Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

रामनगर जीप दुर्घटना के घायलों की अब तक नहीं ली भाजपा विधायक ने सुध, न ही सरकार ने दिया कोई मुआवजा

Prema Negi
15 Sept 2019 6:23 PM IST
रामनगर जीप दुर्घटना के घायलों की अब तक नहीं ली भाजपा विधायक ने सुध, न ही सरकार ने दिया कोई मुआवजा
x

घायलों के उपचार की नहीं है सरकारी अस्पतालों में उचित व्यवस्था, हल्द्वानी रेफर किये गये मरीज वापस रामनगर के सरकारी अस्पताल इसलिए लौट आये हैं क्योंकि वहां के हालात यहां से भी है बदतर, उचित इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर मर रहे लोग

चोपड़ा के पीड़ित ग्रामीण कहते हैं, सरकार ने हमारे लिए अब तक एक सार्वजनिक परिवहन वाहन तक की नहीं की है व्यवस्था, पार्टियों के लिए हैं हम सिर्फ वोट बैंक और इसी तरह ओवरलोडेड वाहन दुर्घटनाओं में मरने को अभिशप्त

रामनगर से मुनीष कुमार की रिपोर्ट

13 सितबंर को उत्तराखण्ड के चोपड़ा से रामनगर आ रही ओवरलोडेड जीप की दुर्घटना बांगाझाला के पास पलट गई। इस दुर्घटना में 20 से ज़्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। दुर्घटना का कारण जीप का ओवरलोडेड होना बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि जिस जीप में ड्राइवर समेत 10 सवारियां होनी चाहिए थीं उसमें 30 लोग जबरन ठूंसे हुए थे, यानी जीप चालक तीन गुना से ज़्यादा लोगों को लेकर चल रहा था।

हां ध्यान देने वाली बात यह है कि कोई भी सरकारी परिवहन व्यवस्था चोपड़ा गांव से रामनगर के लिए अब तक शुरू नहीं की गई है। अब जब इतनी बड़ी दुर्घटना हो गयी है तो शासन-प्रशासन ने सारा दोष गाड़ी वाले पर डाल दिया है। कहा जा रहा है कि वह 30 सवारी लेकर रामनगर क्यों आ रहा था। गांव वाले कहते हैं, वह तो वर्षों से ऐसे ही गाड़ी चला रहा है, सरकार ने हमारे लिए अब तक एक सरकारी बस की व्यवस्था तक क्यों नहीं की है, क्या हम सिर्फ सरकार के लिए वोट बैंक हैं। हम लोग इसी तरह मरने को अभिशप्त हैं।

हां सार्वजनिक परिवहन की सरकार की तरफ से व्यवस्था न होने के कारण उत्तराखण्ड के ग्रामीण इलाकों के लोग रोजाना इस तरह की दुर्घटनाओं से दो चार होते हैं और कई में दर्जनों लोग असमय काल के गाल में समा जाते हैं, वहीं ऐसी दुर्घटना के बाद गंभीर रूप से घायलों को ठीक—ठीक इलाज मिल जाये, यही बहुत बड़ी बात होगी। कई बार मामूली चोटिल व्यक्ति भी इलाज के अभाव में दम तोड़ देता है।

13 सितम्बर को जीप दुर्घटना में घायल राधा देवी को रामनगर के सरकारी अस्पताल रामदत्त जोशी संयुक्त चिकित्सालय में इलाज की पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया था। परन्तु वहां पर भी इलाज व देखभाल न होने के कारण वह रामनगर के सरकारी अस्पताल में वापस आ गयी हैं। उनकी हालत बेहद गम्भीर बनी हुयी है। घायलों में सभी रामनगर के टोंगिया ग्राम चोपड़ा के ग्रामीण हैं।

जीप दुर्घटना में भुवन चंद्र भी इलाज न मिलने के कारण सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी से रामनगर के सरकारी अस्पताल में वापस आ गये हैं। उनकी टांग की हड्डी टूट चुकी है, जिसका ऑपरेशन होना है। उनका इलाज भी कैसे होगा, राम जाने।

हीं ग्रामीण गिरीश चन्द्र के सिर पर चोट है। सुशीला तिवारी अस्पताल में न्यूरोलाॅजिस्ट न होने के कारण वे कर्ज लेकर वे अपना इलाज निजी अस्पताल नीलकंठ में कराने के लिए मजबूर हैं। दुर्घटना में घायल 32 वर्षीय जगदीश चन्द्र की मुरादाबाद के सिद्ध अस्पताल में समय पर इलाज न मिलने के कारण मौत चुकी है। उनकी पत्नी गर्भवती है। वे अपने पीछे 3 बेटियां छोड़ गये हैं। रामनगर के सरकारी अस्पताल रामदत्त जोशी संयुक्त चिकित्सालय में अभी भी जीप दुर्घटना में घायल हुए आधा दर्जन से ज्यादा मरीज भर्ती हैं।

ताज्जुब तो यह है कि देश के गांवों को आदर्श गांव बनाने का दावा करने वाली भाजपा सरकार के विधायक दीवान सिंह इतनी बड़ी दुर्घटना होने के बावजूद मौके से गायब हैं। गौरतलब है कि चोपड़ा गांव से रामनगर के लिए मात्र एक ही साधन है और वह है पिकअपनुमा गाड़ी, जिसकी क्षमता 10 यात्रियों की भी नहीं है। मगर उसी जीप को सभी को लाना है और वापस लेकर भी जाना है। यह सालों से होता आ रहा है।

घायलों में 75 वर्षीय पनीराम भी शामिल हैं। पिछले सप्ताह वे डीएम के जनता दरबार में गांव में बिजली पानी व मूलभूत सुविधाओं के लिए प्रार्थना पत्र देने आए थे, तब बता रहे थे कि झूठ क्या बोलूं, मैंने वोट तो भाजपा को ही दिया है।

गर वोट लेते वक्त तमाम वादे और दावे करते भाजपा के नेता अब मौके से इस तरह गायब हैं जैसे गधे के सिर से सींग। जीप दुर्घटना में 1 दर्जन से भी अधिक लोग गम्भीर रूप से घायल हैं और एक की उचित उपचार न मिलने के कारण मृत्यु हो चुकी है। मगर अभी तक राज्य सरकार ने किसी भी प्रकार के मुआवजे की घोषणा नहीं की है।

टोंगिया ग्राम चोपड़ा के गुस्साये ग्रामीण कहते हैं, हम भाजपा सरकार के लिए वोट बैंक से ज्यादा कुछ नहीं हैं। अगले 2-3 वर्षों तक कोई भी चुनाव सामने नहीं है। इसलिए न तो नेताओं की सभा में दिखाने के लिए भीड़ की जरुरत है और न ही चुनाव जीतने के लिए वोटों की।

जकल पंचायत चुनाव का जोर है। इन चुनावों में चोपड़ा ग्राम के निवासियों को न तो चुने जाने का अधिकार है और न ही वोट देने का। राजनीतिक दलों ने आजादी के 73 वर्षों से चोपड़ा गांव को जो दिया है, उनमें सिर्फ झूठे वादे और रोने के लिए खून के आंसू शामिल हैं।

(मुनीष कुमार समाजवादी लोक मंच के सहसंयोजक हैं।)

Next Story

विविध