हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में 1 दिन में 4 नवजन्मे बच्चों की मौत
परिजनों ने लगाया आरोप अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों की लापरवाही से हुई हैं नवजन्मे बच्चों की मौतें, कई घंटे तक नहीं आए थे डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को देखने....
हल्द्वानी, जनज्वार। सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में एक दिन के ही दिन चार नवजन्मे बच्चों की मौत हो गयी। परिजनों का आरोप है कि चिकित्सकों की लापरवाही के चलते ऐसा हुआ है, जबकि अस्पताल के प्राचार्य ने इन आरोपों को नकार दिया है।
कोटाबाग निवासी महेश कांडपाल का कहना है कि वह अपनी गर्भवती पत्नी रीता कांडपाल की डिलीवरी कराने के लिये सुशीला तिवारी अस्पताल में 15 अगस्त की दोपहर 12 बजे पहुंचे थे। यहां 16 अगस्त को आपरेशन के जरिये उनकी पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया। उन्होंने बताया कि चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि बच्चे ने जन्म लेने के बाद ही दम तोड़ दिया है। महेश का आरोप है कि उनकी पत्नी की देखरेख में चिकित्सकों ने पूरी तरह से लापरवाही की है।
कई कई घंटों तक उनकी पत्नी को देखने कोई नहीं आया, जबकि अस्पताल के प्राचार्य सीपी भैंसोड़ा ने बताया कि जन्म के समय बच्चे का वजन 1 किलो था। इतने कम वजन के बच्चे को बचाना मुश्किल होता है।
इसी तरह हल्दूचौड़ निवासी भुवन सिंह की पत्नी खष्टी नेगी की डिलीवरी अस्पताल में हुयी। डिलीवरी के बाद खष्टी की बेटी हुयी, जिसकी मौत हो गयी। खटीमा निवासी राजकुमार की पत्नी प्रभावती देवी ने आॅपरेशन से बच्चे को जन्म दिया। उसकी भी मौत हो गयी। इनके अलावा लालकुआं निवासी एक अन्य महिला की भी यहां डिलीवरी हुई और जन्म के बाद उसके बच्चे ने भी दम तोड़ दिया।
हालांकि लोगों का कहना है कि अस्पताल में एक अन्य महिला के बच्चे भी मौत प्रसव के बाद हुई है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पायी। कुल मिलाकर अस्पताल में 24 घंटे के दौरान चार नवजन्मे बच्चों ने दम तोड़ दिया।
हालांकि सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के प्राचार्य डॉ. सीपी भैंसोड़ा का कहना कि अस्पताल में तीन नवजन्मे बच्चे की ही मौत हुई है। इन मामलों में परिजनों ने अस्पताल के चिकित्सकों पर खुलकर आरोप लगाया है और कहा है कि उपचार के दौरान चिकित्सकों ने लापरवाही की है। आज स्त्री प्रसूति वार्ड में इन मामलों के बाद काफी हडकंप रहा। चिकित्सकों व अन्य स्टाफ से परिजनों की कई बार बहस भी हुई है। गौरतलब है कि उक्त समय में गायनो वार्ड में डा. गोदावरी जोशी की ड्यूटी लगी हुई थी।
सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के प्राचार्य डॉ. सीपी भैंसोड़ा ने मीडिया को बताया कि एक बच्चे की मौत अंडरवेट की वजह से हुई है तथा एक अन्य बच्चे की मौत पेट में ही हो गयी थी। इसके अलावा एक अन्य मामले में एक प्री मैच्योर डिलीवरी हुई, जिसके बाद बच्चे को नहीं बचाया जा सका। चिकित्सकों ने अपनी सेवाओं में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं की है।