शालिनी शर्मा की कहानी 'मुख्यमंत्री की सेल्फी'
क्योंजी सो गए क्या, रेवती किशोरीलाल को हिलाते हुए बोली।
न, अब नींद कहां आएगी। सारी फसल पाले में बर्बाद हो गई, बीज के पूर्ति भी अनाज न हाथ आया?
अब क्या होगा जी, एक मास बाद घर में ब्याह है बिटिया का और घर में एक फुटी कोड़ी न है, उपर से मुई खासी चैन न लेने देती, एक बोतल दवाई थी सो वो भी खतम हो गई।
तभी कमरे में रोशनी के लिए जल रही लालटेन टिमटिमाने लगी। रेवती उठी लालटेन में घासलेट डाला और लालटेन जला के वापस टांग दिया। कमरे में रोशनी थोड़ी बढ़ गई थी अब।
रवती वापस किशोरीलाल के पास जा बैठ गई।
सुनो जी, कल साहुकार आया था, धमकी देके गया है अगर सप्ताह में कर्ज़ा न चुकाया तो एक जोड़ा बैल साथ ले जाएगा।
कुछ खाने को हो तो दे दे, आंते दबी जा रही हैं, गला भी सुख रहा है किशोरीलाल बोला।
मुठ्ठी भर चावल था सो तहरी चढ़ा दी थी सुबह, अब कुछ नहीं है। रेवती एक लोटा पानी का आगे बढ़ाते हुए बोली।
चल रहने दे थोड़ा पानी ही पी लूंगा।
क्या होगा जी मुझे तो कुछ सूझ ही नहीं रहा — रेवती बोली।
किशोरीलाल के चेहरे पर गंभीरता थी। मानो किसी सोच में डुबा हो अचानक उसे कुछ सूझा हो।
किशोरीलाल उछलकर बोला, 'सुन रेवती एक हल सूझा है मुझे।'
क्या जी ?
कुछ न पुछ, बस चैन की नींद लेले, तु सुबह का इंतजार कर...?
सवेरे रेवती बिलख—बिलख के रो रही थी। उसका पति पेट पालने का उपाय कर चुका था। उपाय से खुश होकर आज खुद मुख्यमंत्री उस गरीब के दरवाजे खड़े थे। किशारी आत्महत्या कर चुका था। आत्महत्या के बदले मुख्यमंत्री ने किशोरी के परिवार को राजकोष से 2 लाख का मुआवजा दिया।
मुआवजा देते हुए किशोरी की विधवा के साथ मुख्यमंत्री ने सेल्फी ली। पूरा गांव मुख्यमंत्री इस तहेदिल रवैए से धन्य हो गया।
सुबह मीडिया में आया भी, 'ग्राउंड जीरो से मुख्यमंत्री।'
(फोटो का इस्तेमाल कहानी के लिए)