Ramnagar News: भूखी बाघिन पर हुई थी गोलियों की बौछार, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आंतें मिली सूखी, फॉरेस्ट गार्ड को ठहराया पहली नजर में जिम्मेदार
Ramnagar News: भूखी बाघिन पर हुई थी गोलियों की बौछार, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आंते मिली सूखी, फॉरेस्ट गार्ड को ठहराया पहली नजर में जिम्मेदार
Ramnagar News: 14 नवम्बर सोमवार की रात भूखी बाघिन को मरचूला बाजार में शूट आउट किए जाने के मामले में बाघिन के इतनी बुरी तरह भूखे होने की पुष्टि हुई है कि उसकी आंते तक सूख चुकी थी। पोस्टमार्टम के दौरान यह जानकारी मिली कि गोली का शिकार बनी बाघिन का पेट पूरी तरह खाली था। उसकी आंत तक में खाने का कोई टुकड़ा नहीं पाया गया था। इतना ही नहीं, इस बाघिन के फेफड़े में किसी सेही का कांटा भी फंसा मिला। जिस वजह से इसके फेफड़े भी डेमेज वाली स्थिति में थे।
बता दे कि सोमवार की रात मरचूला बाजार में एक बाघिन को गोली मारकर उसे मौत के घाट उस वक्त उतार दिया गया था, जब वह भूख से परेशान होकर खाने की तलाश में इंसानों की बस्ती में आ गई थी। बाघिन की आबादी में दस्तक देते ही मरचूला बाजार के लोग अपने घरों में कैद हो गए थे। खौफजदा लोगों ने बाघिन की मौजूदगी की खबर वनकर्मियों को दी थी। सोमवार की आधी रात हुई इस वारदात के जो कुछ वीडियो पब्लिक डोमेन में घूम रहे थे, उसके अनुसार बुलैरो गाड़ी में सवार कुछ लोगों ने इस बाघिन को 12 बोर की बंदूक से गोली मार दी थी। यह लोग वनकर्मी थे या पब्लिक के, इसकी पुष्टि करने से हर कोई बच रहा था। लेकिन इन लोगों की बातचीत का आत्मविश्वास इन लोगों के वनकर्मी होने की चुगली कर रहा था। मारी गई इस बाघ की मौत का यह मामला तूल पकड़ गया था। देहरादून से लेकर दिल्ली तक के अधिकारी राष्ट्रीय पशु की हत्या के बाद सक्रिय हो गए थे। मानव वन्यजीव संघर्ष के हर मामलों में नेशनल टाइगर कंजरवेशसन अथारिटी (एनटीसीए) की स्पष्ट गाइड लाइन होने के कारण एनटीसीए भी इसमें खासा सक्रिय हो गया था। जिसके बाद वन विभाग ने पूरे घटनाक्रम का विवरण जारी करते हुए एक फॉरेस्ट गार्ड पर बाघ की मौत की पहली जिम्मेदारी तय करते हुए उसे दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया है। वन विभाग ने बाघिन के हुए पीएम के हवाले से उसकी स्थिति की जानकारी भी साझा की है।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक धीरज पाण्डे की ओर से जारी विज्ञप्ति में घटना का ब्यौरा देते हुए कहा गया है कि 14 नवम्बर की रात करीब 8.15 बजे कार्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग के अर्न्तगत वन क्षेत्र से एक मादा बाघ मरचूला बाजार (मानव बाहुल्य क्षेत्र) में घुसकर क्षेत्रीय जनता पर हिंसक हो गयी। जिसकी सूचना मौके पर तैनात टीम द्वारा वन क्षेत्राधिकारी मदाल रेंज को दी गई। इसके बाद वन क्षेत्राधिकारी, मंदाल रेंज तत्काल मय स्टाफ सहित मौके पर रवाना हुये। इस दौरान मौके पर तैनात त्वरित कार्यवाही दल द्वारा आम जनता की हिंसक मादा बाघ से सुरक्षा दिलाने हेतु सर्वप्रथम हल्ला किया गया। इसके बाद मादा बाघ के और उग्र व हिंसक होने की वजह से आम जनमानस की जानमाल की रक्षा करने हेतु मोहन चन्द्र भटट, वन दरोगा द्वारा 315 बोर की राजकीय राइफल से 9 राउण्ड हवाई फायर हिंसक मादा बाघ को मरचूला बाजार व आबादी क्षेत्र से वापस जंगल की तरफ खदेड़ने की नियत से किए गए। लेकिन मादा बाघ बार-बार लोगों के घरों व दुकानों में घुसने का प्रयास कर रही थी एक समय ऐसी स्थिति आयी कि मादा बाघ घरों के बीच में पहुँच गई और बहुत हिंसक हो गई। बाजार में अनगिनत लोग छतों में खड़े थे, जिसके कारण हवाई फायर नहीं किये जा सकते थे। जनमानस को सुरक्षा देने एवं हिंसक मादा बाघ को जनता के बीच से दूर करने एवं जनता की सुरक्षा के उददेश्य से धीरज सिंह, वन आरक्षी द्वारा 12 बोर की बन्दूक से दो राउण्ड नीचे जमीन पर फायर किये गये, जिसमें से राउण्ड की फायर के छर्रे इस मादा बाघ के दाहिने जांघ पर जा लगे। इस घटना की सूचना मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, उत्तराखण्ड को उसी समय दी गई, जिनके द्वारा इस प्रकरण की दो दिनों के भीतर प्राथमिक जॉय किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है। हिंसक मादा बाघ की मृत्यु होने पर मादा बाघ के शव को ढेला रेस्क्यू सेण्टर लाया गया। जहाँ मृत मादा बाघ के शव का 15 नवम्बर को पोस्टमार्टम किया गया। जिसमें एनटीसीए की एसओपी के मानकों के अनुसार निर्धारित कमेटी जिसमें एजी अंसारी, एनटीसीए के नामित प्रतिनिधि कुन्दन सिंह खाती उप प्रभागीय वनाधिकारी, एनजीओ के नामित प्रतिनिधि ललित अधिकारी एवं मनोज सती शामिल थे। प्रभागीय वनाधिकारी, कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग की मौजूदगी में कार्बेट टाइगर रिजर्व के वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ० दुष्यंत शर्मा एवं डॉ० हिमांशु पांगती, वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी नैनीताल जू की टीम ने इस मादा बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मादा बाघ की मृत्यु दाहिने पैर की जांच में छर्रे लगने के कारण शरीर से बहुत ज्यादा खून निकलने से हुई थी। मादा बाघ के लीवर में एक सेही का कांटा लगभग 10 सेमी. भी पाया गया, जिससे कि लीवर को भी काफी क्षति हो गई थी। मादा बाघ का पेट और आंत पूरी तरह खाली थी। उसके फेफड़ों में भी क्षति पाई गई। मादा बाघ में 12 बोर के घर केवल दाहिने पैर की जांघ में पाये गये। जिसके बाद निर्धारित विधिक प्रक्रिया का अनुपालन सुनिश्चित करते हुये तथा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की सुसंगत धाराओं के तहत मादा बाघ की मृत्यु से सम्बन्धित केस टू धीरज सिंह वन आरक्षी के विरुद्ध जारी करते हुये प्रथम दृष्टया धीरज सिंह वन आरक्षी को कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग की पलॅन रेज कार्यालय, सन्धीखाल से सम्बद्ध कर दिया गया है। प्रभागीय वनाधिकारी कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग लैन्सडौन द्वारा इस केस की जांच के लिए हरीश नेगी उपप्रभागीय वनाधिकारी, सोनानदी उप प्रभाग को जांच अधिकारी नामित किया गया है। जिसके बाद इस प्रकरण की जांच गतिमान है।
कई और अधिकारियों पर भी गिर सकती है गाज
मरचूला बाजार में बाघिन को शूट आउट किए जाने के मामले में भले ही विभाग ने सबसे निचले क्रम के कर्मचारी को वक्ति तौर पर अपने निशाने पर लिया हो, लेकिन इस गंभीर मामले में अभी कई और अधिकारियों पर गाज गिरना तय है। विभाग द्वारा इस मामले में शुरू की गई जांच इस मामले में होने वाली कई और जांच की पहली कड़ी है। बाघिन की मौत के बाद इसमें सबसे अहम जांच राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की होने वाली है। इसके अलावा वन्यजीवों के हितों में कार्यरत कई अन्य स्वयंसेवी संथाएं भी मामले की जांच कर अपने निष्कर्ष सार्वजनिक करेंगी। कई सोपान पर होने वाली इन जांचों के बाद मामले में चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। कुल मिलाकर विभाग को जो मामला विभाग के पदानुक्रम के पहले पायदान पर खड़े कर्मचारी को जिम्मेदार ठहराए जाने का लग रहा है, उसमें मामले की विस्तृत जांच की आंच की तपिश उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों तक भी पहुंचनी तय है।