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पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन पर खबर ट्वीट करने पर यूपी पुलिस ने रामपुर में दर्ज किया मुकदमा
जनज्वार। वरिष्ठ पत्रकार व द वायर के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन पर उत्तरप्रदेश पुलिस ने एफआइआर दर्ज किया है। यह एफआइआर उनके द्वारा एक खबर को ट्वीट करने को लेकर दर्ज किया गया है। यह एफआइआर 26 जनवरी को किसान के ट्रैक्टर मार्च के दौरान आइटीओ पर एक युवा किसान की मौत की खबर को ट्वीट करने को लेकर दर्ज की गयी है, जिसे उस युवक के परिजनों से बातचीत के आधार पर लिखा गया था।
एफआइआर में लिखा गया है कि सिद्धार्थ एस वरदराजन ने 30 जनवरी को सुबह 10.08 बजे सोशल मीडिया ट्विटर पर पोस्ट डाला। इसमें कहा गया है कि कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली में चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान नवरीत सिंह डिबडिया गांव निवासी की मृत्यु हुई थी, जिसमें पोस्टमार्टम पैनल में शामिल एक डाॅक्टर द्वारा नवरीत के दादा हरदीप सिंह को बयान दिया गया है कि नवरीत की मौत गोली लगने से घायल होने के कारण हुई है, लेकिन चिकित्सक का हाथ अनुचित प्रभाव में बंधा हुआ है, इसलिए वह कुछ नहीं कर सका
UP के रामपुर में @thewire_in के पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन जी पर FIR दर्ज हुई है. यह FIR एक खबर को लेकर है. यह खबर 26 जनवरी के उपद्रव में जिस लड़के की मौत हुई उसके परिजनों से बात करके लिखी गयी है. इस खबर को सिद्धार्थ वरदराजन जी ने पोस्ट किया था.@svaradarajan
— Meena Kotwal (@KotwalMeena) January 31, 2021
Via- @ranvijaylive pic.twitter.com/cpww1KXgWc
एफआइआर में कहा गया है कि रामपुर जिले के बिलासपुर के डिबडिया गांव निवासी विक्रमजीत सिंह उर्फ साहिब सिंह के पुत्र नवरीत सिंह का पोस्टमार्टम तीन सदस्यी डाॅक्टरों की टीम द्वारा किया गया था और इसकी वीडियोग्राफी करवा कर इसकी रिपोर्ट एसपी को दी गयी थी, इस संबंध में चिकित्सा अधिकारियों द्वारा किसी को कोई बयान नहीं दिया गया है। तीन चिकित्सा पदाधिकारियों द्वारा उक्त वायरल बयान का खंडन किया गया है, इसके बावजूद उस सोशल मीडिया पोस्ट को हटाया नहीं गया है।
In UP, it is a crime for media to report statements of relatives of a dead person if they question a postmortem or police version of cause of death.
— Siddharth (@svaradarajan) January 31, 2021
I think this new 'law' has come in the wake of godi media coverage of Sushant Singh Rajput postmortem.
. https://t.co/ulMIDPtmGY
रामपुर के सिविल लाइंस थाने में दर्ज की गयी प्राथमिकी में इसे जन सामान्य को भड़काने, उप्रदव फैलाने, शासकीय पदाधिकारियो ंको गलत साबित करने व छवि धूमिल करने वाला पोस्ट माना गया है और आइपीसी की धारा 505 व 66ए आइटी एक्ट 2008 के तहत गंभीर अपराध बताया गया है।