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सूखाग्रस्त बांदा जिले में भाजपाइयों के नेतृत्व में 300 मूर्तियां हुईं केन नदी में विसर्जित, सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दिखाया ठेंगा

Prema Negi
9 Oct 2019 5:46 PM IST
सूखाग्रस्त बांदा जिले में भाजपाइयों के नेतृत्व में 300 मूर्तियां हुईं केन नदी में विसर्जित, सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दिखाया ठेंगा
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सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ठेंगा दिखाकर नवरात्र के बाद मूर्ति विसर्जित किये जाने के इन आयोजनों के हिमायतियों में बीजेपी नेता, विधायक समेत वे लोग हैं शामिल, जिनकी सियासत चमकती है नवरात्रों के नौ दिनों के महिमामंडन, चंदा वसूली समेत इस तरह के तमाम धार्मिक आयोजनों के बल पर...

बांदा से आशीष सागर की रिपोर्ट

उच्च न्यायालय के नदियों में मूर्ति विसर्जन पर रोक और शहरों में डीजे पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद बांदा में इन नियमों का नवरात्र के बाद धड़ल्ले से उल्लंघन किया गया। कल 8 अक्टूबर को दशहरे पर मृतप्राय हो रही केन में देवी की सैकड़ों मूर्तियां विसर्जित की गयीं।

बांदा के डीएम हीरालाल समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी जो पर्यावरण संरक्षण के पैरोकार होने का दम भरते हैं, मगर इनके तमाम दावों-वादों के बावजूद इस साल भी केन के मृत होते जल में नवरात्रि में लगभग 300 मूर्तियां विसर्जित की गयीं।

गौरतलब है कि कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए गणेश विसर्जन के दौरान भी तकरीबन 50 मूर्तियों को यूँ ही केन में प्रवाहित कर दिया गया था। नवरात्र और गणेश चतुर्थी के बाद मूर्ति विसर्जित किये जाने के इन आयोजनों के हिमायतियों में बीजेपी नेता, विधायक समेत वे लोग हैं, जिनकी सियासत नवरात्रों के नौ दिनों के महिमामंडन, चंदा वसूली समेत इस तरह के तमाम धार्मिक आयोजनों के बल पर चमकती है।

केन में मूर्तियों के विसर्जन का यह कृत्य लगातार तब बढ़ रहा है, जबकि हिन्दू धर्म, वेद, ग्रंथ, संत, बुद्धिजीवी, बैरागी और अध्यात्म भी मूर्ति विसर्जन को अधार्मिक कहता आया है। हालांकि इन पर नवदुर्गा पंडालों में पूजा कराते पंडित कभी एक शब्द भी नहीं बोलेंगे, क्योंकि इससे उनकी रोजी रोटी को खतरा है।

बांदा में कल 8 अक्टूबर को नवरात्र मूर्ति विसर्जन का आयोजन किया गया। इस बार मूर्तियों की संख्या बढ़कर इस वर्ष जहां दूरे जनपद में करीब 1200 थी, वहीं बांदा शहर में तकरीबन 300 मूर्तियां विसर्जित की गयीं। पूरे बांदा जनपद में पिछले साल 1100 मूर्तियां वि​सर्जित की गयी थीं।

के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए केन में इस तरह खुलेआम मृतप्राय होती केन में 300 मूर्तियां विसर्जित किये जाने के संबंध में जब बांदा डीएम हीरालाल से बात करने की कोशिश की गयी तो उनसे फोन पर बात नहीं हो पायी। उनके वाट्सअप पर भी उनसे इस संबंध में पूछा गया, मगर उनका अब तक कोई जवाब नहीं आया है कि इस तरह नियम-कानूनों की धज्जियां उनके नाक के नीचे क्यों उड़ायी गयीं।

वरात्रों में नौ दिनों के दौरान लाखों रुपये की बिजली चोरी होती है, ध्वनि प्रदूषण और कोलाहल हाइट पर पहुंचता है तो ट्रैफिक व्यवस्था की खुलेआम धज्जियां उड़ती हैं। मगर इन सबको हाशिए पर रखकर हर साल शासन—प्रशासन की शह पर ऐसे आयोजन बेरोक-टोक आयोजित होते हैं। राज्य और केंद्र दोनो में भाजपा सरकार सत्तासीन होने के बाद ऐसे आयोजनों को और बल मिला है।

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गौरतलब है कि जलविहीन होती केन के तट मार्ग पर नगरपालिका द्वारा शहर का मानव अपशिष्ट कचरा पहले से ही डाला जाता है, जिसे डीडीटी कैमिकल छिड़काव से छुपाकर वहीं दबाया गया है। वर्ष 2012 में जागरण अभियान व प्रशासन की मदद से भूमि विसर्जन शुरू हुआ था, जो कोर्ट के नदी में मूर्ति विसर्जन रोक के बाद नदी किनारे गैर विधिसंगत अस्थाई तालाब बनाकर किया जाता आ रहा है।

चित्रकूट के डीएम ने एक नेक पहल कर मंदाकिनी संरक्षण के तहत दूर एक अस्थाई तालाब बनवाकर 7 साल से मूर्ति विसर्जन कार्य प्रारंभ किया है, लेकिन बाँदा में खत्म होती केन के बावजूद इस तरह की कोई पहलकदमी शासन-प्रशासन स्तर पर नहीं ली गयी है।

हां व्यापार मंडल से जुड़े एक विधायक के करीबी नेता और भाजपा से जुड़े नेता खुलेआम शहर के युवाओं को बरगलाने का काम करते हैं, जिससे जिला प्रशासन के लिए विषम परिस्थिति उत्पन्न होती हैं।

गौरतलब है उच्च न्यायालय ने नई मूर्तियों का स्थापना और डीजे पर रोक लगा रखी है। हालांकि गणेश उत्सव में कुछ हद तक कोर्ट के आदेश का पालन किया गया, मगर नवरात्र में पहले से लामबंद बीजेपी नेताओं, विधायक, गलत परंपरा की पोषक केंद्रीय दुर्गा कमेटी के मुट्ठीभर लोगों ने बांदा शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को चरमरा कर रख दिया तो केन के जल को मूर्ति विसर्जित कर दूषित करने का काम भी किया।

नियम-कानूनों को ठेंका दिखाकर पूजा के बाद इस तरह विसर्जित कर दी गयीं देवी की 300 मूर्तियां

ह सारा गैरकानूनी काम कोर्ट की अवमानना करके और प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव डालकर कराया गया। इस बार बांदा शहर की नवरात्र में प्रयोग की गयीं सारी मूर्तियों को रामलीला मैदान में एकत्र कर जुलूस की शक्ल में डीजे की थाप पर तलवारें आदि दिखाते हुए केन नदी तक ले जाया गया।

गौरतलब है कि इस वर्ष सीधे केन नदी में यह मूर्तियां विसर्जित की गयी हैं। वी भी तब जबकि जनपद में डेढ़ वर्ष से कुआं-तालाब जियाओ अभियान की शोशेबाजी चल रही है, इसके लिए तमाम अवार्ड लिए जा रहे हैं। सवाल यह है यह सभी लोग क्या पर्यावरण को प्रदूषित करने की परिभाषा बतलायेंगे, ताकि समझा जा सके कि पर्यावरण कैसे बचेगा।

देश के प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर पर स्वच्छ भारत अभियान का नया नारा दिया है और गांधी पदयात्रा से बीजेपी नेता गांवों तक में प्लास्टिक प्रयोग न करने की बात कह रहे हैं। मगर कल 8 अक्टूबर को बांदा स्थित केन नदी में सार्वजनिक जलसे के साथ प्लास्टिक, पीओपी, पूजन अपशिष्ट तथा अन्य तरह गंदगी का सार्वजनिक तौर पर विसर्जन किया गया।

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