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उत्तर प्रदेश

योगीराज : कानपुर देहात में प्रधान और सचिव ने विकास कार्य के रुपये से बनवाईं दुकानें, निर्माण से पहले हजम किया 28 लाख

Janjwar Desk
31 Jan 2021 3:38 PM GMT
योगीराज : कानपुर देहात में प्रधान और सचिव ने विकास कार्य के रुपये से बनवाईं दुकानें, निर्माण से पहले हजम किया 28 लाख
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हैरतअंगेज बात यह है कि इतनी बड़ी रकम अधूरे पड़े निर्माण से पहले ही निकलवा ली गई। जब इसकी जानकारी जिले के उच्चाधिकारियों को लगी तो उन्होंने इसकी जांच जिला पंचायती राज अधिकारी को सौंप दी। फिलहाल जांच चल रही है।

जनज्वार ब्यूरो/कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश में अपराधों के साथ भृष्टाचार भी चरम पर है। योगी आदित्यनाथ के अफसर इसपर लगाम लगाने के बजाय उल्टा पत्रकारों पर ही मुकदमे लगवा देते हैं, जो उनकी सच्चाई दिखा दे। यूपी में हर तरह का गड़बड़झाला चल रहा है। अब इसे योगी सरकार की नजरअन्दाजी कहें या फिर उनके आस-पास रहने वाले नौकरशाह हो सकता है उनतक पूरी बात ही ना पहुंचने देते हों, पर ऐसा हो लगता नहीं।

दरअसल कानपुर देहात में डिलवल गांव के प्रधान औऱ प्रधान सचिव द्वारा मिलकर खेला गया एक अनोखा खेल सामने आया है। जिलाधिकारी की बिना स्वीकृति के 28 लाख रुपये कीमत की गांव में दुकानें बनवाकर रुपए भी निकाल लिए। जबकि दुकाने अभी भी अधूरी पड़ी हुई है। मामला खुलने के बाद मुख्य विकास अधिकारी ने जिला पंचायतराज अधिकारी को जांच के आदेश दिए हैं।

बीती 25 दिसंबर को ग्राम पंचायत प्रधानों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। ऐसे में इन पांच सालों के भीतर ग्राम सभा मे कराए गए विकास कार्यो की जांच उच्चाधिकारियों ने शुरू की तो एक के बाद एक कई गांव भृस्टाचार की भेंट चढ़े हुए पाए गए। कुछ यही हाल ग्रामसभा के डिलवल गांव का है, जहा प्रधान औऱ प्रधान सचिव ने मिलकर गांव में विकास कार्य को एक किनारे रखकर 28 लाख की दुकानें बनवा डाली जिसकी स्वीकृति न ही जिलाधिकारी से ली और न ही मुख्य विकास अधिकारी से।

सबसे हैरतअंगेज बात यह है कि इतनी बड़ी रकम अधूरे पड़े निर्माण से पहले ही निकलवा ली गई। जब इसकी जानकारी जिले के उच्चाधिकारियों को लगी तो उन्होंने इसकी जांच जिला पंचायती राज अधिकारी को सौंप दी। फिलहाल जांच चल रही है। इस मामले में प्रधान पुत्र अश्वनी चौबे से बात की तो उन्होंने इसे राजनैतिक विद्वेष बताया कहा मैने किसी काम को गलत तरीके से नहीं किया है। गांव के विकास को लेकर ही काम कराया है। इस काम के लिए अलग अलग दुकानें बनवाई है, अगर एक काम को करते हैं तब जिलाधिकारी से अनुमति ली जाती है।

[ मुख्य विकास अधिकारी सौम्या पांडे ]

इस पूरे मामले को लेकर मुख्य विकास अधिकारी सौम्या पांडे ने बताया कि मामले की जांच जिला पंचायती राज अधिकारी यानी डीपीआरओ को दी गई है, जांच चल रही है। लेकिन सबसे बड़ी बात है कि कैसे अधूरे पड़े काम का रुपया निकल गया और गांव में बनाई गई दुकानो की स्वीकृति क्यों नही ली गई थी।अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले को लेकर प्रशासन प्रधान और प्रधान सचिव पर क्या कार्यवाही करता है।

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