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Exclusive : चोरी की बोलेरो चलवा रही थी यूपी पुलिस, पता चलने पर पीड़ितों पर बना रही दबाव
मनीष दुबे की रिपोर्ट
देवरिया। उत्तर प्रदेश में पुलिस के मंसूबे और भंगिमाएं अब शायद भगवान भी न समझ पाए इंसान तो पहले ही इनके आगे तुच्छ हो चुका है। मामला देवरिया का है। जहां के एक थानान्तर्गत घर के बाहर से चोरी हुई बोलेरो कार को पुलिसवाले ही साल भर से अधिक समय तक चलवाते रहे और जब पीड़ितों को इसकी भनक लगी तो भगवान समान खाकीधारियों ने अर्दब में लेकर गाड़ी ठीक करवाकर रिलीज करा लेने की बात कह रहे हैं।
पुलिस द्वारा गाड़ी चलवाये जाने पर अनीता देवी के पुत्र विकास यादव कहते हैं, 'मैं अपने कॉलेज के किसी काम से निकला था तो मुझे अपनी चोरी हुई गाड़ी तवारत अहमद के गैरेज पर नजर आयी, फिर भी इस बात की पुष्टि के लिए मैंने सारी चीजें चैक की, वो हमारी ही गाड़ी थी। मैंने जब मिस्त्री से इसके बाबत पूछा तो जानकारी मिली कि यह गाड़ी बनकटा पुलिस की है। आखिर हमारी चोरी हुई गाड़ी बनकटा पुलिस की कैसे हो सकती थी।'
विकास आगे कहते हैं, 'अब जिस मिस्त्री ने हमें यह बताया कि यह गाड़ी बनकटा पुलिस की है, उसे परेशान किया जा रहा है। हमारी गाड़ी के काफी पार्ट गायब कर दिये गये हैं, ताकि पहचान में न आ पाये। हमने पुलिस से मांग की कि या तो तवारफ गैरेज पर चोरी की कार्रवाई करे कि हमारी गाड़ी उसकी दुकान पर कैसे पहुंची, या फिर बनकटा पुलिस बताये कि वह ये गाड़ी कैसे चलवा रही थी,जबकि हमारी गाड़ी की चोरी की रिपोर्ट पहले से दर्ज थी।'
दरअसल देवरिया की मझौलीराज नगर पंचायत के बड़ग टोला के वार्ड नम्बर 11 के निवासी राजेश यादव पुत्र हीरा यादव ने कोतवाली सलेमपुर में एक प्रार्थना पत्र दिया था। 7 अप्रैल 2019 को दिए गए प्रार्थनापत्र में मामला बोलेरो चोरी से संबंधित था। पत्र के मुताबिक राजेश के जीजा रामकृष्ण यादव निवासी बसडीलवा थाना खुखन्दु की बोलेरो up52v8551 अप्रैल 5/6, 2019 की रात 2 बजे घर के बाहर से चोरी हो गई थी।
रामकृष्ण यादव की बोलेरो उनकी पत्नी अनिता देवी के नाम पर रजिस्टर्ड थी। गाड़ी चोरी के बाद इन लोगों ने बोलेरो सहित चोरों का पीछा भी किया पर वो भागने में कामयाब रहे। पीड़ितों ने 7 अप्रैल को सलेमपुर कोतवाली में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद कोतवाली पुलिस ने एफआईआर नम्बर 93/2019 की धारा 379 यानी चोरी में मुकदमा दर्ज किया था। मुकदमा दर्ज करने के बाद भी पुलिस ना बोलेरो खोज पाई और ना ही चोर।
चोरी गई बोलेरो को पीड़ितजन ढूंढ-ढूंढकर थक गए, पर कोई अता-पता नहीं चला। बात बीतते बीतते साल बदल गया, जिसके बाद अक्टूबर 17/2020 को रामकृष्ण के बड़े भाई प्रमोद यादव किसी काम से सोहनपुर से लौटकर घर आ रहे थे। रास्ते मे उन्होंने अपनी चोरी गई बोलेरो up52v8551 को थाना बनकटा निवासी मैकेनिक तवारत अहमद पुत्र अमीन अहमद की गैराज में खड़ी देखी। प्रमोद ने इस बात की सूचना रामकृष्ण को दी।
मैकेनिक तवारत अहमद की गैराज में अपनी चोरी गई बोलेरो की सूचना पीड़ितों ने थाना बनकटा में जाकर दी। जिसके बाद वहां से उन सभी को सलेमपुर का दर्ज मामला बताकर जाने की बात कही गई। पीड़ित सलेमपुर कोतवाली पहुंचे। बोलेरो से संबंधित बात बताई तो एक दारोगा ने गैराज जाकर गाड़ी खिंचवा ली और कोतवाली थाने में लाकर खड़ी कर दी।
बोलेरो अब कोतवाली में खड़ी है। गाड़ी का इंजन, पहिया इत्यादि सबकुछ निकालकर बेच दिया गया है, ताकि यह किसकी है पहचान मिट जाए। पीड़ित बार-बार थाने के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन पुलिस एक वर्ष से अधिक बीत जाने पर ना चोर पकड़ सकी और ना ही पीड़ितों को वाहन ही दे रही है।
चोरी की बोलेरो पुलिस वालों द्वारा ही चलवाने वाले मामले में वरिष्ठ समाजसेवी चतुरानन ओझा कहते हैं कि 'पुलिस आजकल बहुत कुछ कर रही है। ये लोग जितने भी खेल करें कम हैं। अब बताइए कि किसी की घर के बाहर से चोरी गई बोलेरो थाना बनकटा की पुलिस चलवा रही है, खुद पुलिस उसमें बैठकर घूम रही है। तभी तो 18 महीने बीत जाने के बाद भी इन लोगों को ना गाड़ी मिली और ना ही चोर।'
इस संबंध में जब जनज्वार संवाददाता ने थाना बनकटा के थानेदार पर लगे आरोप पर उनका पक्ष जानने के लिए फोन किया। हमने उनसे बोलेरो चोरी से लेकर अब तक के पूरे घटनाक्रम पर उनका पक्ष जानना चाहा और ह कहा कि चोरी की बोलेरो आप चलवा रहे थे, ऐसा आरोप है। तो थानेदार साहब हमारी बात सुनकर तुरन्त ड्राइवर बन गए और बोले कि 'साहब अभी किसी जरूरी मीटिंग में हैं, 40 मिनट बाद आपसे बात करवाता हूं।'
सवा घण्टे बाद फिर से फोन किया तो एक बार उठाकर काट दिया गया। फिर दोबारा कई बार मिलाने पर उठा ही नहीं। हमने जिले के एसपी को फोन लगाया, पर वहां भी रिंग जाती रही, मगर किसी ने फोन नहीं उठाया।
यूपी पुलिस के जिम्मेदारी अधिकारी ऐसा तब कर रहे हैं, जबकि योगी आदित्यनाथ का आदेश है कि अब हर अफसर अधिकारी चाहे वह एसपी हो अथवा डीएम अपना फोन खुद उठायेगया, और उठाना भी पड़ेगा। लेकिन हुआ उसका उल्टा। पहले कुछ अधिकारी—पुलिसकर्मी फोन उठा भी लेते थे, मगर अब आरोपों से बचने के लिए पुलिसकर्मियों की सिर्फ रिंग बजती है। उल्टा आलाधिकारी तो छोड़िये थानेदार तक चोरी की बोलेरो चलवा रहे हैं अैर ये सब शायद योगीराज में ही संभव हो।