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गाजियाबाद के इंजीनियरिंग कॉलेज में मंच पर जय श्रीराम के नारे पर जतायी आपत्ति तो महिला शिक्षकों को किया निलंबित, माले ने जताया विरोध

Janjwar Desk
23 Oct 2023 7:18 PM IST
गाजियाबाद के इंजीनियरिंग कॉलेज में मंच पर जय श्रीराम के नारे पर जतायी आपत्ति तो महिला शिक्षकों को किया निलंबित, माले ने जताया विरोध
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file photo

गाजियाबाद के एबीईएस इंजीनियरिंग कॉलेज में एक कार्यक्रम में जय श्रीराम बोलने से रोकने पर महिला शिक्षकों के खिलाफ एक संघी स्वयंभू संगठन हिन्दू रक्षा दल की धमकी के दबाव में कार्रवाई हुई, जबकि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर के खिलाफ विहिप, हिंदू जागरण मंच व बजरंग दल जैसे भगवा संगठनों की तहरीर पर FIR लिख ली गई और जांच भी शुरू हो गई....

लखनऊ। गाजियाबाद के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में मंच से जय श्रीराम के नारे लगाने पर आपत्ति जताने पर दो महिला शिक्षकों को निलंबित करने और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक दलित प्रोफेसर के खिलाफ उनके सोशल मीडिया पोस्ट के कारण एफआईआर दर्ज करने वाले मामले में विरोध के स्वर उठने शुरू हो चुके हैं। भाकपा माले ने भी इसकी कड़ी निंदा की है।

माले ने इस तरह की घटनाओं को संघ-भाजपा के आक्रामक हिंदुत्व का प्रदर्शन बताते हुए कहा है कि शिक्षकों के उत्पीड़न की ये कार्रवाइयां लोकतंत्र-विरोधी हैं और योगी सरकार की शह पर की गई हैं।

माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने आज 23 अक्टूबर को जारी बयान में कहा कि सत्ता संरक्षण के चलते भगवा संगठनों की तूती बोल रही है। गाजियाबाद के एबीईएस इंजीनियरिंग कॉलेज में एक कार्यक्रम में जय श्रीराम बोलने से रोकने पर महिला शिक्षकों के खिलाफ एक संघी स्वयंभू संगठन हिन्दू रक्षा दल की धमकी के दबाव में कार्रवाई हुई, जबकि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर विक्रम हरिजन के खिलाफ विहिप, हिंदू जागरण मंच व बजरंग दल जैसे भगवा संगठनों की तहरीर पर तपाक से एफआईआर लिख ली गई और जांच भी शुरू हो गई।

माले नेता ने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयां स्वस्थ लोकतंत्र के सर्वथा प्रतिकूल हैं। इससे हिन्दू राष्ट्र की बू आती है। इसका प्रतिवाद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संघ-भाजपा डॉ अंबेडकर द्वारा लिखित संविधान को मानने का दिखावा भर करती हैं। वे अभिव्यक्ति और असहमति की आजादी और लोकतंत्र के बजाय डराने, चुप कराने और आतंक फैलाने में विश्वास करती हैं। वे महिलाओं और दलितों के सम्मान व बराबरी के खिलाफ हैं। उन्होंने उक्त दोनों मामलों में शिक्षकों के खिलाफ की गई उत्पीड़न की कार्रवाई वापस लेने और उनकी सुरक्षा की मांग की।

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