Uttarakhand Election 2022: हरीश रावत की चेतावनी? या तो मुख्यमंत्री बनूंगा या घर बैठूंगा, जानें क्या है रावत के बयान के मायने?
Uttarakhand Election 2022: हरीश रावत की चेतावनी? या तो मुख्यमंत्री बनूंगा या घर बैठूंगा, जानें क्या है रावत के बयान के मायने?
Uttarakhand Election 2022: विधानसभा चुनाव के पहले से कांग्रेस में मुख्यमंत्री चेहरे की रार चुनाव निबटने के तत्काल बाद फिर शुरू हो गयी है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने आप को मुख्यमंत्री न बनाये जाने पर घर बैठने का ऐलान कर दिया है।
उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के चुनाव के लिए बीते सोमवार मतदान के बाद से ही कांग्रेस खेमा परिणामों को लेकर खासा उत्साहित है। पार्टी में माना जा रहा है कि उसे इस बार उम्मीद से अधिक सीटें मिल रही हैं। आंतरिक बातचीत में तो दो तिहाई बहुमत मिलने की बात भी कांग्रेस नेता कह रहे हैं। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष रहे हरीश रावत ने मुख्यमंत्री पद की इच्छा जताकर खलबली मचा दी है। हरीश रावत ने यह इच्छा भी महज सूचनात्मक ढंग से नहीं जताई, बल्कि एक तरह से पार्टी आलाकमान के सामने चुनौती पेश करते हुए जताई है। हरीश रावत ने दो टूक कहा कि वह केवल मुख्यमंत्री ही बनेंगे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो फिर वह घर बैठेंगे। किसी दूसरी भूमिका के लिए वह फिट नहीं हैं।
बता दें कि हरीश रावत चुनाव से काफी पहले से ही उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के पक्ष में रहे हैं। पार्टी में रावत समर्थकों ने भी गाहे-बगाहे यह मांग उठाई। लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर उत्तराखंड में स्वयं को आगे किए जाने की पैरवी करते रहे रावत की मंशा पार्टी ने पूरी नहीं की। अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने से पहले ही रावत ने दबी इच्छा जाहिर कर पार्टी के भीतर भी राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है।
हरीश रावत ने एक इंटरव्यू में कहा कि या तो वो सीएम बनेंगे या घर बैठेंगे। क्योंकि उनको अपने हिसाब से उत्तराखंड को आगे बढ़ाना है। हरीश रावत के इस बयान ने एक बार फिर उत्तराखंड की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। हालांकि एएनआई को दिए गए एक इंटरव्यू में हरीश रावत ने मुख्यमंत्री का चुनाव कांग्रेस आलाकमान द्वारा करने की बात कही है। लेकिन उनके इन बयान से साफ है कि चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आने के बाद यदि पार्टी ने उनके लिए मुख्यमंत्री पद से इतर कोई और भूमिका चुनी तो वह इसके लिए कभी भी तैयार नहीं होंगे। उम्र के इस पड़ाव पर आकर हरीश रावत के पास खोने के लिए कुछ नही है। मुख्यमंत्री बनने का भी उनके पास यह अंतिम अवसर होगा। चुनाव परिणाम सकारात्मक रहे तो रावत मुख्यमंत्री पद के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं क्योंकि घर बैठने का जो दूसरा विकल्प वह दे रहे हैं, वह उनके मिजाज से मेल नहीं खाता। हरीश रावत दूसरों को घर बैठाने के लिए तो जाने जाते हैं, खुद घर बैठने के लिए नहीं।