Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

Uttarakhand News: वन्यजीवों का खौफ, पिथौरागढ़ में गुलदार के आतंक से लग गया कर्फ्यू तो चमोली में भालू को मारनी पड़ी गोली

Janjwar Desk
23 Sep 2021 2:30 AM GMT
Uttarakhand News: वन्यजीवों का खौफ, पिथौरागढ़ में गुलदार के आतंक से लग गया कर्फ्यू तो चमोली में भालू को मारनी पड़ी गोली
x

(उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में आदमखोर गुलदार के खौफ से कर्फ्यू लगानी पड़ी है) प्रतीकात्मक तस्वीर

Uttarakhand News: पहाड़ों में गुलदार-भालू तो भावर में बाघ-हाथी इंसानो के लिए घातक होते जा रहे हैं, इन खौफनाक वन्यजीवों की वजह से आबादी में इनकी दहशत बढ़ती जा रही है..

सलीम मलिक की रिपोर्ट

Uttarakhand News: (देहरादून)। उत्तराखण्ड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों का ग्रामीण हिस्सा पहले से वन्यजीवों (Wild Animals) के आतंक की जबरदस्त चपेट में माना जाता है। लेकिन बढ़ते पलायन से खाली होते गांवो की वजह से वन्यजीव अब शहरी आबादी (Town population) के इर्द-गिर्द भी अपनी पहुंच बनाने लगे हैं।

आये दिन राज्य के किसी न किसी हिस्से से इंसानो की मौत की खबर आते रहती है। पहाड़ों में गुलदार-भालू तो भावर में बाघ-हाथी (Tigers and Elephants) इंसानो के लिए घातक होते जा रहे हैं। इन खौफनाक वन्यजीवों की वजह से आबादी में इनकी दहशत बढ़ती जा रही है।

बुधवार को वन्यजीवों से जुड़ी आयी दो अलग खबरें भले ही राज्य के दो अलग-अलग मण्डलों कुमाउं व गढ़वाल (Kumayu and Garhwal) से हों, लेकिन पहाड़ में वन्यजीवों के खतरे को एक ही ढंग से परिभाषित करती हैं। पहली घटना में वनकर्मियों को दहशत का सबब बने एक खूंखार भालू को गोली से उड़ाने पर मजबूर होना पड़ा तो दूसरी खबर गुलदार के खौफ के चलते इलाके में कर्फ्यू लगने को लेकर है।

बात करें पहली खबर की तो उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) जिले के जोशीमठ (Joshimath) क्षेत्र में कई दिनों से ग्रामीणों में दहशत की वजह बने खूंखार भालू को वन-विभाग की टीम ने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। वन-विभाग की टीम इस भालू को जिंदा पकड़ना चाह रही थी लेकिन मौके पर हालात कुछ ऐसे बने कि आदमी की जान बचाने के लिए इस भालू की मौत शर्त बन चुकी थी।

दरअसल पिछले कुछ अरसे से चमोली जिले के जोशीमठ में एक जंगली भालू की गतिविधियां बढ़ने लगी थी। इस भालू ने सिंहद्वार इलाके के आसपास स्थानीय लोगों पर हमले करने शुरू कर दिए। इसके हमलों का शिकार वन-विभाग के कर्मचारियों तक को होना पड़ा। कई लोगों को भालू ने जब घायल कर दिया तो भालू द्वारा लोगों पर हमला करने की घटना को गंभीरता से लेते हुये भालू को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया।

टीम गठित होने के बाद जब यह भालू फिर से सिंहद्वार क्षेत्र में आ धमका तो भालू की मौजूदगी से लोगों में दहशत मच गई। आबादी क्षेत्र में भालू के होने की खबर मिलते ही भालू को पकड़ने के लिए गश्त पर निकली वन-विभाग की टीम पिंजरा आदि लेकर पूरी तैयारी के साथ मौके पर पहुंच गयी।

मौके पर पहुंचकर वनकर्मियों ने भालू को पकड़ने के लिए पोजिशन लेकर सबसे पहले उसे ट्रेंकुलाइज करने के लिए ट्रेंकुलाइज गन से बेहोशी का इंजेक्शन भालू के शरीर में पैबस्त किया। इंजेक्शन लगते ही भालू अर्द्धबेहोशी की हालत में जाने लगा।

वनकर्मियों को जैसे ही भालू के बेहोश होने भान हुआ तो दो कर्मचारी जाल लेकर भालू को लपेटने उसकी तरफ चल दिये। जैसे ही दोनों कर्मचारी जाल लेकर भालू के पास पहुंचे तो अर्द्धबेहोशी की हालत में पड़े भालू ने एकाएक उठ खड़े होकर वन-विभाग के कर्मचारियों पर हमला कर दिया।

जैसे ही भालू ने आक्रमक होकर वन-विभाग के कर्मचारियों पर हमला किया वैसे ही मौके पर कर्मचारियों में भगदड़ मच गई। लेकिन मौके पर मौजूद एक बंदूकधारी वनकर्मी ने आक्रमक हुए खूंखार भालू पर आत्मरक्षा में गोली चलाकर उसे घायल कर दिया। दो गोलियां लगने के कारण थोड़ी देर में ही भालू मौके पर ही ढेर हो गया।

भालू की मौत के बाद उसके पोस्टमार्टम (Postmortem) आदि की सरकारी औपचारिकताओं को पूरा किया गया। इंसानों के लिए खतरा बन रहे इस खूंखार भालू की मौत के बाद वन विभाग की टीम और स्थानीय आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने तो राहत की सांस ली है। लेकिन पिथौरागढ़ के लोगों को गुलदार के पिंजरे में कैद होने के बाद भी राहत नहीं मिल सकी है।

पिथौरागढ़ (Pithauragadh) का किस्सा यह है कि आदमखोर गुलदार की वजह से प्रशासन ने लोगों की सुरक्षा के लिए सीधे कर्फ्यू की ही घोषणा कर दी है। गुलदार के आतंक के चलते लगाये गये कर्फ्यू के तहत प्रशासन ने शाम छह बजे के बाद ग्रामीणों के घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

दरअसल पिथौरागढ़ नगर पालिका के बजेटी वार्ड में तीन दिन पहले एक गुलदार ने मासूम बच्ची को अपना शिकार बनाकर उसे मौत के घाट उतार दिया था। हालांकि इसके बाद जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान की सख्ती के बाद वन विभाग ने पिंजरा लगा कर गुलदार को पकड़ लिया था। लेकिन इसके बाद भी लोगों की सुरक्षा के लिए डीएम ने इस क्षेत्र में नाइट कर्फ्यू का ऐलान कर दिया है। जिससे इस संभावना को बल मिलता है कि हो सकता है पकड़ा गया गुलदार वह हमलावर गुलदार न हो, जिसे समझा जा रहा है।

यदि पकड़ा गया गुलदार वो नहीं हो, जिसने हमला किया था तो आदमखोर हो चुका गुलदार फिर आबादी के इर्द-गिर्द आएगा। जिससे उसे पहचानकर उसे पकड़ने की तैयारी की जाएगी। उप जिला मजिस्ट्रेट नन्दन कुमार के अनुसार जिलाधिकारी पिथौरागढ़ के निर्देशों के क्रम में पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय अन्तर्गत स्थान बजेटी, पौण, पपदेव, जीआईसी रोड, चंडाक एवं रई क्षेत्र में बढ़ते बाघ-गुलदार के आतंक के देखते हुए नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है।

कर्फ्यू बुधवार शाम से ही शुरू हो गया। कर्फ्यू का समय शाम छः बजे से सुबह छः बजे तक रहेगा। इस मामले में मजिस्ट्रेट ने प्रभारी निरीक्षक थाना कोतवाली पिथौरागढ़, उप प्रभागीय वनाधिकारी, जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी पिथौरागढ़ को निर्देश दिए हैं कि वह समय-समय पर क्षेत्र में प्रचार प्रसार कर आम जनमानस को सूचित करना सुनिश्चित करेगें। उन्होंने कहा कि आदेश का अनुपालन न किये जाने पर सम्बन्धित के खिलाफ सुसंगत धाराओं में कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

कुल मिलाकर राज्य के दो अलग-अलग जिलों की इन खबरों में आपस का तारतम्य इतना ही कि इंसानो के लिए वन्यजीवों के बढ़ते खतरों का फैलाव पूरे पर्वतीय क्षेत्र में तकरीबन रक जैसा ही। पहाड़ में गुलदार और भालू आतंक की वजह बने हुए हैं तो भावर में बाघ-हाथियों का खतरा बरकरार है।

Next Story

विविध