरनपुर, तारिक अली बेग एडवोकेट, नदीम कुरैशी एडवोकेट तथा नाहिद खान एडवोकेट व 20 अन्य अज्ञात लोग राहुल सक्सेना को गालियां दे रहे थे। जब इस बात का विरोध किया तथा बीच-बचाव करने का प्रयास किया तो इन सभी लोगों ने उनको भी जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए गालियां दी और कहा कि साले बहुत बड़ा नेता बनता है। तेरी सारी नेतागिरी निकाल देंगे और जान से मारने की नीयत से गला दबाकर हत्या का प्रयास किया और बोले- आज इसे जान से मार देते हैं। अन्य अधिवक्ताओं के हस्तक्षेप करने पर सभी लोग शांत हुए।
कोतवाली पुलिस ने अधिवक्ता सूरजपाल गौतम की तहरीर पर अधिवक्ता मोहम्मद जावेद, विधि छात्र इमरान चिश्ती, अधिवक्ता तारिक अली बेग, अधिवक्ता नदीम कुरैशी, अधिवक्ता नाहिद खां व अन्य अज्ञात लोगों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 307, 504, 506, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम 1989 (संशोधन 2015) 3(1) (द), अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम 1989 (संशोधन 2015) 3(1) (ध), अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम 1989 (संशोधन 2015) 3(2) (वी) के अंतर्गत अभियोग दर्ज किया। इस मुकदमे की विवेचना पुलिस क्षेत्राधिकारी (नगर) सुनील दत्त कर रहे हैं।
घटना की वजह पैगंबर साहब पर टिप्पणी !
करीब एक माह पहले सोशल मीडिया पर पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को लेकर पूरनपुर के अधिवक्ता राहुल सक्सेना पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा था, तब पुलिस ने अधिवक्ता राहुल सक्सेना पर मुकदमा दर्ज कर उनका चालान करके जिला मुख्यालय पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में 20 जून को पेश किया था। राहुल सक्सेना की जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के दौरान मामले को लेकर अधिवक्ता दो खेमों में बंट गए थे। आरोप है कि इसी दौरान अधिवक्ता मोहम्मद जावेद, विधि छात्र इमरान चिश्ती, अधिवक्ता तारिक अली बेग, अधिवक्ता नदीम कुरैशी, अधिवक्ता नाहिद खां व अन्य अज्ञात लोगों ने अधिवक्ता सूरजपाल गौतम को अदालत में ही गिरा कर उनका गला दबाते हुए उनकी हत्या का प्रयास किया और गाली गलौज किया।