Vikram-S Launching: अंतरिक्ष में भारत की नई उड़ान, देश का पहला प्राइवेट रॉकेट 'विक्रम-एस' लॉन्च, जानें बड़ी बातें
Vikram-S Launching: अंतरिक्ष में भारत की नई उड़ान, देश का पहला प्राइवेट रॉकेट ‘विक्रम-एस’ लॉन्च, जानें बड़ी बातें
Vikram-S Launching: देश में पहली बार निजी अंतरिक्ष कंपनी (Private Space Company) "स्काईरूट" (Skyroot) शुक्रवार को (यानी आज) अपना रॉकेट लॉन्च (Rocket Launch) करने जा रही है। कंपनी के विक्रम-एस रॉकेट ( Rocket Vikram-S) को श्रीहरिकोटा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) के लॉन्चपैड से सुबह 11.30 बजे लॉन्च किया जाएगा।
इस रॉकेट का निर्माण हैदराबाद की एक स्टार्ट-अप कंपनी 'स्काईरूट एयरोस्पेस' ने किया है। इसरो (ISRO) आज श्रीहरिकोटा स्थित अपने केंद्र से भारत का पहला निजी रॉकेट 'विक्रम-एस' लॉन्च करेगा। इसके प्रक्षेपण के बाद निजी रॉकेट कंपनियां की भारत के अंतरिक्ष मिशन एंट्री हो जाएगी। विक्रम-एस रॉकेट के लॉन्च की तैयारी पूरी कर ली गई है। यह देश के अंतरिक्ष उद्योग में निजी क्षेत्र के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिस पर दशकों से राज्य के स्वामित्व वाले इसरो का वर्चस्व रहा है।
बात साल 2018 की है। जब इसरो के वैज्ञानिक पवन कुमार चंदना (Scientist Pawan Kumar Chandna) और नागा भारत डाका (Scientist Naga Bharat Daka) ने अपनी नौकरी छोड़कर अंतरिक्ष से जुड़ी अपनी कंपनी चलाने का फैसला किया। पवन चंदना और नागा भारत डाका ने 2018 में स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (Skyroot Aerospace Private Limited) नाम से स्टार्टअप बनाया था। दोनों आईआईटी से पढ़े हैं। पवन ने आईआईटी खड़गपुर और डाका ने आईआईटी मद्रास से पढ़ाई की है।
इसरो में अपने कार्यकाल के दौरान पवन चांदना ने भारत के सबसे बड़े रॉकेट जीएसएलवी एमके III जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम किया हुआ हैं। वही दूसरी ओर, डाका ने इसरो में फ्लाइट कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में सभी महत्वपूर्ण हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर काम किया। दोनों का सपना एलन मस्क के स्पेसएक्स की तरह स्काईरूट को अंतरिक्ष के क्षेत्र में स्थापित करना है।
ये हैं खासियत
विक्रम रॉकेट के बारे में स्काई रूट के एक अधिकारी ने कहा कि छह मीटर लंबा रॉकेट दुनिया के पहले कुछ रॉकेटों में से एक है, जिसमें रोटेशन की स्थिरता के लिए 3डी प्रिंटेड सॉलिड प्रोपेलेंट लगे हैं। इस रॉकेट का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक और दिवंगत वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। यह उन 80 प्रतिशत तकनीकों को मान्यता दिलाने में मदद करेगा, जिनका उपयोग विक्रम-1 कक्षीय वाहन में किया जाएगा, जिसे अगले साल लॉन्च किया जाना है।
विक्रम-एस का प्रक्षेपण सब-ऑर्बिटल होगा, जिसका अर्थ है कि यान ऑर्बिटल वेलोसिटी से कम गति से यात्रा करेगा। इसका मतलब यह है कि जब अंतरिक्ष यान बाहरी अंतरिक्ष में पहुंचता है, तो वह पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में नहीं रहेगा। उड़ान में पांच मिनट से भी कम समय लेगा। वहीं, विक्रम-1 एक बड़ा यान हैं, जो ऑर्बिटल में उड़ान भरेगा।