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विकास दुबे का हमराज व खजांची जय वाजपेयी कौन है जिसकी अब सबसे अधिक चर्चा है?
विकास दुबे के साथ जय वाजपेयी (गुलाबी शूट में दायें) का फाइल फोटो.
जनज्वार। कानपुर का कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे शुक्रवार की सुबह उज्जैन से लाए जाने वक्त पुलिस इनकाउंटर में मारा गया। पुलिसिया दावे के अनुसार, पुलिस की गाड़ी दुर्घटना के बाद उसने हथियार छीन कर भागने की कोशिश की और फायरिंग की जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। हालांकि लोगों का यह बात पच नहीं रही है कि जो आदमी भागते-छिपते थक चुका था और उज्जैन में महाकाल मंदिर के एक गार्ड के पास जाकर आत्मसमर्पण किया, वह पुलिस की भारी-भरकम टीम के बीच से भागने की कोशिश कैसे करेगा।
विकास दुबे का मारा जाना पुलिस की सफलता कतई नहीं मानी जा सकती है, क्योंकि यहां अपराधियों और उनके व्यापक तंत्र जिसमें राजनेता, पुलिस, अधिकारी और कारेाबारी सब शामिल होते हैं की जांच में खलल पैदा होती है। अगर विकास जिंदा रहता तो पुलिस पूछताछ में वह कई राज उगलता, पुलिस उससे यह पूछ सकती थी कि उसके किन नेताओं, किन अफसरों से रिश्ते हैं और उसे किस-किस का शह प्राप्त है।
विकास दुबे के मारे जाने के बाद अब चर्चा के केंद्र में उसका सबसे खास सहयोगी जय वाजपेयी है। जय वाजपेयी यूपी एसटीएफ के कब्जे में है जिससे कई चरण की पूछताछ हुई है और ऐसी खबरें आ रही हैं कि उसे छोड़ा जा सकता है। लेकिन, एक तबका उसकी सुरक्षा को लेकर सवाल उठा रहा है। पूर्व आइएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने कहा है कि अब एक ही व्यक्ति है जो दबे हुए राज खोल सकता है - जय वाजपेयी, योगी जी, उसकी सड़क दुर्घटना में मौत कब हो रही है?
अब एक ही व्यक्ति है जो दबे हुए राज खोल सकता है - जय वाजपेयी
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) July 10, 2020
योगी जी, उसकी सड़क दुर्घटना में मौत कब हो रही है?
जय वाजपेयी 27-28 साल का लड़का है, जो कुछ साल पहले तक चार हजार रुपये की नौकरी करता था और पान जैसी मामूली दुकान का पार्टनर हुआ करता था। उसका भाई चाय-पान की उस दुकान को चलाता था। कहते हैं आज उसके पास अकूत दौलत है और दुबई तक में उसके पास फ्लैट है। कानपुर के ब्रह्मनगर इलाके में उसका घर है। उसकी बिल्डिंग अपने इलाके की सबसे बड़ी व भव्य है।
विकास दुबे की अपराध की दुनिया से होने वाली करोड़ों की अवैध कमाई को जय वाजपेयी बाजार में निवेश करता, लोगों को कर्ज पर देता। विकास से वह वो पैसे दो प्रतिशत के ब्याज पर उठाता और दूसरों को 10 प्रतिशत पर देता था। वह विकास के लिए मैनेजर का काम करता और अफसरों के लिए वे सारे प्रबंध करता जो उन्हें चाहिए होता। वह अपने मकानों में पुलिस को रखता जिनसे उसे मदद मिलती।
महत्वपूर्ण सूचना: विकास दुबे का गुर्गा जय वाजपेयी को सोमवार को STF की कस्टडी से छोड़ दिया जाएगा ये कह कर कि उनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला। केस पर फ़ाईनल रिपोर्ट लगाने की योजना है। सरकार के बड़े अधिकारी 'मैनेजमेंट' में जुट गए हैं।
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) July 10, 2020
जय वाजपेयी 2012-13 तक एक प्रीटिंग प्रेस में नौकरी करता था, फिर विकास दुबे के संपर्क में आने के बाद जमीन की खरीद बिक्री का कारोबार करने लगा। वह 2015-16 में कानपुर के बाजार में ब्याज पर पैसे देने लगा। वह कइ मकान और एक बेनामी पेट्रोल पंप का मालिक बन गया। अपराध की दुनिया के पैसों को बाजार में निवेश कर हुई कमाई के साथ उसने समाजसेवी की छवि बनाना शुरू किया। उसे विकास दुबे का खजांची भी कहा जाता है।
कानपुर में जय वाजपेयी के पड़ोसी एपी सिंह ने जनज्वार को बताया था कि जय वाजपेयी के इशारे पर पुलिस ने उनके घर पर आकर धक्का-मुक्की की और प्रताड़ित किया। उन्होंने यह भी कहा था कि उसके मकानों
में पुलिस अफसर रहते थे। जब हमने एसपी पश्चिम से शिकायत की तो उन्होंने कहा कि वे किराये पर रहते हैं आप क्यों परेशान हो रहे हैं। एपी सिंह ने कहा था कि उन्हें घर के कपड़ों में हिरासत में डाल दिया था और बिजली चोरी में फंसाने की कोशिश की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि भाजपा के कुछ स्थानीय नेता की शह पर उन्हें प्रताड़ित किया था। उन्होंने यह भी कहा कि उनके एक बेटे का पुलिस को इनकाउंटर करने को कहा गया था।
(कानपुर से मनीष दुबे के इनपुट के साथ।)