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उत्तराखंड

प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की 190वीं जयंती पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन

Janjwar Desk
3 Jan 2021 5:50 PM GMT
प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की 190वीं जयंती पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन
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उत्तराखंड के रामनगर में आयोजित कार्यक्रम का दृश्य।

महिला एकता मंच ने भारी बारिश के बीच देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले का जन्म दिवस मनाया...

जनज्वार। उत्तराखंड के रामनगर में पायते वाली रामलीला में देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। आयोजित कार्यक्रम में कोरोना लाकडाउन काल के दौरान निःशुल्क मास्क बनाने वाली 2 दर्जन से भी अधिक महिलाओं को सावित्री बाई फूले की तस्वीर तथा शाल भेंट करके सम्मानित किया गया।

इस दौरान सरस्वती ने कहा कि लाकडाउन कल के दौरान अप्रैल माह में देश के प्रधानमंत्री जब कोरोना महामारी से लड़ने के लिए ताली.थाली बजाने तथा दीया-मोमबत्ती जलाने का नाटक करवा रहे थे, तब महिला एकता मंच द्वारा हम दीया-मोमबत्ती नहीं जलाएंगे, हम कोरोना से लड़ने के लिए मास्क बनायेंगे अभियान लिया गया था। इससे जुड़ कर दो दर्जन से अधिक महिलाओं ने 5 हजार से अधिक मास्क बनाकर जनता के बीच निःशुल्क वितरित किया था।

प्रथम सत्र की मुख्य वक्ता दिल्ली से आयीं सीमा ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने देश की लड़कियों को पढ़ाने के लिए पहला स्कूल ही नहीं खोला बल्कि विधवा महिलाओं के उत्थान के लिए भी कई तरीके के कार्यक्रम चलाए। उनके बाल हत्या प्रतिबंधक गृह में 100 से भी अधिक विधवा महिलाओं को संरक्षण दिया गया था। उन्होंने एक ब्राह्मण विधवा महिला के बेटे जसवंत को गोद लेकर उसको पढ़ा लिखा कर चिकित्सक बनाया। 1897 में प्लेग के मरीजों का इलाज करने के दौरान वह स्वयं भी प्लेग से संक्रमित हो गयीं और इस कारण उनकी मृत्यु हो गयी। उन्होंने कहा कि समाज सावित्री बाई फूले का ऋणी है।

मंच की संयोजक ललिता ने कहा कि भारत की सरकारें पुरुष प्रधान मानसिकता से ग्रस्त हैं। यही कारण है कि देश के स्कूल कॉलेजों एवं सरकारी संस्थानों में सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस को सार्वजनिक अवकाश घोषित नहीं किया गया है।

सभा में महिला एकता मंच ने सरकार से मांग की है कि 3 जनवरी सावित्रीबाई फुले के जन्म दिवस तथा 8 मार्च अंतराष्ट्रीय महिला दिवस को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए। ग्राम देवीचौड़ की छात्राओं ने पहाड़ा की चेली रे तथा बुक्सा जनजाति समाज की छात्राओं व महिलाओं ने जब भी अपनी दुनिया को बदलना चाहा गीत की प्रस्तुति की।

डीयू की छात्रा सौम्या एवं विंध्या ने जन कवि नागार्जुन की कविता मंत्र पर नृत्य का शानदार प्रस्तुतीकरण किया। कार्यक्रम के अंत में साइंस फार सोसायटी द्वारा समाज में व्याप्त अंधविश्वासों को दूर करने के लिए विभिन्न प्रकार के चमत्कारों का प्रदर्शन कर उनका बाद में खुलासा भी किया।

सोसाइटी के मदन एवं वीर सिंह ने जलते अंगारे मुंह के अंदर रखने तथा त्रिशूल को जीभ के आर-पार कर देने जैसे आश्चर्य चकित कर देने वाले करतब दिखाए। अंत में कौशल्या ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महिला एकता मंच का महिलाओं की बराबरी, सम्मान व सुरक्षा के लिए संघर्ष जारी रहेगा। कार्यक्रम में सैकड़ों महिलाओं ने भागीदारी की.

बिहार के भागलपुर जिले में भी कार्यक्रम का आयोजन


जागरूक महिलाओं, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्र-छात्राओं ने कार्यक्रम में लिया हिस्सा

बिहार के भागलपुर जिले के बिहपुर मध्य, बिक्रमपुर गांव वार्ड नंबर-3 में सोशलिस्ट युवजन सभा के बैनर तले सावित्री बाई फुले जयंती समारोह आयोजित किया गया। इसमें काव्यपाठ व माता सावित्रीबाई फुले जीवनसंघर्षपर चर्चा हुई।

मौके भगवान प्रलय ने अपनी कविता कंगना रसैं रसैं झुनुर बोले गीत से नारी शक्ति पर काव्य पाठ किया। वहीं स्वाराक्षी स्वरा, आनंद श्रीवास्तव, अरुण अंजाना, मनोज माही ने अपनी कविता से दर्शकों का मन मोह लिया। सभा को संबोधित करते हुए आयोजक गौतम कुमार प्रीतम ने सावित्रीबाई फुले के जीवन संघर्ष पर बातचीत रखते हुए विषय प्रवेश किया और कहा कि आज भी शिक्षा के मामले में महिला सहित बहुजन समाज हाशिए पर है।

बिहार के बिहपुर में आयोजित कार्यक्रम का दृश्य।

सामाजिक न्याय आंदोलन, बिहार के रिंकु यादव व रामानंद पासवान ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षा सुदामा जी व संचालन अरुण अंजाना ने किया। सभा को संबोधित करने वालों में राजेश पासवान, डा अमोल कुमार, मो मोईन राईन, मनोज लाल, मनोज मंडल, अनुपम आशीष, वेदप्रकाश भारती सहित कई लोग थे।

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