116 दिन से अनशन पर बैठे संत गोपालदास पहुंचे संत सानंद की कर्मभूमि मातृ सदन
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गंगा विधेयक बनाए जाने और गंगा को गंगोत्री से गंगासागर तक अविरल बनाए रखने के लिए शहादत दे चुके जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद के प्रण को आगे बढ़ाते हुए संत गोपालदास जारी रखेंगे अनशन, जब तक सरकार अपना हठ नहीं छोड़ती तब तक संत करते रहेंगे अपना बलिदान
जनज्वार। उत्तराखंड की देवभूमि ब्रद्रीनाथ से 22 जून को गंगा को अविरल बनाए रखने और आॅल वेदर रोड के विरोध में अनशन पर बैठे संत गोपालदास आज 16 अक्टूबर को मातृ सदन पहुंचे। आज उनके अनशन का 116वां दिन है। उन्हें हरिद्वार स्थित मातृ सदन में एम्स रिषिकेश के कर्मचारी पहुंचा गए। वे पिछले सप्ताह भर से एम्स में पुलिस द्वारा जबरन भर्ती कराए गए थे, क्योंकि उन्होंने भी जल लेना छोड़ दिया था। इससे पहले वे मातृ सदन में ही अपना अनशन जारी रखे हुए थे। अब वे मातृ सदन में रहकर अनशन जारी रखेंगे।
मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले संत गोपालदास गौ रक्षा के सवालों को लेकर चर्चित रहे हैं। उन्होंने पूरे हरियाणा में गौशाला बनाए जाने लेकर लंबा संघर्ष किया है। वे सीधे तौर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री से टकराते और विरोध करते रहे हैं। सच्चाई के संघर्ष और गलत के विरोध को लेकर उनका आत्मबल बहुत ही प्रेरणादायी है।
पीएचडी डिग्रीधारी गोपालदास मानते हैं कि गंगा को अविरल बनाए रखने के सत्याग्रह में युवाओं को आगेे आना चाहिए।
मातृ सदन के मुख्य संत स्वामी शिवानंद सरस्वती कहते हैं, 'मातृ सदन देश के ऐसे हर संत और आंदोलनकारी की उर्जावान भूमि है जो गंगा की अविरलता बनाए रखने के संघर्ष में आगे आना चाहते हैं। गंगा को अविरल बनाए रखना किसी श्रद्धा का विषय होने से ज्यादा देश को बचाए रखने और मानवता की रक्षा के लिए जरूरी है।'
जीडी अग्रवाल के पार्थिव शरीर के लिए धरना
दूसरी तरफ गंगा के लिए अपनी भूख हड़ताल के 112वें दिन अपने प्राण न्यौछावर कर देने वाले स्वामी सानंद जी उर्फ जीडी अग्रवाल के पार्थिव शरी की ख़ातिर अनिश्चितक़ालीन धरना भी जारी है। धरना कर रहे आंदोलनकारी भोपाल चौधरी, सुशील बहुगुणा, सुशीला भण्डारी, कुसुम जोशी शालनी (स्वामी मुक्तेश्वरा नन्द की प्रतिनिधि) को गिरफ़्तार कर कोतवाली ऋषिकेश में लाया गया है, मगर यहां भी आंदोलनकारियों का धरना जारी है। वे कोतवाली में ही धरने पर बैठ गये हैं।
जीडी अग्रवाल के पार्थिव शरीर के लिए धरनारत आंदोलकारी
आंदोलनकारियों का कहना है कि हमें आचार संहिता से लेना देना नहीं है। हम सानंद महाराज को हिन्दू रीति—रिवाज के हिसाब से उनके शरीर को गंगा जल प्रदान कर सकें, इसलिये उनके शरीर की आवश्यकता है। प्रशासन आचार संहिता उन पर क्यों नहीं लगाता, जिनके द्वारा गंगा को गन्दा किया जा रहा है। हिमालय क्षेत्र में लोग प्लास्टिक लेकर जा रहे हैं, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।
वहीं जलपुरुष के नाम से ख्यात राजेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार के द्वारा उन लोगों को गिरफ़्तार किया जाना चाहिये जो गंगा को बांध रहे हैं और गंदा कर रहे हैं, न कि जो गंगा के अविरल के काम कर रहे हैं उनको।