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ग्राउंड रिपोर्ट: 2400 करोड़ के घाटे वाले चमड़ा उद्योग में 2 लाख नौकरियां देने की तैयारी
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो/कानपुर। शहर में इस समय 270 के आसपास टेनरीयां हैं। जिनमे 15 दिन 135 तो दूसरे पंद्रह दिन दूसरी 135 टेनरियां संचालित हो रही हैं। आर्डर समय से पूरे नहीं हो रहे तो 50 प्रतिशत काम कम हो गया है। पिछले कुंभ के समय साल भर चमड़ा उद्योग बन्द रहा। इस साल मार्च में कोविड महामारी से हुए लॉकडाउन में तीन महीने कारोबार ठप रहा। अब 7-8 महीनों से रोस्टर के मुताबिक टेनरियों में काम काज शुरू हुआ है।
रमईपुर में मेगा लेदर क्लस्टर बनने की मंजूरी मिलने से शहर के चमड़ा उद्योग को नई ऊंचाई मिलने की बात कही जा रही है। लेकिन रमईपुर में लेदर क्लस्टर बनने की खबर से खुश हो रहे लोग उन्नाव के बंथरा में कई वर्ष पूर्व बने लेदर क्लस्टर को भूलकर बात नहीं करते। वहां लेदर पार्क तक बनाया गया था, जो किस कारण से फेल हुआ जानने वाले जानते हैं पर बात नहीं करते। अब रमईपुर की खुशी सामने है लेकिन बनेगा 2022 तक।
बताया जा रहा है कि रमईपुर में बनने जा रहे मेगा लेदर क्लस्टर में 50 हजार प्रत्यक्ष और डेढ़ से दो लाख लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलेगा। इस प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष के बीच की लकीर गरीबों मेहनतकशों को शायद ही किसी ने समझाई हो। क्योंकि इस इंडस्ट्री में ज्यादातर काम करने वाले लकीर के फकीर होते हैं। ऐसे में खींची जाने वाली लकीर कितनी बड़ी होगी और उससे किन फकीरों को फायदा होगा, अभी कहना थोड़ा मुश्किल होगा और जल्दबाजी भी।
कानपुर के चमड़ा उद्योग काफी समय से घाटे में चल रहा है। घाटा भी कोई छोटा मोटा नहीं 2400 करोड़ जैसी भारी भरकम रकम का घाटा है। अब रमईपुर में सालाना 13 हजार करोड़ का उत्पादन होने की अपेक्षा से चमड़ा निर्यातकों में उत्साह है। यह उत्साह 2022 के बाद देखने को मिलेगा की कहाँ तक पहुंच सका है। फिलहाल आने वाली 21 दिसंबर को अभी मेगा लेदर क्लस्टर के लिए बैठक होनी है। इस कमेटी में कमिश्नर, डीएम, यूपीएसआईडीए के नोडल अधिकारी सहित एडीएम भी बैठक में भाग लेंगे।
शहर का चमड़ा उद्योग 30 हजार करोड़ का है। जिसमे पिछली रोस्टर का निर्यात महज 8 हजार करोड़ रहा। अक्टूबर महीने में लगभग 1400 करोड़ का निर्यात कम हुआ था। कल यानी बुधवार 16 दिसंबर को जारी किए गए निर्यात आंकड़ों में 29.80 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। अकेले कानपुर में 2400 करोड़ का निर्यात कम दर्ज किया गया है। अब कानपुर के लेदर व्यापारियों को उम्मीद है कि लेदर क्लस्टर बन जाने के बाद इस तरह की दिक्कतें कुछ कम होंगी।
स्माल टेनर्स एसोसिएशन के वाईस प्रेजिडेंट राजा सिंह यादव 'जनज्वार' से बात करते हुए कहते हैं कि शहर से बड़े पैमाने पर यूरोपीय देशों जैसे जर्मनी, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका आदि देशों में निर्यात होता है, लेकिन अभी इन देशों में कोरोना महामारी का भय देखने मे आ रहा है। कई देश फिर से लॉकडाउन कर रहे हैं। जिसके कारण भी विदेशी खरीददार भरोसा नहीं दिखा रहे हैं। ये लोग पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों का रुख कर रहे हैं।
यहां की लेदर फैक्टरियों में काम करने वाले कुछ मजदूरों ने सरकार पर भरोसा न दिखाते हुए कहा कि पहले उन्नाव में भी तो बनाया था, उसका क्या हुआ किसी को पता ही नहीं चल पाया कि आखिर किस कारण से वो सफल नहीं हुआ। एक मजदूर ने बताया कि उसे मोदी योगी पर भरोसा ही नहीं है। हमे तो टेनरी वाले खाने को देते हैं, सरकार क्या देगी। लॉक डाउन में अगर टेनरी वाले ना होते तो उनके बाल-बच्चे भूंखों मर जाते।