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ग्राउंड रिपोर्ट: योगीराज में गौशाला की हकीकत, मिर्जापुर में भीषण गर्मी में सूखा भूसा खाकर जिंदा हैं गायें
मिर्जापुर से संतोष देव गिरि की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। भारी अव्यवस्थाओं से जूझ रहे मिर्जापुर जनपद के नगर पालिका मिर्जापुर द्वारा संचालित टांडा फाल निराश्रित अस्थाई गौशाला में बंधे मवेशियों के दर्द और पुकार चुनावी शोर में दबकर रह जा रही हैं। मजे की बात है कि इस भीषण गर्मी में यहां बंधी हुई गायों को आधा पेट खिलाकर वह भी सूखे भूसे के सहारे जिंदा रखा गया है। अवगत कराए जाने के बाद भी एक पखवाड़े से गौशाला में खली, चुनी, चोकर इत्यादि का अभाव बना हुआ है।
ऐसा भी नहीं है कि इस कमी से नगर पालिका के अध्यक्ष से अधिशासी अधिकारी और अन्य संबंधित अनभिज्ञ हो, सभी को बाकायदा पत्र द्वारा अवगत भी किया जा चुका है, लेकिन किसी ने अभी तक इधर झांकना भी गंवारा नहीं समझा है। मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल गौ संरक्षण की दिशा में निराश्रित स्थाई गौशाला में बंधे इन गौवंश की पुकार भगवाधारी भी नहीं सुन पा रहे हैं। शायद सुन भी रहे होंगे तो जानबूझकर भी मुख मोड़े हुए होंगे, क्योंकि इसमें उन्हें कोई राजनैतिक मुद्दा नहीं दिखाई देगा।
बताते चलें कि वर्तमान समय में निराश्रित अस्थाई गौशाला टांडाफॉल (जिसका संपूर्ण संचालन नगर पालिका परिषद मिर्जापुर द्वारा किया जाता है) मेंं 161 गाय, 337 साड़ सहित कुल 498 गायों का संरक्षण यहां किया जा रहा है। जिनके खाने-पीने की समुचित व्यवस्था के साथ रख-रखाव के नाम पर भी एक भारी-भरकम बजट शासन द्वारा दिया जाता है। आहार के रूप में भूसा, खली, चुनी, चोकर, कना, पशु आहार दिए जाने का मीनू निर्धारित है पर यहां तो ठीक उल्टा देखने को मिल रहा है। तकरीबन एक पखवाड़े से सूखे भूसे के सहारे यहां बंधे गौवंश को जिंदा रखा जा रहा है। इस विभीषण गर्मी में यहां बंधे हुए गौवंशो की दशा को देखकर, उनके बेजान होते शरीर के हाड़ मास को देख दूर से ही सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनके संरक्षण की दिशा में तथा इनका यहां कितना समुचित देखभाल हो रहा है सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
मिर्जापुर नगर पालिका परिषद द्वारा संचालित अस्थाई गौ आश्रय स्थल टांडाफाल के प्रबंधक, लिपिक प्रदीप कुमार दुबे बताते हैं कि उनके द्वारा तथा गौशाला के परिचारक अनिल तिवारी द्वारा संयुक्त रुप से नगर पालिका परिषद मिर्जापुर के अध्यक्ष को संबोधित पत्र 15 अप्रैल 2021 को पशुओं को खिलाए जाने वाले सामग्री के अभाव के संबंध में प्रेषित करते हुए गौशाला में गोवंश को खिलाए जाने वाले सामग्रियों के अभाव से अवगत कराते हुए तत्काल उसकी उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने की मांग की गई थी जिसमें खली 200 किलोग्राम, चूनी 200 किलोग्राम, चोकर 200 किलोग्राम, कना 200 किलोग्राम, पशु आहार 200 किलोग्राम तथा 100 कुंटल भूसा की मांग की गई थी।
टांडाफॉल स्थित गौ आश्रय स्थल में पशुओं को खिलाए जाने वाले सामग्री के समाप्त हो जाने के संदर्भ में इसके पूर्व 6 अप्रैल 2021, 7 अप्रैल 11 अप्रैल, 12 अप्रैल, 13 अप्रैल तथा 14 अप्रैल 2021 को भी लिखित रूप के साथ-साथ दूरभाष एवं व्हाट्सएप के माध्यम से भी संबंधितों को अवगत कराया गया है, बावजूद सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की गई। ऐसे में समझा जा सकता है कि मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को नगर पालिका अध्यक्ष सहित पालिका के अधिकारी कितनी गंभीरता से ले रहे हैं।
आश्चर्य की बात तो यह है कि राज्य में भाजपा की सरकार है जिले में भी भाजपा के ही जनप्रतिनिधि हैं। खुद नगर पालिका अध्यक्ष मिर्जापुर भाजपाई हैं। बावजूद इसके पालिका अध्यक्ष मनोज जायसवाल सहित भगवा टोली गोवंश के इन तकलीफों से क्यों दूर बनी हुई है यह आम जन के समझ से परे है। आश्चर्य की बात है कि जिले के आला अधिकारी भी इधर झांकना गवारा नहीं समझते हैं ताकि वह भी इन बेजुबानों के दु:ख तकलीफों से अवगत हो सकें।
सूखा भूसा वह भी आधे पेट खाकर जी रही है गौ माता
नगर पालिका के विश्वसनीय सूत्रों की माने तो टांडा फाल स्थित गौशाला की हकीकत से सभी भलीभांति वाकिफ हैं, लेकिन जानबूझकर इसे नजर अंदाज किया जा रहा है। टांडा फाल पहाड़ी पर स्थित गौशाला में बंधे हुए गोवंश इस भीषण गर्मी में सूखा भूसा वह भी आधा पेट खाकर जीने को विवश है। उनकी दशा देखकर यहां की हकीकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस भीषण गर्मी में पहाड़ी पर घास फूस का भी अभाव बना हुआ है, अन्यथा यह जंगली घास फूस खाकर भी अपना पेट भर लेते लेकिन वह भी इन दिनों नसीब नहीं है। ऐसे में ले देकर जो इन्हें खिलाया जाएगा उसी से ही इन्हें संतोष करना है।
नगर पालिका के ही एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सत्ता लहर में नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हो जाने के बाद मिर्जापुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष मनोज जायसवाल की हसरतें हिलोरे मार रही हैं। वह इन दिनों आगामी विधानसभा चुनाव को लक्ष्य मानकर तैयारी करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में उन्हें अपनी ही सरकार और अपने ही मुखिया के ड्रीम प्रोजेक्ट से कोई सरोकार नहीं है। टांडाफॉल स्थित गौवंश आश्रय स्थल की हकीकत को देखकर तो कुछ ऐसा ही अंदाजा लगाया जा रहा है।
गौशाला से चोरी हो चुकी है गाय
नगर पालिका परिषद मिर्जापुर द्वारा संचालित टांडा फाल अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल पर व्यवस्था में एक नहीं बल्कि कई खामियां नजर आती हैं। बीते माह मार्च में टांडा फाल गोवंश आश्रय स्थल पर जिलाधिकारी के आवास से आई 1 नग लाल गाय गौशाला में लाई गई थी, जिसका नंबर 19 00 18085 734 रहा है। जिसे गौशाला के प्रथम शिफ्ट के एक कर्मचारी द्वारा बिना किसी जानकारी या किसी को सूचना दिए उसे अपने घर ले जाकर बांध लिया गया था। जब इस बात की जानकारी गौशाला के प्रबंधक को हुई तो उससे भी उक्त कर्मचारी ने ना केवल वाद विवाद किया था, बल्कि अमर्यादित शब्दों का भी प्रयोग किया था जो चर्चा में रहा है। हालांकि मामला बढ़ता देख बाद में उक्त कर्मचारी ने चुपके से उक्त गाय को लाकर गौशाला में छोड़ दिया था।
पहले भी हो चुकी है टांडाफाल गौशाला में कई गायों की मौत
उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ की प्रमुख योजनाओं में सुमार गौ संरक्षण योजना को पलीता लग रहा है। गौ संरक्षण के नाम पर संचालित हो रहे गौ आश्रय स्थलों की हकीकत किसी से छुपी हुई नहीं है जहां सरकारी धन को गौ सेवा के नाम पर हजम कर नाम मात्र की सेवा को कागजो में चकाचक दिखाकर डकारा जा रहा है। जिससे संबंधितो की सेहत तो दिन प्रतिदिन सुधर रही है, लेकिन बेजुबान की दशा दिन प्रतिदिन जर्जर ही होती जा रही है। सरकारी गौशाला के मामले में जनपद की पूर्व में भी काफी भद्द हो चुकी है जो किसी से छुपी हुई नहीं है। यह अलग बात है कि यहां की नाकामियों को संबंधित अधिकारी छुपा ले जाने में सफल रहे हैं, अलबत्ता एक निर्दोष सरकारी मुलाजिम अवश्य योगी सरकार के कोप का शिकार हो कर कारवाई की भेंट चढ़ चुका है।
गौरतलब हो कि जुलाई 2019 में नगर पालिका परिषद मिर्जापुर द्वारा संचालित टांडाफाल स्थित गौशाला में तकरीबन 25 गायों की मौत हो गई थी। गायों की मौत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिले के तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया था तथा जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस घटना के बाद जहां पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया था तो वहीं तत्कालीन जिलाधिकारी रहे अनुराग पटेल और मीरजापुर नगर पालिका के चेयरमैन मनोज जायसवाल के बीच चल रही तनातनी भी हर जुबान पर रही है। समय बदल गए हैं लेकिन टांडाफाल स्थित गौशाला की दशा नहीं बदली है। यहां देखरेख करने वाले कर्मचारी नाम न छापे जाने की शर्त पर बताते हैं कि "हुजूर यदि अधिकारी (चेयरमैन और अधिशासी अधिकारी नगर पालिका ) कुछ नहीं करेंगे ध्यान नहीं देंगे तो हम लोग क्या कर सकते हैं हम तो उन्हीं के इशारे पर नाचने वाले हैं?"
कहीं पिछली बार की पुनरावृत्ति कर कर्मचारियों को ही ना बना दिया जाए बलि का बकरा?
कहते सुना जा रहा है कि मिर्जापुर नगर पालिका परिषद द्वारा संचालित निराश्रित अस्थाई गौशाला टांडाफाल में व्याप्त अव्यवस्था उजागर होने के बाद पालिका के अधिकारी खासकर पालिका अध्यक्ष बौखला गए हैं। ऐसे में इस बात की प्रबल आशंका बढ़ चली है कि कहीं अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए जिम्मेदार टांडा फाल गौशाला के कर्मचारियों को ही ना बलि का बकरा बना कर उन्हें सूली पर चढ़ा दें। इस बात की चर्चा जोर शोर से होने लगी है। खुद इन आशंकाओं से गौशाला के कर्मचारी भी भयभीत हैं।
हालांकि इस संदर्भ में नगर पालिका के ही एक कर्मचारी ने नाम ना छापे जाने की शर्त पर बताया है कि नगर पालिका मिर्जापुर के अधिशासी अधिकारी इन दिनों छुट्टी पर हैं जिनके लौटते ही इस मामले में जवाब तलब होगा तब जाकर कोई कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। बताते चलें कि पूर्व में टांडा फाल गौशाला में हुई दर्जनभर गायों की मौत के बाद अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए दूसरों को बलि का बकरा बना दिया था जिन पर शासन की गाज गिरी थी। ऐसे में इस बार भी इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि कहीं जिम्मेदार अधिकारी पूर्व की भांति इस बार भी वही पुनरावृति न दुहरा बैठे?
पशु प्रेमी की शिकायत पर होती रही है टालमटोल
पशु प्रेमी एवं विश्व हिंदू परिषद के नगर अध्यक्ष राज माहेश्वरी की माने तो टांडा फाल स्थित गौशाला में संरक्षण के नाम पर आने वाले बजट में भारी खेल खेला जा रहा है। इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए। वह बताते हैं कि टांडा फाल स्थित गौशाला में गोवंश के भूसे का अभाव कोई पहली दफा नहीं हुआ है, इसके पहले भी कई बार हो चुका है। खुद कई बार उन्होंने प्रशासन सहित नगर पालिका परिषद मिर्जापुर के अधिशासी अधिकारी को भी सूचना देकर अवगत कराया है तथा मौके पर जाकर हकीकत से वह रूबरू भी हुए हैं।
बावजूद इसके हर बार केवल कागजी खानापूर्ति ही की जाती रही है। शिकायत किए जाने पर बस यही रटा रटाया जवाब दिया जाता रहा है कि भूसा लेकर गाड़ी पहुंच रही है। वह बताते हैं कि टांडा फाल गौशाला चूंंकी नगर से काफी दूर पहाड़ी पर स्थित है। ऐसे में अक्सर वहां अधिकारी निरीक्षण के लिए भी नहीं जाते हैं जिसका भरपूर लाभ इसके रखरखाव के जिम्मेदारों को मिल जाता है। यही कारण है कि वह अक्सर वहां व्याप्त खामियों पर पर्दा डालने में सफल हो जाते हैं। उन्होंने बताया है कि वह खुद अब यहां की समस्याओं को लेकर सीधे मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें विस्तार से यहां व्याप्त दुरव्यवस्थाओं के बारे में जानकारी देंगे।