देश की छोड़िए, दिल्ली में जहां दो-दो सरकारें हैं वहां मजदूरों की भूखों मरने की हालत
दिल्ली के सफदरजंग एयरपोर्ट पर काम करने वाले 250 से 300 मजदूर लॉकडाउन से फंसे, सरकार ले लगाई राशन/भोजन की गुहार...
नई दिल्ली। 3 मई को दूसरे लॉकडाउन की अवधि समाप्त होगी लेकिन उससे पहले देशभर में मजदूरों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर उन्हें जो दूसरे राज्यों में फंस गए हैं और दिहाड़ी मजदूर हैं। राजधानी दिल्ली के सफदरजंग एयरपोर्ट पर काम करने वाले 250-300 मजदूर फंस गए हैं। अब उनके सामने भूखों मरने जैसी स्थिति आ गई है।
इस बीच उनमें से एक मजदूर आशिक ने वीडियो जारी कर कहा, 'हम सफदरजंग एयरपोर्ट से बोल रहे हैं। अंदर हम एनकेजी कंपनी में काम कर रहे हैं। हमारे यहां कंपनी का जो स्टाफ है जब हम उनसे पूछते हैं कि सर हमारे खाने-पीने का कुछ खर्चा कर दीजिए तो वह कहते हैं कि पैसा तुम्हारा ठेकेदार के पास आ गया है। तुम उनसे बोलो। तो जब हमने ठेकेदार को फोन किया कि कंपनी ने पैसा दिया है तो हमारा पैसा दे दीजिए। तो वह स्टाफ से बात करने की बात कहते हैं।'
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वह कहते हैं, 'यहां का सारा स्टाफ झूठ बोलता है। पहले तो कोई फोन नहीं उठाएगा, उसके बाद उठाएगा भी तो झूठ के बाद झूठ बोलेगा। कोई बड़ा आदमी बाहर से पूछने के लिए आ गया तो उसे बाहर से ही पूछताछ कर वापस भेज दिया जाता है। हम लोगों को डंडे से अंदर कर देते हैं। हम लोग अंदर रहते हैं लेकिन मरेंगे थोड़ी यहां पर।'
'यहां मशील लगाकर सभी लोगों की जांच की जा चुकी है किसी को बीमारी नहीं है। लेकिन अब जैसी स्थिति आ गयी है, तीन तारीख से पहले हमें डेंगू पकड़ लेगा। हम लोग सफदरजंग एयरपोर्स से हैं, हम लोग ढाई तीन सौ हैं। हम हिंदू मुस्लिम सब साथ में रहते हैं। पचास से साठ लोग रोजा करते हैं, हम लोगों को इफ्तारी के लिए कुछ नहीं मिलता है। ना ही हमारे पास पैसा है। इसलिए हम अनुरोध करते हैं कि सरकार की ओर से जल्दी से जल्दी कुछ मदद की जाए।'
एक दूसरे मजदूर मे भी कहा, 'हम लोगों के पास ना खाने के लिए कुछ है ना पीने के लिए कुछ है। लॉकडाउन लगा हुआ है, एक महीने से हम परेशान हैं। हम परदेसी आदमी हैं, हम लोगों को कुछ राशन मिल जाता तो अच्छा होता। राशन ना हो तो हम लोगों की घर जाने की व्यस्था हो जाए। इतना हो जाएगा तो आपकी बहुत बड़ी मेहरबानी होगी।'
बंधुआ मुक्ति मोर्चा के राज्य अध्यक्ष दलसिंगार ने इस संबंध में दक्षिण पूर्व दिल्ली के डीसी और एसडीएम को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने लिखा, कृपया इस मुद्दे पर पर ध्यान दें। जसफदरजंग एयरपोर्ट (जोरबाट गेट नं. 3 के पास) पर काम करने वाले मजदूरों ने 26 अप्रैल को दिल्ली सरकार के अधिकारियों से बात की थी। 25 अप्रैल को उन्होंने उल्लेख किया था कि मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है और उन्होंने 26 अप्रैल को पुन: पुष्टि की कि मजदूरों का भुगतान नहीं किया गया है।
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन शुरु होते वक्त उन्हें खर्चों को पूरा करने के लिए हर दस दिनों में 1000 रुपये दिए गए थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद से इसे भी रोक दिया गया है। 8 घंटे की शिफ्ट के लिए उनकी दैनिक मजदूरी 350 रुपये है और वे अक्सर एक दिन में दो शिफ्ट करते हैं और बताते हैं कि उन्हें इन शर्तों के तहत प्रति माह 15000-17000 रुपये का भुगतान किया जाता है।
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उन्होंने बताया कि 15 दिन पहले उन्हें सूखा राशन दिया गया था जिसमें चावल, आटे, तेल और मसाले शामिल थे। कार्यस्थल पर सभी मजदूर (जिनकी संख्या 200-250 के बीच है) बहुत तनाव में हैं और अपने घरों को लौटना चाहते हैं।
निम्नलिखित चार मुख्य चिंताएं थीं- 1) किसी को भी दिल्ली सरकार द्वारा घोषित 5000 रुपये का लाभ नहीं मिला है।
2) अच्छे, स्वच्छ पेयजल की पहुँच नहीं है। 3) उनके मासिक वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। वे सभी ठेकेदार अपने ठेकेदार द्वारा भुगतान किए गए मजदूर हैं। ऐसा लगता है कि वहाँ कई ठेकेदार हैं। 4) मच्छर के चलते रात में सोने के लिए बहुत मुश्किल है। मच्छर भगाने वाले छिड़काव करना चाहिए।
दलसिंगार के मुताबिक इस संदर्भ में नोएडा के एसडीएम और अन्य अधिकारियों को व्हट्सएप्प मैसेज किया है। लेकिन अभी तक इनको राशन/भोजन नहीं मिल रहा है। इसमें उन्होंने लिखा था, मजदूरों के राशन के संबंध में हमारी टेलीफोनिक बातचीत के अनुसार मैं मजदूरों की सूची को फॉरवर्ड कर रहा हूं। कृपया मदद करें और राशन प्रदान करें।