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लॉकडाउन में महिलाओं के खिलाफ यौन शोषण के मामलों में बढ़ोतरी, उत्तर प्रदेश अभी भी महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित राज्य
NCRB Report : देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध 15 प्रतिशत बढ़े, दिल्ली सबसे ज्यादा असुरक्षित, हर दिन 2 नाबालिगों से दुष्कर्म
जनज्वार। 2012 में हुए निर्भया सामूहिक बलात्कार की घटना ने देश की राजधानी को "बलात्कार की राजधानी" बुलाना शुरु कर दिया था। इस दौरान अकेले दिल्ली में वर्ष 2013 में 1400 मामले और वर्ष 2014 में 1800 रेप के मामले दर्ज किए गए थे।
लेकिन 2015 के बाद से देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश में एक दम से रेप के केसों में बढ़ोतरी होना शुरू हो गई। जिसके बाद उत्तर प्रदेश उस समय सुर्खियों में आया 4 जून 2017 को 17 वर्षीय लड़की का उन्नाव में सामूहिक बलात्कार कर दिया गया ।
इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरों ने उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी के नेता कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार किया गया था। मामले पर दो अलग आरोप पत्र दायर किए गए थे। जिसमें एक कुलदीप सिंह सेंगर और दूसरा आरोप पत्र 13 जुलाई 2018 को कुलदीप सिंह सेंगर और उनके भाई, तीन पुलिसकर्मियों और पांच अन्य लोगों को आरोप पत्र जारी कर दोषी करार दिया गया था।
जिसके बाद उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राज्य उत्तर प्रदेश बनता गया। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरों (NCRB) के 2017 के आकंड़ों की बात की जाए तो इसी दौरान उत्तर प्रदेश को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राज्य माना गया था। 2017 में उत्तर प्रदेश में अकेले 56111 हजार से ज्यादा केस महिलाओं के साथ हुए दुष्कर्म से संबंधित मामलों में आए थे।
इसके बाद 2018 में इन केसों में बढ़ोतरी होकर कुल 59445 और 2019 में 59853 मामले महिलाओं के साथ हुए दुष्कर्म से संबंधित मामले सामने आए जो किसी भी अन्य राज्य की तुलना में काफी ज्यादा है।
2020 में महिलाओं के साथ बलात्कार के मामलों में बढ़ोतरी
कोरोना वायरस महामारी ने लोगों के जीवन समेत अर्थव्यवस्था को काफी ज्यादा प्रभाव डाला है। लेकिन ये बीमारी अपराधियों और उनके जघन्य अपराध को रोकने में विफल रही है। लॉकडाउन की शुरुआत के दौरान बड़े पैमाने पर बलात्कार के मामलों को दर्ज किया गया था।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 22 सिंतबर को संसद में बताया कि एक मार्च से 18 सितंबर के बीच राष्ट्रीय साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री, बलात्कार एवं सामूहिक बलात्कार की 13,244 शिकायतें दर्ज की गईं है। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में स्मृति ईरानी ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने एक मार्च से 31 अगस्त के बीच बाल यौन शोषण की 420 शिकायतें प्राप्त की हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा प्रदान की गई सूचना के अनुसार एक मार्च से 18 सितंबर तक राष्ट्रीय साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री, बलात्कार एवं सामूहिक बलात्कार की दर्ज की गई शिकायतों की कुल संख्या 13,244 है।
लॉकडाउन के दौरान ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने आंकड़ों को साझा करते हुए कहा कि भारत में एक मार्च से लेकर 20 सितंबर के बीच घरेलू हिंसा की 4,350 शिकायतें प्राप्त हुईं, जबकि इसी अवधि में महिलाओं के खिलाफ अपराध की कुल घटनाओं की संख्या 13,410 रही। जबकि अकेले मार्च में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 1,347 शिकायतें मिलीं, जिसमें 298 शिकायतें घरेलू हिंसा की थीं।
वहीं अप्रैल में आयोग को घरेलू हिंसा की 315 शिकायतों के साथ कुल 800 शिकायतें मिलीं। मई में घरेलू हिंसा की 393 शिकायतों के साथ कुल 1,500 शिकायतें प्राप्त हुईं, जबकि जून में आयोग को घरेलू हिंसा की 461 शिकायतों के साथ कुल 2,043 शिकायतें मिलीं।
उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के दौरान रेप के मामलों की पड़ताल
इस दौरान कोरोना काल में उत्तर प्रदेश मे लगातार रेप के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली जिसमें सबसे पहला केस कानुपर के एलएलआर अस्पताल में 12 मार्च को 9 साल की बच्ची के साथ बेरहमी से बलात्कार करने के बाद उसे खून से लथपथ लाया गया था। जहां पर उसकी मौत हो गई थी। इसके अलावा 17 अप्रैल को भी एक बलात्कार राशन विक्रेता ने एक 23 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार इसलिए कर दिया गया था क्योंकि महिला दुकान विक्रेता को पैसे नहीं चुका पाई थी। 29 अप्रैल को एक 16 वर्षीय बच्ची का रेप उसके पड़ोसी ने कर दिया था।
वही लखीमपुर खीरी 17 साल की लड़की का कटा हुआ शव गांव में मिला था। मामले पर पुलिस ने रेप होने की पुष्टि नहीं की थी। इसके अलावा 6 अगस्त को यूपी के हापुड़ जिले में 6 साल की बच्ची को शारीरिक यातना और बलात्कार का शिकार होना पड़ा था। जिसके बाद बच्ची को 3 अस्पतालों में रेफर कर ुसके घावों की सर्जरी की गई थी। इसके बाद हालि में हाथरस के केस को भी सबसे बड़ा केस माना जा रहा है। जिसमें एक दलित युवती के साथ रेप कर दिया गया।
भारत के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, हमारे देश में हर 15 से 20 मिनट में एक महिला का बलात्कार होता है। 2010 के बाद से महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 7.5 फीसदी वृद्धि हुई है। साल 2012 के दौरान देश में 24,923 मामले दर्ज हुए, जो 2013 में बढ़कर 33,707 हो गई। रेप पीड़ितों में ज्यादातर की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी। हर तीसरे पीड़ित की उम्र 18 साल से कम है, वहीं 10 में एक पीड़ित की उम्र 14 साल से भी कम है। भारत में रेप के कुछ ऐसे मामले भी हुए, जिसने पूरी दुनिया को हिला दिया था। इनमें 2012 का निर्भया गैंगरेप, 2013 का 22 वर्षीय फोटो जर्नलिस्ट का गैंगरेप, 2015 का 71 वर्षीय नन का पश्चिम बंगाल के रानाघाट में गैंगरेप, 2016 का दलित लड़की की हत्या व रेप, 2018 का कठुआ रेप केस शामिल हैं।