कृषि कानूनों के खिलाफ उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने मनाया 'काला दिवस', कहा क्रूर व दमनकारी है मोदी सरकार का रवैया
(उपपा के नेताओं ने पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में काला दिवस मनाया।)
जनज्वार/अल्मोड़ा। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर काला दिवस मनाया और मोदी सरकार से तत्काल किसान, जन विरोधी तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की।
उपपा के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी. सी. तिवारी ने कहा कि देश के अन्नदाताओं के ख़िलाफ़ मोदी सरकार की इस क्रूर व दमनकारी रवैए से पूरा देश हतप्रभ है।
उपपा के कार्यालय में काले झंडे, हाथों में काली पट्टियों व पोस्टरों के साथ किए गए इस प्रदर्शन के माध्यम से उपपा ने आरोप लगाया है कि सरकार ने महामारी को अपने पूंजीवादी मित्रों के लिए अवसर में बदलते हुए तीन काले कृषि कानून लाकर देश को भारी संकट में डाल दिया है।
उपपा नेताओं ने कहा कि पिछले 6 माह से देश के किसान जाड़ा, गर्मी व बरसात की परवाह किए बिना राष्ट्रीय राजधानी के चारों तरफ धरना दे रहे हैं और अब तक 450 से अधिक किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं और केंद्र सरकार इस आंदोलन को थका कर समाप्त करना चाहती है जो भारतीय लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक साबित होगा।
उपपा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में कोरोना काल में जनता ऑक्सीजन, दवाओं व अस्पताल के लिए तड़पकर अपनी जान गंवा रही है तब हमारे नेता देश में 20 हज़ार करोड़ रूपए फ़िज़ूल ख़र्च कर नया संसद भवन व अपने लिए आवास बना रहे हैं। जो इस कहावत को चरितार्थ करता है कि "रोम जल रहा था और नीरो वंशी बजा रहा था"।
पार्टी ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह राष्ट्रीय हित में तत्काल तीनों काले कृषि कानूनों को वापस ले, किसानों को उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की गारंटी के साथ उत्तराखंड में जंगली, जानवरों से नष्ट हो रही खेती को बचाने का उपक्रम करे।
इस मौके पर कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए उपपा की केंद्रीय सचिव आनंदी वर्मा, हीरा देवी, गोपाल राम, सरिता मेहरा, हेमा पांडे, किरन आर्या, योगेश बिष्ट, नरेंद्र सिंह, राजू गिरी, उत्तराखंड छात्र संगठन की भारती पांडे व दीपांशु पांडे समेत अनेक लोग मौजूद रहे।