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उत्तर प्रदेश

बिकरू कांड : 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने के बाद कहां गया था गैंगस्टर विकास दुबे और किसने की थी उसकी मदद, अब खुला राज

Janjwar Desk
3 March 2021 10:44 PM IST
बिकरू कांड : 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने के बाद कहां गया था गैंगस्टर विकास दुबे और किसने की थी उसकी मदद, अब खुला राज
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विकास दुबे ने पुलिस को बताया था कि वह दिल्ली में उतरकर सीधा परी चौक गया था, जांच में पता चला कि वह परी चौक नहीं, बल्कि कश्मीरी गेट गया था, जहां पर उसे अपने एक नेटवर्क से मिलना था, कश्मीरी गेट से विकास दुबे राजस्थान गया और उज्जैन में पकड़े जाने से एक रात पहले पहुंचा था...

जनज्वार, कानपुर। कानपुर के चर्चित गैंगस्टर विकास दुबे के बिकरू कांड के बाद एनकाउंटर में उसकी हत्या कर दी गयी थी। आठ महीने पहले घटे इस कांड के रोज—रोज नये खुलासे होते जा रहे हैं। अभी भी पता नहीं इसकी कितनी परतें खुलनी बाकी है।

अब इस मामले की जांच कर रही एसटीएफ ने खुलासा किया है कि 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने के बाद गैंगस्टर यानी बिकरू डॉन विकास दुबे कहां गया था और उसकी मदद किसने की थी।

जानकारी में सामने आया है कि उज्जैन पुलिस की पूछताछ और उसके बाद एसटीएफ और पुलिस की संयुक्त टीम के साथ कानपुर वापस लाए जाने के दौरान विकास दुबे ने पुलिस से झूठ बोला था। विकास दुबे ने पुलिस को बताया था कि वह दिल्ली में उतरकर सीधा परी चौक गया था। जांच में पता चला कि वह परी चौक नहीं, बल्कि कश्मीरी गेट गया था, जहां पर उसे अपने एक नेटवर्क से मिलना था। कश्मीरी गेट से विकास दुबे राजस्थान गया और उज्जैन में पकड़े जाने से एक रात पहले पहुंचा था।

बिकरू कांड के आठ महीने बीत जाने के बाद एसटीएफ लगातार इस मामले में एक के बाद एक खुलासा कर रही है। गौरतलब है कि उज्जैन पुलिस ने 9 जुलाई, 2020 की सुबह महाकाल मंदिर से विकास दुबे को पकड़ा था, जिसके बाद उससे पूछताछ की गयी थी। उसने पुलिस को पूछताछ में बताया था कि वह औरैया से दिल्ली बस अड्डे पहुंचा और वहां से परी चौक नोएडा गया। उसके बाद फरीदाबाद आया। शायद यह झूठ उसने इसलिए बोला होगा कि उसे अंदाजा भी नहीं होगा कि उसका एनकाउंटर हो जायेगा। अब ब जब उसके मददगार पकड़े गए तो कहानी बिल्कुल एकदम उल्टी निकली है।

एसटीएफ अधिकारियों ने खुलासा किया है कि औरैया से विकास दुबे वोल्वो से दिल्ली गया था और वहां पर कश्मीरी गेट पर उतरा। कश्मीरी गेट पर उसे संजय परिहार से मिलना था जो उसके रुकने की व्यवस्था कराने वाला था। मगर संजय परिहार वहां नहीं पहुंचा था, इसलिए विकास दुबे वहां से फरीदाबाद में अपने एक रिश्तेदार के यहां चला गया था। उसके बाद 7 जुलाई की देर रात गैंगस्टर फरीदाबाद से झालावार राजस्थान के लिए रवाना हो गया थी। वहां पर भी जिसने उसके रुकने की व्यवस्था की थी, उसने भी आखिरी समय पर विकास को धोखा दे दिया था।

दो जगह से धोखा खाने के बाद राजस्थान से विकास दुबे ने उज्जैन में अपने एक शराब कारोबारी मित्र से बात की, जिसने उसे वहां बुलाया। शराब कारोबारी के आश्वासन पर विकास दुबे झालावार राजस्थान से 8 जुलाई की शाम को उज्जैन पहुंचा था। शराब कारोबारी मित्र ने ही उज्जैन में विकास के रुकने और खाने—पीने की व्यवस्था की थी। 9 जुलाई की सुबह विकास दुबे महाकाल मंदिर पहुंचा और वहां पर नाटकीय ढंग से खुद को गिरफ्तार करा लिया था।

एसटीएफ का कहना है कि औरैया से उज्जैन तक विकास दुबे ने दूसरे लोगों के फोन का इस्तेमाल अपने संपर्क तक पहुंचने के लिए किया था। पुलिस की पहुंच से दूर रहने के लिए उसने अपने फोन का कतई इस्तेमाल नहीं किया था, बल्कि चलते फिरते मदद के नाम पर लोगों के फोन का इस्तेमाल किया था।

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