Corbett Tiger Reserve News: कार्बेट टाइगर रिजर्व में बाघ ने वन कर्मी पर फिर किया हमला, हालत नाजुक
Corbett Tiger Reserve News: कार्बेट टाइगर रिजर्व के सर्पदुली रेंज में शुक्रवार को बाघ ने बाइक से आ रहे वन विभाग के एक बीट वाचर पर हमला कर उसे बुरी तरह से जख्मी कर दिया। यह हमला भी बाघ ने उसी स्थान पर किया है जहां दो दिन पहले कार्बेट पार्क में कार्यरत एक मजदूर को अपना निवाला बना चुका था। बाघ के हमले में घायल बीट वाचर उपचार के लिए संयुक्त चिकित्सालय रामनगर में भर्ती कराया गया। जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे काशीपुर हायर सेंटर भेज दिया गया है।
जानकारी के अनुसार कार्बेट टाइगर रिजर्व में पाटकोट चोपड़ा गांव निवासी बाबी चंद (30 वर्ष) नमक दैनिक श्रमिक विभाग में बतौर वाचर कार्यरत है। पर्यटकों के लिए ढिकाला जोन बंद होने के बाद ढिकाला कैंटीन कर्मचारी जब शुक्रवार को जिप्सी से वापस रामनगर आ रहे थे तो बाबी भी उनके साथ ही रामनगर आने के लिए जिप्सी के आगे-आगे अपनी बाइक से चल दिया। ढिकाला से वापसी के दौरान धनगढ़ी से डेढ़ किलोमीटर पहले ही कक्ष नंबर चार धनगढ़ी बीट के घने जंगल में झाड़ियों से अचानक निकलकर सड़क पर आए एक बाघ ने बॉबी पर हमला बोल दिया। बाघ बॉबी को घसीटकर जंगल ले जाने का प्रयास करने लगा। लेकिन इसी बीच पीछे जिप्सी से आ रहे लोगों में शोर शराबा करना शुरू कर दिया तो बाघ बॉबी को जख्मी हालत में छोड़कर भाग निकला।
घायल बॉबी को तत्काल जिप्सी से ही संयुक्त चिकित्सालय लाया गया है। जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि शुक्रवार के दिन जिस जगह पर बाघ ने बीट वाचर पर हमला किया है यह वही स्थान है जहां बीते बुधवार को कार्बेट में कार्यरत मानपुर ठाकुरद्वारा मुरादाबाद उत्तर प्रदेश निवासी खलील (26 वर्ष) पुत्र बांके नामक मजदूर को बाघ मौत के घाट उतार चुका है। इस घटना के बाद कार्बेट प्रशासन ने क्षेत्र में बाइक से चलने पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन इसके बाद भी बीट वाचर शुक्रवार को बाइक से आ रहा था।
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाघों की राजधानी कहलाए जाने वाले कार्बेट नेशनल पार्क में बाघों के हमले में अब तक कई वनकर्मी अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा कॉर्बेट व इससे सटे रामनगर वन प्रभाग और तराई पश्चिमी वन प्रभाग के जंगलों में भी बाघ कई लोगों को अपना निवाला बना चुके हैं। इसके अलावा हाथियों के हमले की बात करें तो पांच साल पूर्व ड्यूटी पर जा रहे दो वन कर्मियों को हाथी के हमले में तब जान गंवानी पड़ी थी जब वह जंगल गश्त के लिए जा रहे थे। साल 2019 में भी ठेकेदार के एक श्रमिक को ढिकाला में बाघ ने मार डाला था। इससे पहले ढिकाला में ही आग बुझाने गए दैनिक श्रमिक को भी बाघ ने हमले में जान गंवानी पड़ी थी। इस क्षेत्र में ही बाघ बीते दस सालों में करीब आठ से अधिक लोगों को मार चुका है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में बीते कुछ सालों में बाघ के हमले में जान गंवाने वालों की बात करें तो 2009 में भगवती देवी, 2010 में कांति देवी, नंदी देवी, कल्पना मेहरा, रेवती देवी, 2011 में शांति देवी व पूरन चंद्र, 2013 में राकेश कुमार, 2014 में हरनंदी, रामचरण सिंह व कृपाल, 2016 में ममता, गोविंदी देवी, परमजीत, कृष्णपाल सिंह, हरी राम, 2017 में भगवती देवी, लखपत सिंह, 2018 में पंकज व वीरेंद्र सिंह, 2019 में सोहन सिंह, बिशन राम व राजेश नेगी, 2021 में कमला देवी, 2022 में खलील की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही इन दिनों रामनगर वन प्रभाग की फतेहपुर रेंज में बाघ/गुलदार का जबरदस्त आतंक बना हुआ है। उत्तराखंड के खटीमा से सटे पीलीभीत क्षेत्र की सुरई रेंज भी कम खतरनाक नहीं है।