बेसुध निशा दहिया के पिता फफकते हुए बोले - 'बेटी की मौत के साथ ओलंपिक मेडल का मेरा अरमान भी सो गया'
कोच पवन ने ही की पहलवान निशा दहिया की हत्या।
नई दिल्ली। पानीपत की होनहार 22 वर्षीय पहलवान Nisha Dahiya अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उसने जो सपने पालने को दिए, वो आज भी जिंदा हैं। इन सब बातों को याद करते हुए आज निशा दहिया के पिता रो पड़े। फफकते हुए किसी तरह कहा, प्रतिभाशाली पहलवान निशा को उसके ही कोच पवन ने गोली मार दी। उसे ही नहीं, उसकी मां और छोटे भाई को भी हमलावरों ने गोली मार दी। वजह यह थी कि निशा ने छेड़खानी का विरोध किया था। पवन का उसके घर पर भी आना-जाना था, लेकिन अपनी शिष्य पर उसकी गंदी निगाह थी। बुधवार को जब निशा ने छेड़खानी का विरोध किया तो उसने उसकी हत्या कर दी। और इसी के साथ बेटी की पहलवानी से प्रभावित होकर हमने जो ओलंपिक मेडल के अरमान पाले थे वो भी दफन हो गए।
पवन की नीयत थी खराब
पहलवान निशा दहिया के पिता दयानंद सीआरपीएफ में हैं। वर्तमान में वो जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं। गांव वालों ने जब फोन कर उन्हें पूरी घटना की जानकारी दी तो वह कुछ देर के लिए सुन्न रह गए। पौने तीन बजे के करीब गांव वाले ने फोन किया कि ऐसी-ऐसी बात हो गई है... लड़की को गोली मार दी है, किसी ने... वह तीन-चार महीनों से लड़की का शोषण भी कर रहा था।
कोच ही बन गया कातिल
दयानंद बेटी को याद कर यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा - वह एक होनहार पहलवान थी। उसकी आंखों में भी ओलिंपिक खेलने के सपने थे। कुश्ती में मेडल लाकर देश का नाम रोशन करने के ख्वाब थे। लेकिन अब वह दुनिया में नहीं है। मेडल लाने के लिए जिन हाथों को उसे पहलवानी के अचूक दांव-पेच और हुनर सिखाने थे, उन हाथों ने ही उसकी जिंदगी छीन ली। कोच कातिल बन गया। छेड़खानी का विरोध करने पर महिला पहलवान को कोच ने ही गोली मार दी। उसके भाई को भी मार डाला। मां अभी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है।
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा...
आंखों में आंसू लिए पिता को अब भी यकीन नहीं हो रहा कि उसकी लाडली इस दुनिया में नहीं है। बेटी के ओलिंपिक मेडल लाने का उनका अरमान बिखर चुका है। हम बात कर रहे हैं निशा हत्याकांड की।
3 साल से ले रही थी ट्रेनिंग
रोहतक के बालंद गांव का रहने वाला पवन कुमार नाम का एक शख्स सोनीपत जिले के हलालपुर गांव में पहलवान सुशील कुमार की रेसलिंग अकैडमी का फ्रेंचाइजी चलाता है। यहां के नाहरी रोड पर पवन की इसी गांव में ससुराल है। निशा उसी की अकैडमी में लगभग 3 साल से हर दिन सुबह-शाम पहलवानी के गुर सीखने आया करती थी। बुधवार शाम को भी वह कोचिंग के लिए पहुंची थी। आरोपों के मुताबिक वहां कोच पवन कुमार ने उसके साथ छेड़खानी की कोशिश की, जिसका निशा ने विरोध किया। गुस्से में कोच पवन ने निशा के घर फोन कर बोला - इसे यहां से ले जाओ। शायद तबीयत खराब हो, यह सोचकर निशा का छोटा भाई स्कूटी से अपनी मां के साथ कोचिंग सेंटर पहुंचा, जहां उसकी मौत इंतजार कर रही थी।
दोनों के वहां पहुंचते ही पवन कुमार ने सबसे पहले निशा को गोली मारी। उसके बाद उसकी मां को। छोटा भाई सूरज जान बचाने के लिए भागा लेकिन पवन और उसके साथियों ने उसे करीब आधे किलोमीटर तक दौड़ाकर गोली मार दी। भाई-बहन दोनों की मौत हो गई। मां धनपती देवी की पीजीआई रोहतक में जिंदगी की जंग लड़ रही है।
गांव वालों ने आग के हवाले किया रेसलिंग अकादमी
गांव की होनहार बेटी के कत्ल से गुस्साएं गांव वालों ने कोचिंग अकैडमी को फूंक दिया। पुलिस ने कोच पवन, उसकी पत्नी और साले समेत 4 नामजद लोगों और कुछ अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया है लेकिन अभी तक उसके हाथ खाली हैं। कोच पवन अपनी बीवी और बच्चों के साथ फरार है। उसकी पत्नी भी अकैडमी में कोचिंग देती थी। आरोपियों में पवन के साले सचिन का नाम भी शामिल है। पवन और सचिन पर सूरज को दौड़ाकर गोली मारने का आरोप है।