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उत्तराखंड

Bulli Bai App Case: Bulli Bai App मामले में तीसरी गिरफ्तारी भी उत्तराखण्ड से हुई, जानिए कौन है तीसरा आरोपी

Janjwar Desk
5 Jan 2022 7:52 AM GMT
Bulli Bai App Case: Bulli Bai App मामले में तीसरी गिरफ्तारी भी उत्तराखण्ड से हुई, जानिए कौन है तीसरा आरोपी
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Bulli Bai App Case: कुंठित मानसिकता का शिकार बने शातिर साइबर अपराधियों की उपज बुल्ली बाई एप्प के मामले में मुम्बई पुलिस ने उत्तराखण्ड से एक और गिरफ्तारी की है।

Bulli Bai App Case: कुंठित मानसिकता का शिकार बने शातिर साइबर अपराधियों की उपज बुल्ली बाई एप्प के मामले में मुम्बई पुलिस ने उत्तराखण्ड से एक और गिरफ्तारी की है। मास्टरमाइंड श्वेता नामक युवती के बाद मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने उत्तराखण्ड के पौड़ी जिले के कोटद्वार शहर से मयंक रावत नाम के इस लड़के को गिरफ्तार किया है।

देशभर में प्रतिष्ठित महिलाओं की फोटो ऐप में डालकर उनकी बोली लगाने वालों पर मुंबई पुलिस का शिकंजा कसा तो उसके तार उत्तराखंड से जुड़े मिले। अब तक उत्तराखंड में ऐप को लेकर दो गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।

एक दिन पहले मुंबई पुलिस ने उधमसिंह नगर जिले से श्वेता नाम की एक मास्टरमाइंड युवती को हिरासत में लिया था। यह युवती अपने दोस्त के माध्यम से तीन खातों से एप संचालित कर रही थी। ताज़ा गिरफ्तारी कज़ में बुल्ली बाई ऐप मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस टीम ने कोटद्वार नगर निगम की सीमा में रहने वाले निंबूचौर निवासी मयंक रावत को गिरफ्तार किया है।

कोटद्वार के वरिष्ठ पुलिस उप निरीक्षक जगमोहन रमोला ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मुंबई पुलिस द्वारा पकड़ा गया मयंक दिल्ली में बीएससी आनर्स की पढ़ाई कर रहा है। मयंक ने 2019 में मयंक ने दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था। लाकडाउन के कारण वह पिछले लंबे समय से घर में ही था।

पूछताछ में मयंक ने बताया कि वह बुल्ली बाई एप संचालित करने वाले व्यक्तियों से वर्चुअली जुड़ा हुआ था। आज तक उसकी इन लोगों से मुलाकात नहीं हुई है। एसएसआई ने बताया कि मुंबई की टीम देहरादून की एसटीएफ के साथ मध्य रात्रि के बाद कोटद्वार पहुंची और मयंक को उसके घर से गिरफ्तार किया।

क्या है बुली बाई ऐप

बुली बाई ऐप की पिछले दिनों से खूब चर्चा हो रही है। यह गिटहब नाम के प्लेटफॉर्म पर है। इस पर एक समुदाय विशेष की महिलाओं की बेट (बोली) लगाई जा रही थी। इस दौरान महिलाओं का चेहरा दिखाई देता है, जिसे बुली बाई नाम दिया है। इसमें इंटरनेट मीडिया पर काफी एक्टिव रहने वाले महिलाओं को टारगेट किया जाता है। इनमें पत्रकार, सामाजिक कार्यकत्रियां हैं। जो मुस्लिम समुदाय से हैं। इन महिलाओं की फोटो को प्राइसटैग के साथ बुली बाई ऐप में लोग एक-दूसरे को साझा करते थे। केंद्र सरकार के कहने पर इस एप को हटा दिया गया है।

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