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उत्तर प्रदेश

गोरखपुर के डाॅ काफिल खान के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा, प्रियंका गांधी ने की है बात

Janjwar Desk
7 Sep 2020 3:38 AM GMT
गोरखपुर के डाॅ काफिल खान के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा, प्रियंका गांधी ने की है बात
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डाॅ काफिल खान ने उत्तरप्रदेश में अपनी जान को खतरा बताया है और वे इस वक्त कांग्रेस शासित राजस्थान में हैं। प्रियंका गांधी ने उनसे बात की है...

जनज्वार। गोरखपुर बीआरडी मेडिकल काॅलेज में डाॅक्टर के पद पर तैनात रह चुके डाॅ काफिल खान (Kafeel Khan) के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा चल रही हैं। काफिल खान की जिस प्रकार गिरफ्तारी हुई और फिर अदालत के आदेश के बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया है, उन परिस्थितियों ने उन्हें कांग्रेस के करीब पहुंचा दिया हैै। खुद यूपी की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी ने उनसे फोन पर बात कही है और हर तरह का सहयोग का आश्वासन दिया है।

काफिल खान मथुरा जेल में बंद थे और पिछले दिनों वहां से रिहा होने के बाद कांग्रेस शासित राजस्थान चले गए। कांग्रेस ने ही उन्हें स्वयं द्वारा शासित राज्य में आने का प्रस्ताव दिया था। काफिल खान ने यूपी में अपनी जान को खतरा बताया है और वे इस समय राजस्थान के भरतपुर में हैं।

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने काफिल खान की राष्ट्रीय सुरक्षा एक्ट के तहत हिरासत में रखे जाने को रद्द किए जाने के बाद उन्हें मथुरा जेल से रिहा किया गया। इसके बाद वे यूपी कांग्रेस क कुछ नेताओं के साथ मथुरा से सटे राजस्थान के भरतपुर चले गए। कांग्रेस के दो नेताओं ने उनके पार्टी में शामिल होने की संभावना को खारिज नहीं किया है।

जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने कहा था कि गोरखुपर के बीआरडी मेडिकल काॅलेज में आक्सीजन की कमी से बच्चों की मौतें हुईं थी और उन्होंने जब अस्पताल की इस कमी को उजागर किया तो यह राज्य के मुख्यमंत्री को पसंद नहीं आया। 2017 के मानसून के समय का यह वाकया काफी चर्चित रहा है। जब कुछ ही दिनों में दर्जनों बच्चों की बीआरडी मेडिकल काॅलेज में मौत हो गई थी। उस समय मीडिया रिपोर्टाें में पहले खुद के प्रयास से बच्चों का इलाज करने के लिए काफिल खान के काम की तारीफ की गई, हालांकि बाद में वे राज्य सरकार के केस-मुकदमे व जांच के दायरे में आ गए और उन्हें जेल भी हुई।

काफिल खान ने यह कहा है कि वे एक बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कर अपनी सेवा बहाल करने का आग्रह करेंगे और अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे असम में बाढ प्रभावित लोगों के लिए काम कर करेंगे।

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