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उत्तराखंड

Ramnagar News : केंद्र के फैसले पर लोग बोले - घोषणा का स्वागत, बाकी लड़ाई जारी रहेगी

Janjwar Desk
19 Nov 2021 2:11 PM IST
Ramnagar News : केंद्र के फैसले पर लोग बोले - घोषणा का स्वागत, बाकी लड़ाई जारी रहेगी
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Ramnagar News : यदि इस किसान आंदोलन के पास जनबल की ताकत नहीं होती तो हक के लिए उठने वाली किसी अन्य आवाज की तरह कुचल दिया जाता।

Ramnagar News : किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों के अस्तित्व में आने के बाद से उत्तराखंड में किसान आंदोलन की प्रमुख धुरी बने रामनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। केंद्र सरकार के रुख को देखते हुए आंदोलन से जुड़े लोगों ने मोदी की घोषणा का दिल खोलकर स्वागत किया है। लेकिन किसानों का कहना है कि कानूनी तरीके से बिलों की वापसी तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

कानून वापस लेने के लिए सरकार मजबूर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कृषि कानूनों से जुड़े ऐलान के बाद इंकलाबी मजदूर केन्द्र के रोहित रुहेला बताते हैं कि देश के किसानों ने अंततः जीत हासिल की। मोदी सरकार को तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा। लेकिन जब तक तीनों कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक दिल्ली की सरहदों से उठने का सवाल ही नहीं उठता। इसके साथ ही एमएसपी, बिजली बिल जैसे कई और मामले हैं, जिन पर सरकार का अभी तक कोई साफ स्टैंड नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा की जल्द प्रस्तावित बैठक में सभी मामलों पर निर्णय लेकर भविष्य की रणनीति बनाई जाएगी।


सभी मुद्दों पर समाधान के बाद होगा आंदोलन समाप्त

समाजवादी लोकमंच के मुनीष कुमार के अनुसार यह किसानों की सामूहिक ताक़त का परिणाम है। लेकिन उनके अनुसार यह लड़ाई का निर्णायक मोड़ है न की समाप्ति की राह पर। किसान आंदोलन में लोगों पर लगे मुकदमों की वापसी, शहीद किसानों को मुआवजा, फसलों का न्यूनतम आधार मूल्य व बिजली को निजी क्षेत्र में दिए जाने जैसे कई मुददे अभी मौजूं हैं। जिनके समाधान के लिए आंदोलन जारी रहेगा। मुनीष ने बताया कि पैसे से खरीदे गए मीडिया व इवेंट कंपनियों से बनाई गई 'सशक्त मोदी' की इस छवि को पहली बार वास्तविक रूप में इस आंदोलन से चुनौती मिली थी। जिसमें इस छवि का पिलपिलापन सामने आ गया। एक बार फिर साबित हो गया कि लोकतंत्र में कोई महामानव नहीं होता। जनांदोलन की तपिश अच्छे-अच्छे महामानवों को सीधी राह पर चलने के लिए मजबूर कर देती है।

मोदी के अहंकार की हार

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी ने कहा कि मोदी की यह घोषणा उनके अहंकार की हार है। कल तक आंदोलनकारी किसानों को खालिस्तानी, मवाली, मुट्ठी भर किसान, फर्जी किसान, किराए के किसान जैसी तोहमतों से बदनाम करने वाला शकुनि कुनबे को किसानों की ताकत के सामने मुंह की खानी पड़ी है। इसके साथ ही ध्यानी ने इस आंदोलन में हुए शहीद किसानों की मौतों व देशव्यापी नुकसान की जिम्मेदारी से लेने की मांग करते हुए कहा कि अभी भी समय है। मोदी सरकार अपना अहंकार छोड़कर किसानों के अब तक के हुए नुकसान की भरपाई करे।

मोदी की घोषणा एक छलावा

कांग्रेस का कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत ने इस घोषणा को एक छलावा बताते हुए कहा कि बिना किसी संवैधानिक बाध्यता के इस प्रकार की घोषणा केवल छलावा भी साबित हो सकती है। रावत ने कहा कि हर तानाशाह डरपोक होता है। जब उसे लगता है कि उसके जुल्मों सितम की इंतहा हो चुकी है। देश में क्रांति का आग़ाज़ हो चुका है। तब वह पछताता है। लेकिन तक देर हो चुकी होती है।तीनो काले कृषि क़ानून इसी सरकार ने बनाए जिसके विरोध में लगभग सात सौ किसानो ने शहादत दी। धूप-सर्दी-गर्मी में देश भर के लाखों किसान आपदा के समय सड़कों पर बैठने को मजबूर हुए। किन्तु तानाशाह चुनावों में व्यस्त थे। अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आने वाले कुछ महीनो में चुनाव नज़दीक देखकर किसानो को बरगलाने का खेल खेला जा रहा है। जबकि अभी मात्र घोषणा हुई है। रावत ने कहा कि इस सरकार के जुल्मों सितम का अंत निकट है।

आंदोलन को इतिहास याद रखेगा

भाकपा माले के गढ़वाल प्रभारी इन्द्रेश मैखुरी ने कहा देश का इतिहास यह याद रखेगा कि जिस समय इस देश के तमाम संसाधनों की हुकूमत द्वारा बोली लगाई जा रही थी, उस वक्त इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर न केवल कृषि भूमि को कॉरपोरेट के शिकंजे में जाने से बचाया बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा को बचाने के लिए भी अपना जीवन होम कर दिया। किसान आंदोलन, देश में अपने हक-अधिकारों के लिए संघर्ष करने वालों को प्रेरित करेगा कि बहुमत और सत्ता के मद में चूर सत्ता को झुकाने के लिए एकजुट आंदोलन ही एक मात्र रास्ता है। वास्तविकता यह है कि यदि इस किसान आंदोलन के पास जनबल की ताकत नहीं होती तो यह भी हक-अधिकार के लिए उठने वाली किसी अन्य आवाज़ की तरह कुचल दिया जाता।

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