Prayagraj News: कंधे पर बाप ले गया शव तो प्रयागराज की स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल, 4 एंबुलेस-शव वाहन चलाने के लिए सिर्फ एक ड्राइवर
Prayagraj News: कंधे पर बाप ले गया शव तो प्रयागराज की स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल, चार एंबुलेस-शव वाहन चलाने के लिए सिर्फ एक ड्राइवर
Prayagraj News: यूपी में प्रयागराज के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल(SRN) में मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं की बानगी कुछ इस प्रकार की देखने को मिली। अस्पताल में चार एंबुलेंस और एक शव वाहन है। लेकिन इसे चलाने के लिए एक ही चालक नियुक्त है। ऐसे में जरूरत पड़ने पर सभी मरीजों या तीमारदारों को एक साथ सुविधा मिल सके टेढी खीर साबित होगी। एम्बुलेंस चालक राजाराम भी बडे बेबाकी से बोले की एक एक ही वाहन तो चलायेंगे। बीते दिनों इलाज दौरान दस साल के शुभम की मौत हो गई थी। एम्बुलेंस न मिलने पर पिता बजरंगी यादव को कंधे में बेटे के शव को घर तक ले जाना पडा था। मामले की जांच गठित कमेटी कर रही है।
प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल में अगर एक साथ दो या तीन मरीजों के शव को एंबुलेंस से भेजना हो तो संभव नहीं है। यहां के सबसे बडे अस्पताल में इस कमी को दूर कराये जाने के लिए अस्पताल प्रशासन कितना तत्पर है, जांच में सामने आना बाकी है।
एम्बुलेंस चालक की तीमारदारों से होती नोंकझोंक
वाहनों के इकलौते चालक राजाराम ने अपना दर्द बया करते हुए कहाकि आए दिन तीमारदार मुझसे विवाद कर लेते हैं। एक साथ दो या तीन मरीज का शव आ जाता है तो लोग पहले के चक्कर में हमसे झगड़ा करते हैं। प्रतिदिन तीमारदारों के अपशब्द सुनता हूं। 24 घंटे कभी मरीज को तो कभी शव को लेकर पहुंचाता रहता हूं। डायबिटीज का मरीज हो गया हूं और दो साल सेवानिवृत्त बचा है। अकेले होने के नाते मुझे बहुत परेशानी होती है।
एंबुलेंस चालक की भर्ती के लिए भेजा है पत्र
एसआरएन अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय सक्सेना बताते हैं कि अस्पताल में चार एंबुलेंस और एक शव वाहन उपलब्ध है। और चालक एक ही हैं। उन्हीं से हम लोग काम ले रहे हैं। ज्यादा जरूरत होती है प्राचार्य कार्यालय से चालक बुलवाया जाता है। पोस्टमार्टम के बारे में हमें जानकारी नहीं होती है।
तीमारदार जरूरतमंद को कैसे मिलती है एंबुलेंस
सरकारी अस्पताल में यदि मरीज की मौत होती है तो अस्पताल प्रशासन की जवाबदेही होती है कि वह शव को उसके घर तक नि:शुल्क पहुंचाए। यदि तीमारदार सरकारी शव वाहन नहीं लेना चाहता तो इसके लिए उसे लिखकर देना होगा कि वह निजी वाहन से शव ले जाना चाहता है।
वहीं, मरीज को घर पहुंचाने के लिए या दूसरे अस्पताल में रेफर करने पर सरकारी एंबुलेंस का न्यूनतम किराया 67 रुपयें है। दूर जाने पर प्रति किलोमीटर के हिसाब से उसे किराया देना होता है जबकि बीपीएल कार्डधारक के लिए एंबुलेंस पूरी तरह नि:शुल्क है।
बेबस पिता बजरंगी मांग रहा है न्याय
एक अगस्त को करंट की चपेट में आने से शुभम की इलाज दौरान मौत हो गई थी। प्रयागराज जिले के करछना थाना क्षेत्र के उपहार गांव निवासी मजदूर बजरंगी यादव को अस्पताल से एम्बुलेंस न मिलने पर पिता अपने दस साल के बेटे शुभम का शव कंधे पर लादकर करीब पचीस किलोमीटर दूरी गांव पहुंचा था। उसकी पत्नी ने भी साथ दिया। जेब में 2200 रुपयें नहीं थे कि वह पोस्टमार्टम हाउस से अपने घर तक बेटे का शव ले जा सके।
सरकारी एंबुलेंस या शव वाहन भी नहीं मिला और लाचार बजरंगी कंधे पर ही बेटे का शव लादकर निकल गया। कंधे में शव को ले जाते सोशल मीडिया में वायरल होते प्रशासन हरकत में आया। जिसने भी इस पिता की लाचारी देखी दिलदहल गया। मामला जब मीडिया में सामने आया तो शासन प्रशासन हरकत में आ गया। जांच कमेटी गठित की गई,करंट लगने से हुई किशोर की मौत के मामले में बिजली विभाग के पांच अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हुई। वहीं करछना के थानाध्यक्ष को भी निलंबिल किया गया। पिता बजरंगी न्याय मांग रहा है।