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सुप्रीम कोर्ट ने गैगस्टर विकास दुबे के इनकाउंटर की न्यायिक जांच का आदेश दिया
file photo
जनज्वार। कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे के मामले की न्यायिक जांच होगी। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने इससे संबंधित याचिका की सुनवाई करते हुए सोमवार को दिया। मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने विकास दुबे से संबंधित दस्तावेज भी उत्तरप्रदेश सरकार से तलब किया। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार पर भी तल्ख टिप्पणी की। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की बेंच ने की।
अदालत ने इस मामले में कहा इस बात पर हैरानी जतायी कि इतने मामलों वाला व्यक्ति जमानत पर रिहा हो गया और उसने आखिरकार ऐसा कर दिया। अदालत ने इसे सिस्टम की विफलता बताया और कहा कि दो-तीन जुलाई की रात विकास दुबे की गांव में बिकरू में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या पर यह एक घटना नहीं है पूरी व्यवस्था दांव पर है। लेकिन क्या किसी को फर्क पड़ता है।
अदालत ने कहा विकास दुबे और उसके साथियों के एनकाउंटर और हैदराबाद जहां बलात्कारियों के पास हथियार नहीं था, दोनों मौत में अंतर है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के रूप में आप शासन बनाए रखने के लिए जिम्मेवार हैं।
इस मामले में वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अगर मामले की जांच होती है तो इससे पुलिस का मनोबल गिरेगा। अदालत ने मामले में सुनवाई के दौरान वकील तुषार मेहता व हरीश साल्वे की दलीलों को तरजीह नहीं दिया। अदालत ने कहा कि यह देश रूल आफ लाॅ से चलेगा।
मालूम हो कि विकास दुबे ने दो-तीन जुलाई की रात कानपुर गांव में गिरफ्तार करने आयी पुलिस टीम पर हमला कर दिया था, जिसमें उसके गुंडे शामिल थे। उस घ्घटना में आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गए। इसके बाद पुलिस ने उसे उज्जैन में गिरफ्तार किया, वहां से कानपुर लाने वक्त 10 जुलाई को उसका इनकाउंटर कर दिया गया।