ED के छापे में राहुल-सोनिया के अलावा कांग्रेस के इन नेताओं को भी हो सकती है बड़ी मुश्किल
National Herald नेशनल हेराल्ड मामले में ED की कार्रवाई लगातार जारी है, पहले पूछताछ का दौर चला और अब इस मामले से जुड़े 16 ठिकानों पर छापेमारी जारी है. बता दें की ED ने बुधवार को लगातार दूसरे दिन कार्रवाई करते हुए दिल्ली की हेराल्ड बिल्डिंग में स्थित यंग इंडिया कंपनी का दफ्तर सील कर दिया है. साथ ही इसे एजेंसी की इजाज़त के बगैर खोलने पर पाबंदी लगाई गई है. इससे पहले मंगलवार को ED की टीम ने नेशनल हेराल्ड के दिल्ली, मुंबई और कोलकाता समेत 16 ठिकानों पर लगभग 16 घंटों तक ही छापे मारे की थी.
सोनिया-राहुल के अलावा इन नेताओं को सता रहा कार्रवाई का डर
इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे और ऑस्कर फर्नांडीस समेत 6 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है. हालांकि मोती लाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस अब इस दुनिया में नहीं रहे. लेकिन इन 6 आरोपियों के अलावा भी ईडी कांग्रेस के अन्य नेताओं से भी पूछताछ कर चुकी है. इसी साल अप्रैल महीने में मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल भी ईडी की कार्रवाई का सामना कर चुके हैं. दावा किया जाता है की मल्लिकार्जुन खड़गे यंग इंडियन के CEO हैं वहीं पवन बंसल ASSOSIATED GENERAL LIMITED के MD और कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से पूछताछ शेयर का बटवारा, लेन देन यंग इंडिया लिमिटेड और ASSOSIATED GENERAL LIMITED की भूमिका को लेकर की गई. कहा जाता है जब मल्लिकार्जुन खड़गे को ईडी ने मामले में समन भेजा तभी से पवन बंसल पुरानी फाइलें खंगालने में जुट गए थे और जब उन्हे पूछताछ के लिए बुलिया गया तब वह कई फाइलों के साथ अफसरान के सामने पेश हुए थे.
क्यों हुई थी खड़गे और बंसल से पूछताछ?
खड़गे से यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ने कांग्रेस पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में धोखाधड़ी, साजिश और आपराधिक विश्वासघात का आरोप लगाया गया है. इसी मामले में मल्लिकार्जुन खड़गे से पूछताछ की गई थी. क्योंकि वह यंग इंडिया और एजीएल के पदाधिकारी रह चुके हैं. खड़गे से तकरीबन 5 घंटे पूछताछ चली थी. ऐसे में इस मामले की पुरानी फाइले अगर एक बार फिर से खुलती हैं तो मल्लिकार्जुन खड़गे को फिर से ईडी का कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. वहीं पवन बंसल से भी इस मामले में एजेंसी धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के आपराधिक प्रावधानों के तहत उनका बयान दर्ज कराया गया था. वहीं इस मामले में एजेंसी 'यंग इंडियन' के दूसरे प्रवर्तकों के खिलाफ भी समन जारी किया जा सकता है.
बताते चलें की खड़गे से पूछताछ के वक्त भी कांग्रेस की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया था. सांसद मणिकम टैगोर ने खड़गे से ED की पूछताछ को लेकर इल्ज़ाम लगाया था कि सरकार दलित नेताओं को अपमानित करना चाहती है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल आजादी से भी पहले से चला आ रहा नेशनल हेराल्ड अखबार को साल 2008 में कांग्रेस की यूपीए सरकार ने बंद कर दिया था. हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ जब अखबार बंद हुआ. 1938 से शुरू हुए इस अखबार को 1942 में अंग्रेजों ने बंद करा दिया था. क्योंकि यह अखबार स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज बना हुआ था. हालांकि 1945 में इस अखबार को दोबारा शुरू किया गया. लेकिन 2008 में इसके बंद होने के पीछे की कुछ और वजह थी. यूपीए की तरफ से बताया गया था कि कंपनी इसके संचानल का खर्च नहीं उठा पा रही है और वित्तीय घाटे में है.
क्या है नेशनल हेराल्ड केस
जिसके बाद एंट्री होती है यंग इंडिया लिमिटेड की. क्योंकि 2011 में घाटे में चल रही उस कंपनी के होल्डिंग यंग इंडिया को ट्रांसफर कर दिए गए. यंग इंडिया की शुरुआत 2010 में हुई थी और इसके डायरेक्टर राहुल गांधी थी. जो उस समय कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी हुआ करते थे. इतना ही नहीं यंग इंडिया कंपनी के 38 फीसद शेयर भी राहुल के पास ही थे. वहीं 38 फीसद सोनिया गांधी के पास थे. बाकी बचे 24 फीसद मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा के पास थे. यहां यह बता दें कि मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस अब इस दुनिया में नहीं रहे.
सुब्रह्मण्यम स्वामी गए कोर्ट
लेकिन मामले में नया मोड़ तब आता है जब साल 2012 में भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कोर्ट में एक शिकायत दर्ज करवाई और कहा कि यंग इंडिया लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड की 2 हजार करोड़ की जायदाद पर कब्जा जमाने का काम किया है.