मोदी के गुजरात में एक महीने में सिर्फ दो जिलों के भीतर 196 बच्चों की मौत
गुजरात के दो जिलों में एक माह के भीत 196 नवजातों की मौत, अक्टूबर 2019 में हुई थी 87 बच्चों की मौत, जन्म के समय कम वजन मुख्य कारण, समुचित प्रबंध न होना...
जनज्वार। पूरा देश राजस्थान में हो रहे बच्चों के मौत का सदमा से अभी ऊभरा ही नही था कि गुजरात के राजकोट और अहमदाबाद में नवजातों की मौतों का भयानक आंकडा सामने आया है। भाजपा शासित गुजरात में पिछले एक महीने में जहां राजकोट में 111 बच्चों और अहमदाबाद में 85 नवजात बच्चों की मौतें दर्ज की गई है।
राजकोट के पंडित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक मनीष मेहता ने बताया कि अक्टूबर में 87 और नवंबर में 71 बच्चों की मौतें दर्ज की गई थी। इसका मुख्य कारण जन्म के समय वजन काफी कम था।
अहमदाबाद के चिकित्सा अधीक्षक जीएच राठौड़ के मुताबिक उनके अस्पताल में इन आंकड़ों की वजह समय से पहले जन्म, कम वजन, संक्रमण और दम घुटना रहा है।
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राजकोट अस्पताल का पिछले तीन महीनों का रिकॉर्ड उठा कर देखा गया तो आकंड़े चौंकाने वाले थे। बीते तीन महीनों में 269 नवजातों की मौत हो गई और दिसंबर महीने में सबसे अधिक नवजात बच्चों की मौतें हुई हैं। वहीं अहमदाबाद में बीते बीते तीन महीनों में 253 बच्चों ने दम तोड़ा।
अधिकारियों ने यह भी कहा कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में मेडिकल स्टाफ का कम है और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों की व्यवस्था कमजोर होना भी एक कारण है।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेन कहते हैं, 'हमारे प्रदेश में नवजात मृत्यु दर कम है। गुजरात में 1000 पर सिर्फ 30 बच्चे हैं। जिन नवजातों की मौत हो जाती है, कुपोषण, समय पूर्व जन्म या प्रसूताओं का समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाना उसका प्रमुख कारण है।
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हाल ही में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार आलोचनाओं के केंद्र में उस समय आ गयी जब यह आंकड़े सामने आए कि अकेले जोधपुर जिले में एक माह के भीतर (दिसंबर) 146 नवजातों की मौत हुई। अस्तपाल में 4,689 बच्चे दिसंबर में भर्ती हुए और इनमें से तीन प्रतिशत को बचाया नहीं जा सका। जबकि कोटा जिले के जेके लोन गवर्नमेंट हॉस्पिटल में तीन बच्चों की और मौत होने से कुल तादाद रविवार को 110 पर पहुंच गई। शनिवार को यह आंकड़ा 107 का था।
बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल एचएस कुमार के मुताबिक, दिसंबर महीने में अस्पताल के आईसीयू में 162 बच्चों की मौत हुई है। बीते साल बिहार में चमकी बुकार से 147 बच्चों की मौत का आंकड़ा सामने आया था तो उत्तर प्रदेश में 170 बच्चों की मौत हुई थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में भी बच्चों की मौत हुई थी।