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सत्ता से दो-दो हाथ करने वाले आईपीएस अमिताभ ठाकुर कब-कब विवादों में रहे?

Janjwar Desk
24 March 2021 10:20 AM GMT
सत्ता से दो-दो हाथ करने वाले आईपीएस अमिताभ ठाकुर कब-कब विवादों में रहे?
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अमिताभ ठाकुर सपा सरकार से लेकर योगी सरकार की नराजगी का शिकार हुए हैं, लगभग 4 बार ठाकुर को उनकी सेवाओं के दौरान सस्पेंड भी किया गया। विवाद और ठाकुर का रिश्ता बहुत पुराना है....

जनज्वार ब्यूरो। सत्ता से कई बार टक्कर लेने वाले आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को यूपी की योगी सरकार ने जबरन रिटायरमेंट कर दिया है। अमिताभ ठाकुर जुझारु आईपीएस थे जिन्होंने खाकी वर्दी पहनने के बाद भी कभी चैन की सांस नहीं ली थी। आमतौर पर सरकारी नौकरी करने वाले सरकार से सवाल करने से डरते हैं लेकिन ठाकुर सवाल करने से हिचकते हुए कभी नहीं दिखाई दिए और शायद यही वजह रही हो कि ठाकुर को समय से पहले ही रिटायरमेंट दे दिया गया है। गृह मंत्रालय की स्क्रीनिंग में आईपीएस अमिताभ ठाकुर सहित तीन अन्य आईपीएस अधिकारियों को सरकारी सेवा के लिए 'अनुपयुक्त' पाया गया है।

उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित एवं जुझारू 1992 बैच के आईपीएस अमिताभ ठाकुर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के साथ-साथ कवि एवं लेखक भी हैं। उनका जन्म बोकारो में हुआ था। शुरुआती पढ़ाई बोकारो के केंद्रीय विद्यालय से पूरी करने के बाद अमिताभ ने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। आईपीएस बनने के बाद वह उत्तर प्रदेश के सात जिलों बस्ती, देवरिया, बलिया, महाराजगंज, गोंडा ,ललितपुर और फीरोजाबाद में कप्तान रहे।

अमिताभ ठाकुर सपा सरकार से लेकर योगी सरकार की नराजगी का शिकार हुए हैं। लगभग 4 बार ठाकुर को उनकी सेवाओं के दौरान सस्पेंड भी किया गया। विवाद और ठाकुर का रिश्ता बहुत पुराना है। आइए आपको अमिताभ ठाकुर से जुड़े विवाद सिलसिलेवार तरीके से समझाते हैं-

1992 बैच के आईपीएस अमिताभ ठाकुर पर आरोप था कि उन्होंने 16 नवम्बर 1993 को आईपीएस की सेवा प्रारंभ करते समय अपनी संपत्ति का ब्योरा शासन को नहीं दिया। इसके साथ ही उन्होंने 1993 से 1999 तक का वर्षवार संपत्ति विवरण शासन को एक साथ दिया था और इस ब्योरे में काफी भिन्नताएं थी।

साल 2005 में अमिताभ ठाकुर गोंडा के एसपी थे और उस दौरान उनपर आरोप लगे थे कि उन्होंने गलत तरीके से बंदूकों के लाइसेंस दिए। उनपर आरोप था कि उन्होंने अपराधियों को बंदकों के लाइसेंस जारी किए। हालांकि उन्होंने खुद का तर्क देते हुए कहा था कि उन्होंने केवल उन फाइलों को ही मंजूरी दी जो पहले से ही अन्य अधिकारियों और जिला प्रशासन द्वारा वीटो की गई थीं। जिसके बाद उन्हें पद से निलंबित कर दिया गया था।

साल 2006 में अमिताभ ठाकुर फ़िरोज़ाबाद के एसपी थे। उस दौरान कुछ अपराधियों ने उत्तर प्रदेश के पडन शहर से एक जौहरी का अपहरण कर लिया, जो जसराना पुलिस थाने के तहत आता है। पुलिस पर ढिलाई का आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और प्रभारी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। विरोध प्रदर्शनों के जवाब में उन्होंने कर्तव्य के निर्वाह के लिए जसराना पुलिस थाना प्रभारी वीके त्रिवेदी का तबादला कर दिया। समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक रामवीर सिंह यादव ने ठाकुर से त्रिवेदी को जसराना वापस बुलाने के लिए कहा। हालांकि, ठाकुर ने उनकी इस बात को मानने से इनकार कर दिया।

अप्रैल 2008, ठाकुर को आईआईएम लखनऊ में चार वर्षीय फैलो प्रोग्राम इन मैनेजमेंट के लिए चुना गया। अप्रैल 2008 और मार्च 2009 के बीच उन्होंने राज्य सरकार के प्रधान सचिव (गृह) और पुलिस डीजीपी को उन्हें पाठ्यक्रम के लिए अध्ययन अवकाश देने के लिए तीन पत्र भेजे। प्रतिक्रिया मिलने में विफल रहने के बाद उन्होंने अप्रैल 2009 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की लखनऊ बेंच से संपर्क किया। ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर अपने अवकाश अनुरोध पर निर्णय लेने का आदेश दिया। जब सरकार ने उनके आवेदन का जवाब नहीं दिया, तो उन्होंने ट्रिब्यूनल में एक अवमानना ​​याचिका दायर की और सरकार के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया।

मई 2009 में सरकार ने एक पत्र जारी किया, जिसमें ठाकुर के अध्ययन अवकाश के अनुरोध को खारिज कर दिया, इस आधार पर कि उन्होंने पाठ्यक्रम के लिए चयन करने से पहले अपने तत्काल पर्यवेक्षक से अनुमति नहीं मांगी थी। पत्र में कहा गया है कि सरकार उसे अधिकतम एक वर्ष के लिए छुट्टी देने में सक्षम होगी। ठाकुर ने फिर ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद, सरकार ने उन्हें दो साल की छुट्टी दे दी।

साल 2015 में अमिताभ ठाकुर ने अखिलेश की सपा सरकार से भी पंगा लिया। ठाकुर पर आरोप लगा कि उन्होंने सपा के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव फोन पर धमकी दी। 15 जुलाई 2015 पर मुलायम सिंह यादव पर ठाकुर को धमकी देने के आरोप लगे थे। जिसको लेकर लखनऊ के पुलिस स्टेशन में तहरीर भी दी गई लेकिन सपा सरकार का कार्यकाल होने के कारण मुलायम सिंह यादव पर मुकदमा दर्ज नही दो पाया था। इसके बाद ठाकुर ने कार्ट की शरण ली जिसके बाद कोर्ट ने मामला दर्ज करने के निर्देश दिए और तब से लेकर अब तक इस मामले ती जांच ही चल रही है। इन सब के चलते गुस्साई सपा सरकार ने अमिताभ ठाकुर को पद से सस्पेंड कर दिया था।

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