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Uttarakhand Election 2022 : मुफ्त बिजली गारंटी योजना के खिलाफ दायर याचिका हाईकोर्ट से खारिज, AAP को मिली राहत

Janjwar Desk
10 Dec 2021 11:36 AM IST
Uttarakhand Election 2022 : मुफ्त बिजली गारंटी योजना के खिलाफ दायर याचिका हाईकोर्ट से खारिज, AAP को मिली राहत
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नैनीताल हाईकोर्ट ने याची को बिजली बिल गारंटी कार्ड को मुद्दा निर्वाचन आयोग के समक्ष देने उठाने का सुझाव दिया है।

Uttarakhand Election 2022 : नैनीताल हाईकोर्ट ने याची को बिजली बिल गारंटी कार्ड को मुद्दा निर्वाचन आयोग के समक्ष देने उठाने का सुझाव दिया है। इसे आम आदमी पार्टी के लिए हाईकोर्ट से राहत के तौर पर देखा जा रहा है।

नैनीताल। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर चुनाव सरगर्मी चरम पर है। इस बार आम आदमी पार्टी की एंट्री से प्रदेश का सियासी माहौल दिलचस्प हो गया है। फिलहाल, आम आदमी पार्टी की मुफ्त बिजली गारंटी योजना के खिलाफ दायर याचिका को नैनीताल हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मुद्दे को निर्वाचन आयोग के समक्ष देने उठाने का सुझाव दिया है।

इसे आम आदमी पार्टी के लिए हाईकोर्ट से राहत के तौर पर देखा जा रहा है। अब यह मामला निर्वाचन आयोग के पाले में चली गई है।

इस बार उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी अपने चुनावी वायदों को गारंटी का नाम दे रही है। गारंटी योजना के तहत लोगों से संपर्क कर गारंटी कार्ड बांटे जा रहे हैं। हाल ही में दिल्ली के सीएम एवं आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड के दौरे के दौरान इसकी घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि अगर उत्तराखंड में आप की सरकार बनी तो लोगों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाएगी।

केजरीवाल की घोषणा को हकीकत में तब्दील करने के लिए आप कार्यकर्ता घर—घर जाकर लोगों को गारंटी कार्ड बांट रहे हैं। उनका रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं, जैसे सरकार करती है। आप के इस पहले को नियम विरूद्ध बताते हुए नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई और उसमें इसके तरीकों पर सवाल उठाए गए थे। याचिकार पर सुनवाई के हाईकोर्ट ने याची को चुनाव आयोग के समक्ष इस मसले को उठाने को कहा है।

इससे पहले मंगलवार सात दिसंबर को न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एकलपीठ में देहरादून के विकासनगर निवासी व उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य संजय जैन की याचिका पर सुनवाई हुई थी। अब फिर इस याचिका में सुनवाई हुई। याचिका में कहा है कि आम आदमी पार्टी के कर्नल अजय कोठियाल द्वारा उत्तराखंड की जनता को उनकी सरकार आने पर फ्री में 300 यूनिट बिजली देने का केजरीवाल मुफ्त बिजली गारंटी कार्ड बांटा जा रहा है। इसमे शर्त रखी है कि पहले उन्हें पार्टी द्वारा जारी मोबाइल नम्बर पर मिस्ड कॉल करना है, फिर उन्हें 300 यूनिट बिजली का गारंटी कार्ड जारी किया जा रहा है। यह कार्ड सदस्यों को संभाल के रखना है, तभी उनको सरकार बनने पर 300 यूनिट बिजली फ्री में दी जाएगी।

याचिकाकर्ता ने कहा था कि आप पार्टी द्वारा लिखित में रजिस्ट्रेशन कराना पूरी तरह असंवैधानिक है। आम आदमी पार्टी द्वारा 300 यूनिट फ्री में देने का कोई लिखित पत्र सरकार को नहीं दिया, न ही इनकी सरकार है। साथ ही उन्हें सरकार ने भी इसकी कोई अनुमति नहीं दी। फिर वे किस हैसियत से लोगों से गारंटी कार्ड भरवा रहे हैं। इस तरह के गारंटी कार्ड भराना लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 123 के विरुद्ध है। यह कृत्य भृष्ट आचरण की श्रेणी में आता है।

याचिकाकर्ता के मुताबिक यह आचरण जनता को गुमराह करने वाला है, इस पर आदर्श आचार संहिता के अंतगर्त रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में आदर्श आचार संहिता कमीशन बनाने के आदेश दिए थे। याचिकाकर्ता यह भी कहना है कि वह इसका विरोध नहीं करते है, लेकिन बिना सरकार के गारंटी कार्ड देना जनता के साथ धोखा है। यह तो सरकार का काम है। याचिका में केंद्रीय निर्वाचन चुनाव आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग, आम आदमी के अजय कोठियाल को पक्षकार बनाया था। लेकिन याचिका में दिए गए सभी बिंदुओं को हाई कोर्ट ने अपने हस्तक्षेप योग्य न मानते हुए याचिकाकर्ता को इस मामले में निर्वाचन आयोग की शरण लेने की सलाह देते हुए याचिका खारिज कर दी।

इस मामले में याचिका खारिज होने के बाद आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष शिशुपाल सिंह रावत ने कहा कि आम आदमी पार्टी अपने वायदों की जनता को लिखित रूप से गारंटी दे रही है। चुनाव से पूर्व नेता जनता से तमाम वायदे करते हैं। जिन्हें चुनाव बाद भूला दिया जाता है। ठगी हुई जनता उनके खिलाफ कुछ नहीं कर पाती। इस प्रकार की लिखित गारंटी दिए जाने पर जनता वायदाखिलाफी की स्थिति में नेताओं को कोर्ट में घसीट सकती है। योजना लागू किये जाने की गारंटी दिए जाने पर उत्तराखण्ड की जनता का भरोसा आम आदमी पार्टी में लगातार बढ़ रहा है। इससे बौखलाकर भाजपा-कांग्रेस जैसी पार्टियां आम आदमी पार्टी के इस जनसम्पर्क अभियान को रोकने की कोशिश कर रहीं हैं। जिससे जनता के बीच उठ रहे सवालों से वह बच सके।

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