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पिता की मौत के बाद शिक्षक बेटे की भी कोरोना से मौत, 6 घंटे तक घर में पड़ी रही लाश
photo : social media
जनज्वार, गोरखपुर। बेकाबू होते कोरोना केसों के बीच ऐसी-ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जिन्हें सुनकर रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं। कोरोना में न केवल इंसानियत शर्मसार हुई है, बढ़ती मौतों ने लोगों को तोड़कर रख दिया है।
उत्तर प्रदेश में ऐसी एक घटना सामने आयी है, जो मानवता को भी शर्मसार करती है। जानकारी के मुताबिक पिता की मौत के बाद कोरोना पॉजिटिव शिक्षक बेटे ने भी दम तोड़ दिया। जब लाश अस्पताल से घर पहुंची तो कोरोना के खौफ से पड़ोसियों ने अपने दरवाजे बंद कर लिए। किसी ने मृतक के घर के भीतर झांका भी नहीं। लाश को कंधा देने के लिए 4 कंधे तक नहीं मिल पाये। घंटों बाद प्रशासन ने शव वाहन भिजवाया, जिसके बाद लाश का अंतिम संस्कार हो पाया।
जानकारी के मुताबिक मृतक शिक्षक के भाई और भतीजे भी कोविड पॉजिटिव हैं। एक भाई की हालत बहुत गंभीर बनी हुई है। लाश को कंधा देने वाले चार लोग भी नहीं मिल पाये। अंतिम क्रिया कर्म कैसे किया जाये, परिजनों को यह तक समझ में नहीं आ रहा था। जब इस घटना की जानकारी दूसरे मोहल्ले के एक व्यक्ति को हुई तो उसने पुलिस प्रशासन को सूचना दी और छह घंटे बाद शव वाहन शिक्षक के घर पर पहुंचा। पहले पिता को मुखाग्नि देने वाले संक्रमित भाई ने राप्ती तट पर शिक्षक का भी अंतिम संस्कार किया।
बेकाबू होते कोरोना के बीच इंसानियत को हिलाकर रख देने वाली यह घटना गोरखपुर शहर के रामजानकी नगर की है। जानकारी के मुताबिक 12 अप्रैल को कॉलोनी में रहने वाले रिटायर बिजली कर्मचारी के घर पहली बार मौत ने दस्तक दी थी। रिटायर बिजलीकर्मी जिनकी मौत हुई, उनका कोरोना टेस्ट भी हुआ था, हालांकि रिपोर्ट नेगेटिव आयी थी, मगर सारे लक्षण कोरोना वाले थे। पिता की मौत के बाद शिक्षक बेटे ने अपनी और दोनों भाइयों और बच्चों की 11 अप्रैल को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कोरोना जांच कराई थी, जिनकी रिपोर्ट पिता की मौत के एक दिन बाद पॉजिटिव आयी। पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद पूरा परिवार होम आइसोलेशन में था।
पिता की मौत से अभी परिवार उबर भी नहीं पाया था कि गुरुवार 15 अप्रैल की देर रात शिक्षक की हालत भी बिगड़ गई। शुक्रवार 16 अप्रैल की सुबह संक्रमित भाई और भतीजे उन्हें ऑटो से एचएन सिंह चौराहे के पास स्थित एक निजी अस्पताल में ले गये, जहां डॉक्टर ने मरा हुआ घोषित कर दिया। परिवार डॉक्टर की जांच से संतुष्ट नहीं हुआ और उन्हें बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां कोविड हॉस्पिटल के सामने एंबुलेंस ड्यूटी में तैनात टेक्नीशियन ने भी बता दिया कि शिक्षक की मौत हो चुकी है। इसके बाद सुबह करीब 7 बजे शव लेकर परिवार घर आ गया। जैसे ही शिक्षक की लाश घर पहुंची पड़ोसियों ने हाल लेना तो दूर की बात, अपनी खिड़कियां-दरवाजे तक बंद कर दिये।
दोपहर तक शिक्षक की लाश घर में पड़ी रही। लाश को कांधा देने के लिए चार लोग भी नहीं मिल पा रहे थे। इस बीच कोतवाली क्षेत्र में रहने वाले विजय श्रीवास्तव को जब घटना की जानकारी हुई तो भाई के संक्रमित होने से खुद को आइसोलेट करने वाले विजय ने फोन से प्रशासन को इस घटना के बारे में बताया। दोपहर करीब एक बजे प्रशासन काक शव वाहन शिक्षक की लाश लेने पहुंचा औरपिता को मुखाग्नि देने वाले कोरोना संक्रमित बड़े भाई ने ही छोटे भाई का अंतिम संस्कार किया।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक पिता की मौत के बाद सभी क्रिया-कर्म के काम शिक्षक खुद देख रहे थे। घर के अंदर और बाहर का काम उन्हीं के जिम्मे था। मृतक शिक्षक के परिवार में तीन महिलाएं तीनों भाइयों की पत्नियां और पांच बच्चों समेत 10 सदस्य हैं। शिक्षक के भी दो बच्चे हैं, बड़ा बेटा करीब दस साल का है। चार दिन में ही घर में दो मौतों के बाद से पूरा परिवार डरा-सहमा हुआ है।
शिक्षक के पिता और शिक्षक की मौत की इस घटना ने प्रशासन के इंतजामों की पोल भी खोलकर रख दी है। दो से अधिक संक्रमित होने पर एरिया को कंटेनमेंट जोन में तब्दील करने का आदेश योगी सरकार द्वारा पारित किया गया था, मगर पूरा परिवार संक्रमित होने के बावजूद यह इलाका कंटेनमेंट जोन में नहीं बदला गया था। 2 मौतों के बाद जब तहसीलदार को इस घटना की जानकारी हुई तो उन्होंने घर के आसपास छिड़काव करा गली को बांस-बल्ली से घेर कर कंटेनमेंट जोन में तब्दील कराया है।