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महिला हिंसा में UP पूरे देश में अव्वल, फिर भी सीएम योगी का दावा तीन सालों में न्यूनतम अपराध
प्रतीकात्मक फोटो
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार। उत्तर प्रदेश में न्याय व्यवस्था का ग्राफ किस कदर गिरता जा रहा है किसी को कहने बताने की जरूरत नहीं है। लखीमपुर खीरी में 16 अगस्त को 13 वर्षीय बालिका की गन्ने के खेत में छत-विछत लाश मिली थी। बुलंदशहर की सुदीक्षा भाटी की 10 अगस्त को मौत हो गई थी। मनचलों द्वारा छेड़ने पर हादसा हुआ था। पश्चिमी यूपी के हापुड़ 6 अगस्त को एक 6 साल की बच्ची को घर के सामने से अगवा कर लिया गया। बाद में खून से लथपथ वह झाड़ियों में पड़ी मिली थी। 5 अगस्त को बुलन्दशहर के खुर्जा में एक आ़ठ साल की बच्ची से रेप की कोशिश की गई। शोर मचाने पर उसका गला दबाकर हत्या कर दी गई। जिसकी डेड बाडी गन्ने के खेत में मिली थी।
आगे के आँकड़े गिनाने से पहले आपको बता दें की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया है कि यूपी में न्यूनतम अपराध है, उन्होंने कहा कि सामान्यतः उत्तर प्रदेश में अपराध तीन वर्षों में न्यूनतम है। पहले की अपेक्षा लॉ एंड ऑर्डर बेहतर स्थिति में है और आगे भी बेहतर स्थिति में रहेगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ये दावा पाँच अगस्त को उसी दिन किया था जब पश्चिमी यूपी के खुर्जा में आठ साल की बच्ची की रेप की कोशिश की गई और जब बच्ची ने शोर मचाया तो उसकी हत्या कर दी गई थी। यह उसी दिन की बात है जिस दिन अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन समारोह की व्यस्तता चल रही थी। तो दूसरी तरफ एक माता-पिता अपनी आठ साल की लापता बच्ची को खोज रहे थे लेकिन उन्हें खेत में जब बच्ची मिली तो वह लाश बन चुकी थी।
अयोध्या भूमि पूजन से ठीक चार दिन पहले यानी 31 जुलाई को यूपी के मुजफ़्फ़रनगर में आठ साल की एक बच्ची का रेप किया गया। रेप के बाद उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी गई। इस बच्ची का शव भी गन्ने के खेत में फ़ेका हुआ मिला था। यह सभी घटनाएं बीते 17 से 18 दिनों के भीतर हुई हैं। जो यूपी में न्यूनतम अपराध है के दावों का गला घोंटती नजर आती हैं। यह सभी वो घटनाएं हैं जो ख़बरों में आ पाईं, अन्यथा इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कितनी घटनाएं तो मीडिया तक पहुँचती भी नहीं हैं।
योगी आदित्यनाथ ने तमाम बार अपने भाषणों में अपनी सरकार की तुलना रामराज्य से की है। अपने एक भाषण में उन्होंने कहा था कि इस देश में रामराज्य ही चाहिए समाजवाद नहीं। हमारी सरकार रामराज्य की अवधारणा को ज़मीन पर उतारने को लेकर प्रतिबद्ध है।
योगी आदित्यनाथ के इस रामराज्य में क्या महिलाएं सुरक्षित हैं, इस सवाल पर कई दावे पेश किए जाते रहे हैं, लेकिन आँकड़ें इन दावों से अलग ही तस्वीर पेश करती हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की इस साल जनवरी में आई सालाना रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे अव्वल है। देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ 2018 में कुल 378, 277 मामले दर्ज हुए। जिसमें अकेले यूपी में 59, 445 मामले दर्ज किए गए। यानी देश में कुल महिलाओं के साथ किए गए अपराध का लगभग 15.8 प्रतिशत अपराध अकेले यूपी में हुआ। इसके अलावा प्रदेश में कुल रेप के 43,22 केस हुए मतलब हर दिन 11 से 12 रेप केस दर्ज हुए। खास बात यह है कि ये उन अपराधों पर तैयार की गई रिपोर्ट है जो थानों में दर्ज हो पाई हैं। इन रिपोर्ट से कई ऐसे केस रह जाते हैं जिनकी थाने तक कभी शिकायत ही नहीं पहुँच पाती है। बता दें कि एनसीआरबी देश के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था है।
मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सबसे पहले योगी आदित्यनाथ ने एंटी रोमियो दस्ता के गठन का ऐलान किया था। इस दल का काम था कि स्कूल-कॉलेज जाने वाली लड़कियों को छेड़खानी से बचाना। लेकिन इसके लॉन्च होने के बाद ही इसके कामकाज पर विवाद पैदा हो गया। कई ऐसे मामले सामने आने लगे जहां सहमति से साथ में बैठे या साथ चल रहे लड़के-लड़कियों को भी एंटी रोमियो दस्ता परेशान करने लगे। 30 मार्च 2017 को ख़बर सामने आई जहां एंटी रोमियो गस्त पर निकली पुलिस ने रामपुर में एक भाई-बहन को परेशान किया और पुलिस थान ले आई। ये भाई-बहन गाँव से रामपुर शहर दवा लेने गए थे। जब दोनों ने ये साबित कर दिया की वह भाई-बहन हैं तो भी पुलिस पर छोड़ने के एवज में 5 हज़ार रुपए मांगने का आरोप लगता रहा।
इसके अलावा एंटी रोमियो को लेकर कई ऐसी ख़बरें सामने आईं जहां उन्होंने सुरक्षा तो नहीं दी बल्कि मुश्किलें अलग से बढ़ा दीं। जून 2019 में सूबे में अपराध के बढ़ते मामलों को देखते हुए योगी सरकार ने राज्य की पुलिस को एंटी रोमियो दस्ता को दोबारा सक्रिय करने का आदेश दिया। एंटी रोमियो दस्ते की कार्रवाई में मिले डेटा के मुताबिक़ प्रयागराज, आगरा, गोरखपुर, लखनऊ, बरेली, कानपुर सहित 10 ज़ोन में एंटी रोमियो दल ने कुल 7134 मामले दर्ज किए जिसमें 11222 गिरफ़्तारियां की गई। लेकिन आँकड़े कहते हैं कि इसका कोई बड़ा असर उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ़ बढ़ रहे अपराध को कम करने में नज़र नहीं आता।
वीमेन हेल्पलाइन के कर्मचारियों साल भर से नहीं मिली तनख्वाह
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आठ मार्च 2016 को एक महत्वकांक्षी प्रोजक्ट वीमेन हेल्पलाइन 181 की शुरुआत की थी। इसे पायलेट प्रोजेक्ट के तहत 11 ज़िलों में लॉन्च किया गया। इस हेल्पलाइन नंबर को चलाने की ज़िम्मेदारी मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टेंडिंग के तहत पांच साल तक के लिए एक प्राइवेट कंपनी जीवीके इमर्जेंसी मैनेजमेंट एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट को दी गई।
इसके बाद मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और योगी मुख्यमंत्री बने। साल 2017 के एनसीआरबी के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ़ अपराध के मामले में देखते ही देखते उत्तर प्रदेश 56011 केस के साथ नंबर एक पर पहुंच गया। इसको देखते हुए योगी सरकार ने जून 2018 में इस योजना को 11 ज़िलों से बढ़ा कर 75 ज़िलों तक पहुंचाया। लेकिन बीते फ़रवरी से राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस विभाग की सैलरी के लिए जाने वाला फंड रोक दिया।
जिसका असर ये रहा कि 11 महीनों से इस हेल्पलाइन के लिए काम कर रही 350 से ज़्यादा महिला कर्मचारियों को वेतन का एक रूपया नहीं मिला। 24 जुलाई, 2020 को योगी सरकार ने इस वीमेन हेल्पलाइन नंबर को पुलिस हेल्प लाइन नंबर 112 से जोड़ दिया है जिसका मतलब है कि अब जिस नंबर का इस्तेमाल पुलिस को इमर्जेंसी कॉल के लिए किया जाता है उसी को वीमेन हेल्पलाइन की तरह भी इस्तेमाल किया जाएगा। वेतन ना मिलने पर महिला कर्मचारियों ने जब भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी तो योगी सरकार ने जल्द से जल्द बकाया वेतन देने का वादा किया है, हालांकि अब तक इन महिलाओं को वेतन नहीं मिल सका है।